Tuesday, September 14, 2010

परिसीमन से सबसे ज्यादा फायदा लालू यादव को :शशांक शेखर

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पटना, 14 सितंबर- बिहार में राजनीति के समीकरण कुछ और कह रहे है और परिसीमन के बाद का गणित कुछ और कह रहा है। इसी परिसीमन की वजह से भारतीय जनता पार्टी को एक तिहाई से ज्यादा विधायकाें के टिकट काटने पड़ रहे है और यह भी उसके असली मुसीबत है। परिसीमन का असली असर भाजपा और जनता दल यू पर पड़ा है। वामपंथियों का वैसे भी कोई खास वजूद है नहीं और राष्ट्रीय जनता दल यादव बहुल इलाकों से डरता है इसलिए उसे फर्क नहीं पड़ने वाला फिर भी गणित तो गणित है।


पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव के पहले चरण में बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से 13 सीटों दृ गोपालगंज (सुरक्षित), सीवान, महाराजगंज, सारण, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाठ, जहानाबाद, औरंगाबाद, गया, नवादा, जमुई (सुरक्षित) पर 16 अप्रैल 2009 को चुनाव होना है। नए परिसीमन के बाद लगभग सभी लोकसभा सीटों का रूप-रंग व प्रकृति बदल गई है।

इनमें काराकाठ, सारण व जमुई नए नामों से लोकसभा क्षेत्र बनाए गए हैं। गोपालगंज, जो पहले सामान्य था, अब सुरिक्षत और नवादा जो पहले सुरिक्षत था, अब सामान्य सीट हो गई है। नई बनाई गई लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरिक्षत है। इस प्रकार बिहार में होने वाले पहले चरण के चुनाव में कुल 13 में से 3 सीटें सुरक्षित और 10 सीटें सामान्य हैं।

चुनाव के ठीक पहले कई पार्टी के नेताओं द्वारा अचानक पाला बदलने, आम मतदाताओं के खामोश रहने और इस बार के चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा मुद्दा नहीं रहने के कारण जहां एक ओर चुनावी मुकाबलों में प्रमुख दलों को अपने ही दल के भितरघातियों का मुकाबला करना पड़ेगा, इसीलिए अभी चुनावी संभावनाओं की तस्वीर धुंधली लग रही है।

वाम दलों द्बारा तीसरे मोर्चे के गठन के बाद लालू-रामिवलास गठजोड़ और अब मुलायम सिंह यादव के साथ मिल कर चौथे मोर्चे का गठन, बहुजन समाज पार्टी एवं कांग्रेस द्वारा लगभग सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने, टिकट बंटवारे के नाम पर हुई खींचतान सबों के चुनावी खेल बिगाड़ सकती है। इन्हीं सब उधेड़बुन के बीच अब तक की जो तस्वीर सामने उभरकर आ रही है, डालते हैं उन पर एक नजर -

गोपालगंज लोकसभा सीट जो पूर्व में सामान्य थी, नए परिसीमन के बाद उसे सुरिक्षत कर दिया गया। यहीं से जीजा-साले के मेल-फेल हो गए। 2004 के चुनाव में राजद से अनिरुध्द प्रसाद उर्फ साधु यादव ने जद यू के प्रभुदयाल सिंह को 1,92,919 मतों से पराजित किया था, लेकिन इस बार इस क्षेत्र के सुरक्षित होने से साधु यादव का पत्ताा साफ हो गया। गोपालगंज जिले से बिहार के तीन भूतपूर्व मुख्यमंत्रियों का जुड़ाव रहा है। अब्दुल गफूर, लालू प्रसाद एवं राबड़ी देवी। यहां से पूर्व में काली प्रसाद पांडे, नगीना राय, अब्दुल गफूर, रघुनाथ झा जैसे दिग्गज उम्मीदवार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं।


इस बार 'लालू प्रसाद के शंकराचार्य' राजद के भगोड़े विधायक रमई राम कांग्रेस, पूर्व राज्यसभा व वर्तमान में भोरे (सुरक्षित) क्षेत्र के राजद विधायक अनिल कुमार (राजद), पूर्णमासी राम (जदयू), सत्यदेव राम (सीपीआईएमएल) और जनक चमार (बसपा) के बीच चौतरफा मुकाबले की प्रबल संभावना है। पार्टी में आपसी कलह से बड़े नेताओं में घोर मायूसी है। ऐसे में गोपालगंज सीट से माले के सत्यदेव राम बाजी मार लें, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। इस बार यहां के कुल 13, 23, 106 मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे।

सीवान लोकसभा क्षेत्र, जो कभी डॉ राजेंद्र प्रसाद, ब्रजकिशोर प्रसाद, मौलाना मजहरूल हक, महामाया प्रसाद सिंह का कार्यक्षेत्र रहा है। अब बाहूबली राजद के शहाबुद्दीन का गढ़ माना जाता है। 2004 के चुनाव में राजद के शहाबुद्दीन ने जदयू के ओमप्रकाश यादव को 1, 03, 578 मतों के भारी अंतर से हराया था। पूर्व में छात्र नेता चंद्रशेखर की हत्या के बाद यहां की राजनीति में उबाल आया।

इस बार जेल में बंद शहाबुद्दीन की पहली पत्नी हीना सहाब राजद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मौसेरे भाई व बिहार सरकार के ग्रामीण कार्य मंत्री वृषन पटेल जदयू, अमरनाथ यादव सीपीआईएमएल और पारसनाथ पाठक बसपा के मुख्य उम्मीदवार हैं। वृषन पटेल और हीना सहाब की प्रतिद्वंद्विता में माले के अमरनाथ यादव चुनाव जीत सकते हैं। चंद्रशेखर की हत्या के वर्षों बाद भी उनके प्रति लोगों की हमदर्दी अमरनाथ यादव के साथ होगी। यहां राजद के एम-वाई समीकरण दम तोड़ चुका है। यहां के कुल 11, 85, 494 मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे।

महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र से 2004 में जदयू के प्रभुनाथ सिंह ने राजद के जीतेंद्र स्वामी को 46,465 मतों के अंतर से मात दी थी। इस बार वर्तमान सांसद प्रभुनाथ सिंह जदयू, तारकेश्वर सिंह कांग्रेस और उमाशंकर सिंह राजद के बीच मुख्य मुकाबला है। तीनों राजपूत जाति के उम्मीदवार हैं। त्रिकोणीय संघर्ष में पहले प्रभुनाथ सिंह का पलड़ा भारी दिखता था, लेकिन अब कांग्रेस के तारकेश्वर सिंह आगे दिखते हैं। क्षेत्र का भूमिहार वोट प्रभुनाथ सिंह को मात देने के लिए तारकेश्वर सिंह की ओर पड़ने के पूरे आसार हैं। यहां के कुल 12, 36, 894 मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे।

सारण, भोजपुरी के शेक्सपीयर भिखारी ठाकुर का बेबस कुतुबपुर गांव यहीं है, जहां से रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव राजद, राजीव प्रताप रूढ़ी भाजपा के प्रमुख उम्मीदवार हैं। 2004 में लालू प्रसाद यादव ने भाजपा के राजीव प्रताप रूढ़ी को 60,429 मतों से पराजित किया था।

उस वक्त इसका नाम छपरा लोकसभा क्षेत्र था। इस बार लालू यादव के मन में हारने का भय पहले से व्याप्त है और वे पाटलिपुत्र लाकसभा से भी उम्मीदवार हैं। ऐसे में राजीव प्रताप रूढ़ी का पलड़ा भारी दिखता है। यहां मतदाताओं की कुल संख्या 12, 06, 729 है। यहां चुनाव परिणाम रोचक होगा, रोमांचकारी होगा और बिहार एवं केंद्र की सरकार का भविष्य तय करेगा।

आरा लोकसभा क्षेत्र बाबू जगजीवन राम व डाक्टर राम सुभग सिंह, बलिराम भगत, राम लखन सिंह यादव, कांति सिंह, रामेश्वर प्रसाद का कार्यक्षेत्र रहा है। बिहार में चुनावी हिंसा की शुरुआत यहीं से हुई। 2004 में राजद की कांति सिंह ने सीपीआईएमएल के रामनरेश राम को 1,49,743 मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी थी। सरदार हरिहर सिंह, बलिराम भगत, राम प्रसाद कुशवाहा यहां का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस बार मीना सिंह जदयू, रीता सिंह बसपा, बाहूबली रामा किशोर सिंह लोजपा एवं काराकाठ विधायक अरुण सिंह माले के प्रमुख उम्मीदवार हैं। बाहूबिलयों एवं धनाढयों की लड़ाई में माले के अरुण सिंह दूसरे उम्मीदवारों से भारी दिखते हैं। कुल 15, 25, 403 मतदाता इनके भाग्य का फैसला करेंगे।

बक्सर लोकसभा सीट उत्तार प्रदेश का पड़ोसी है। 2004 में भाजपा के लालमुनि चौबे ने ललन सिंह को 54, 866 मतों से मात दी थी। रामानंद तिवारी, केके तिवारी कांग्रेस, बक्सर विधायक श्यामलाल कुशवाहा बसपा के साथ ललन पहलवान भी चुनावी अखाड़े में हैं। दबंग जगदानंद सिंह और फक्कड़ स्वभाव के लालमुनि चौबे भभुआ निवासी हैं। कारण कि जगतानंद सिंह के वोटों की कटाई ललन पहलवान और चौबे की तिवारी करेंगे। उत्तार प्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण बक्सर में बहन जी का हाथी दूसरों पर भारी पड़ सकता है। यहां मतदाताओं की संख्या 1297469 है।

सुरक्षित सासाराम, राजनीति के बाबू जी कहे जाने वाले जगजीवन राम का लोकसभा क्षेत्र, जहां से 1962 से 1984 तक वे सांसद रहे। 2004 में जगजीवन राम की बेटी कांग्रेस की मीरा कुमार ने भाजपा के मुनिलाल को 2,58,262 के बड़े अंतर से मात दी थी। इस बार मीरा कुमार कांग्रेस, ललन पासवान राजद, मुनिलाल भाजपा के अलावा गांधी आजाद बसपा के मुख्य उम्मीदवार हैं। बसपा के गांधी आजाद इस बार सासाराम से कोई नया गुल खिला सकते हैं। मीरा कुमार मुनिलाल और गांधी आजाद के बीच त्रिकोणीय संघर्ष में गांधी संगठन व पैसों के बल पर दोनों पर भारी पड़ेंगे। कुल 13, 49, 699 मतदाता इनके भाग्य का फैसला करेंगे।

काराकाठ को इस बार नए परिसीमन में नया लोकसभा क्षेत्र बनाया गया है। 2004 में विक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र से जदयू के अजीत कुमार सिंह ने राजद के राम प्रसाद सिंह को 58,801 मतों से हराया था। अजीत कुमार सिंह की दुर्घटना में मृत्यु के बाद उनकी पत्नी मीना सिंह ने चुनाव जीता। इस बार कांति सिंह राजद, अवधेश सिंह कांग्रेस, महाबली सिंह जदयू, रमाधार सिंह बसपा, राजाराम सीपीआईएमएल के प्रमुख उम्मीदवार हैं।

नया लोकसभा क्षेत्र होने से यहां सभी ताल ठोंक रहे हैं। लेकिन अंततरू मुकाबला माले के राजाराम की कांति सिंह के बीच होने की प्रबल संभावना है। सेंधमारी के चलते दोनों को परेशानी हो सकती है। तीसरे मोर्चे की एकता माले के राजाराम सिंह को जीत दिला सकता है। यहां मतदाताओं की कुल संख्या 13, 60, 891 है।

जहानाबाद संसदीय क्षेत्र जातीय हिंसा की आग में जलता रहा है। 2004 में राजद के गणेश प्रसाद यादव ने जदयू के अरुण कुमार सिंह को 46,438 मतों से हराया था। इस बार यहां से सुरेश यादव राजद, जगदीश शर्मा जदयू, अरुण कुमार सिंह कांग्रेस व महानंद सीपीआईएमएल के मुख्य उम्मीदवार हैं। मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी का राजद को सर्मथन, वहीं दूसरी ओर अरुण कुमार सिंह का जदयू होते लोजपा छोड़ कर कांग्रेसी प्रत्याशी बन जाने से जहां जदयू के जगदीश शर्मा कमजोर पड़े हैं, वहीं सुरेंद्र प्रसाद यादव की जीत का रास्ता साफ दिखता है। माले प्रत्याशी महानंद अपनी ताकत का एहसास करा सकते हैं। यहां मतदाताओं की संख्या 12,40,491 है।

औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र कभी चित्ताौड़गढ़ के नाम से जाना जाता था। नए परिसीमन के बाद चित्ताौड़गढ़ पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। यह कांग्रेस के अनुग्रह नारायण सिंह व सत्येंद्र नारायण सिंह का पुराना क्षेत्र रहा है। 2004 में सत्येंद्र नारायण सिंह के पुत्र निखिल कुमार ने जदयू के सुशील कुमार सिंह को 7460 मतों के मामूली अंतर से हराया था।

इस चुनाव में निखिल कुमार कांग्रेस, सुशील कुमार सिंह जदयू, शकील अहमद खां राजद और अर्चना यादव बसपा के मुख्य उम्मीदवार हैं। दो राजपूतों की लड़ाई में राजद के शकील अहमद खां जो गुरुआ विधानसभा के विधायक भी हैं, को फायदा पहुंच सकता है, लेकिन बसपा की अर्चना यादव ने जो यादवों के वोट में सेंध लगा दी, तो मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। अभी शकील अहमद खां अन्य दूसरों से आगे दिखते हैं। यहां कुल 1332096 मतदाता हैं।

गया लोकसभा क्षेत्र से 2004 में राजद के राजेश कुमार मांझी ने भाजपा के बलबीर चांद को 1,02,934 के भारी अंतर से हराया था। इस बार रामजी मांझी राजद, हरि मांझी भाजपा, संजीव कुमार टोनी कांग्रेस, निरंजन कुमार माले, कलावती देवी बसपा की उम्मीदवार हैं। मुख्य मुकाबला राजद और भाजपा के बीच है। टोनी ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है, लेकिन हवा भाजपा के पूर्व सांसद और इस बार राजद के उम्मीदवार रामजी मांझी की ओर बहती दिखती है। गया लोकसभा में मतदाताओं की संख्या 12,83,125 है।

नवादा लोकसभा क्षेत्र पूर्व में आरिक्षत था, लेकिन इस बार सामान्य हो जाने से बाहूबली के साथ धनाढय उम्मीदवारों की बाढ़ आ गई है। 2004 में राजद के वीरचंद पासवान ने भाजपा के संजय पासवान को 56006 मतों से पराजित किया था। इस बार बाहुबली लोजपा सांसद सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा सिंह लोजपा, भोला सिंह भाजपा, राजो सिंह की पुत्रवधू सुनीला सिंह कांग्रेस, गणेश शंकर विघार्थी सीपीएम, मसीहउद्दीन बसपा के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी की हैसियत से अखिलेश सिंह, राजवल्लभ यादव, कौशल यादव या उनकी पत्नी पूर्णिमा यादव उम्मीदवार हो रहे हैं।

बाहूबल और धनबल के बीच यहां कांटे की टक्कर वर्षों बाद देखने को मिल सकती है। भूमिहार यादव जाति के उम्मीदवारों की संख्या अधिक होने से एवं भितरघात से त्रस्त होने के कारण क्षेत्रीय उम्मीदवार बसपा के मसीहउद्दीन इस बार चुनाव में बाजी मार लें, तो यह आश्चर्य नहीं होगा। नवादा में कुल मतदाताओं की संख्या 13,67,742 है।

जमुई नए परिसीमन के बाद बना नया लोकसभा क्षेत्र है। यह बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह एवं श्यामा प्रसाद सिंह के प्रभाव का क्षेत्र रहा है। यहां से इस बार श्याम रजक राजद, भूदेव चौधरी जदयू, अशोक चौधरी कांग्रेस एवं अर्जुन रविदास बसपा के उम्मीदवार हैं। दो चौधरी की लड़ाई एवं नामांकन के समय अर्जुन रविदास की गिरफ्तारी के बाद लालू यादव के सबसे प्रिय नेता श्याम रजक की गोटी लाल दिखती है। यहां मतदाताओं की कुल संख्या 13, 83, 290 है।

1 comment:

ओशो रजनीश said...

बढ़िया प्रस्तुति .... आभार

क्या कभी आम जनता को भी फायदा होगा ??????????
हिंदी दिवस की शुभ कामनाएं

एक बार पढ़कर अपनी राय दे :-
(आप कभी सोचा है कि यंत्र क्या होता है ..... ?)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_13.html