Besides recognising the rights and duties of the riparian parties, the revised legal agreement will have to ensure that the natural right of the river is recognized the way it has been done in rights of rivers Brazil, Panama, Colombia, Bolivia, Mexico, Ecuador, New Zealand, Uganda, Canada, Northern Ireland and Bangladesh. Unless primacy is accorded to the legal rights of Kosi river, human suffering due to drainage crisis will remain a permanent feature of the river basin as an outcome of a myopic and misplaced "temporary" engineering "solution".
BiharWatch, Journal of Justice, Jurisprudence and Law is an initiative of Jurists Association (JA), East India Research Council (EIRC), Centre for Economic History and Accountability (CEHA) and MediaVigil. It publishes follow up research on the performance of just and unjust formal and informal anthropocentric institutions and their design crisis.
Monday, February 27, 2023
Drainage Crisis in Kosi River Basin
Besides recognising the rights and duties of the riparian parties, the revised legal agreement will have to ensure that the natural right of the river is recognized the way it has been done in rights of rivers Brazil, Panama, Colombia, Bolivia, Mexico, Ecuador, New Zealand, Uganda, Canada, Northern Ireland and Bangladesh. Unless primacy is accorded to the legal rights of Kosi river, human suffering due to drainage crisis will remain a permanent feature of the river basin as an outcome of a myopic and misplaced "temporary" engineering "solution".
Friday, February 24, 2023
कोसी-मेची नदी परियोजना सहित सभी नदी जोड़ परियोजनाए अवैज्ञानिक व जल चक्र विरोधी है : कोसी जन आयोग रिपोर्ट
(फोटो में: कामरेड केडी यादव, डॉ. नरेन्द्र पाठक, भाकपा माले के विधायक संदीप सौरभ, डॉ. गोपाल कृष्ण, मेधा पाटकर, कांग्रेस के विधायक संदीप सिन्हा, अरशद अजमल, राहुल यादुका, महेंद्र यादव)
कोसी
जन आयोग द्वारा कोसी के सवालों पर 24 फ़रवरी को पटना के ए. एन. सिन्हा
इंस्टिट्यूट के सभागार में कोसी जन अधिवेशन का आयोजन किया गया जिसमें आयोग
की कोसी क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और समाधान पर रिपोर्ट जारी की गयी। विश्व बांध आयोग की आयुक्त रह चुकी जन आंदोलनो की नेता और कोसी जन आयोग की
सदस्य मेधा पाटकर ने कहा कि जब हम नदियों को माँ मानते है तो उसके साथ
विकास के नाम पर क्रूर व्यवहार क्यों करते है? उन्होंने कहा कि आपदा आने पर
लोग पूछते है कि यह आपदाएं प्राकृतिक है या मानव निर्मित है जबकि असल में
ये आपदाएं शासन निर्मित होती । उन्होंने कोसी नदी, बाढ़, विस्थापन वहां के
तटबन्ध के भीतर और बाहर के लोगों के सवालों को लेकर बनी रिपोर्ट की
अनुशंसाओं को लागू करने की बात उठाई। धँसते जोशी मठ और दरकते हिमालय की
घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने सरकारों को विकास की गलत अवधारणा की चर्चा
भी की। मेधा पाटेकर ने जल-जंगल-जमीन, खनिज संपदा और कोसी की समस्या समाधान
करने हेतु सरकार एवं विधायकों से विधानसभा में सवाल उठाकर ठोस नीति बनाने
की अपील की। उन्होंने कहा कि यदि सितम्बर तक सरकार इस पर ठोस कार्रवाई नही
करती है तो कोसी के लोग पैदल चलकर राजधानी में डेरा डालने आएंगे।
कोसी जन आयोग के सदस्य, पर्यावरणविद् व न्यायशास्त्री डॉ. गोपाल कृष्ण ने रिपोर्ट में कोसी की
समस्यायों के विवरण और समाधान के लिए सुझाए गए मार्ग का जिक्र किया। पटना
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के नदी जोड़ने के संदर्भ मे दिए गए आदेशों को
अवैज्ञानिक और जल चक्र विरोधी बताया। कोसी हाई डैम और नदी जोड़ जैसी
परियोजना उस दौर की है जब जलवायु संकट की वैज्ञानिक समझ का अभाव था। आज के
युग मे दुनिया भर में हजारों बड़े बाधों को नदियों की अविरलता और निर्मलता
के लिए हटाया जा रहा है। सरकार को उससे सबक लेना चाहिए। उन्होन याद दिलाया कि 1937 में हुए पटना बाढ़ सम्मेलन में तत्कालिन मुख्य अभियंता जी एच हॉल तटबंध की तीन सीमाओं का रेखांकित किया था। रिपोर्ट का हिंदी संस्करण 48 पृष्ठ का है। इसके पृष्ठ संख्या 32 पर लिखा है: "बिहार सरकार के मेची नदी को कोसी नदी से जोड़ने की परियोजना है। मेची और महानंदा नदियों से जोड़ने के लिए कोसी मुख्य नहर से तनमाटर् का प्रस्ताव है। इसे सिंचाई के साथ-साथ कोसी की बाढ़ के समाधान के रूप में प्रचारित किया गया हैं। हकीकत में न तो सिंचाई हो सकेगी और न ही बाढ़ की कमी पर कोई असर पड़ेगा। ये सभी नदियां एक ही मौसम में उफान पर आ जाती हैं और बाढ़ आ जाती है। बाढ़ के मौसम में बाढ़ के पानी को मोड़कर कम करने का दावा तथ्य की कसौटी पर खरा नहीं उतरता। इसके गंभीर पारिस्थिक परिणाम भी होंगे। कोसी कुछ महत्वपूर्ण जैव विवधता का घर है, जिसमे लगभग 300 गंगा नदी डॉलफिन, कई जल पक्षी प्रजातियां, कछुए और एक छोटी घड़ियाल की आबादी शामिल है। घाघरा नदी को कोसी नदी के जलग्रहण क्षेत्र में भी स्थान्तरित करने के प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है। जल संसाधन कायों की राजनीतिक अर्थव्यवस्था नदी जोड़ो परियोजनाओं को चलाती हैं। यह बिहार की राजनीतिक अर्थव्यवस्था का एक आवश्यक घटक है"। आयोग की रिपोर्ट का अंग्रेजी संस्करण 33 पृष्ठ का है। शोधार्थी राहुल यादुका ने कोसी जन आयोग रिपोर्ट की सभी पहलुओं को बयान किया। रिपोर्ट कोसी नदी और बाढ़ नियंत्रण की यात्रा, कोसी परियोजना का मूल्यांकन आदि विषयों के संदर्भ में सुझाव प्रस्तुत करती है।
अधिवेशन को संबोधित करते हुए भाकपा माले के विधायक संदीप सौरभ ने 1937 में हुए पटना बाढ़ सम्मेलन के हवाले से बताया कि तटबंध बाढ़ से होने वाले नुकसान को बढ़ाते है। वे समस्या को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थान्तरित करते है और तटबंध झूठी सुरक्षा की भावना पैदा करते है। कोसी जन आयोग रिपोर्ट के मुद्दे को विधानसभा में उठाने की बात कही।
कांग्रेस के विधायक संदीप सिन्हा ने कहा कि कोसी पीपुल्स कमीशन द्वारा जमीनी अध्ययन के आलोक में प्रस्तुत एवं पारित प्रतिवेदन के मुद्दे को विधानसभा में मजबूती से उठाएंगे। (फोटो में: संदीप सिन्हा, डॉ. विद्यार्थी विकास, के.डी. यादव, डॉ. नरेन्द्र पाठक, संदीप सौरभ, डॉ. गोपाल कृष्ण, मेधा पाटकर, राजेंद्र रवि, महेंद्र यादव)
भाकपा माले की केंद्रीय कमिटी के सदस्य व वरिष्ठ नेता के.डी. यादव ने कोसी के लोगो के संघर्षों के साथ एकता का इजहार किया।
जगजीवन राम शोध संस्थान के निदेशक डॉ. नरेन्द्र पाठक ने रिपोर्ट में कोसी के लोगों के उठाए सवालों की चर्चा की।
ए एन सिन्हा इंस्टिट्यूट के सहायक प्रोफेसर डॉ. विद्यार्थी विकास ने कहा कि सरकार को अलग से कोशी के लिए बजट बनाने के अलावे विधान सभा में अलग से कमिटी बनानी चाहिए जिससे इस मुद्दे पर सतत कार्यक्रम चल सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पर्यावरणविद राजेंद्र रवि एवं मंच संचालन कोसी नवनिर्माण मंच के संस्थापक महेंद्र यादव ने किया।
अधिवेशन की शुरुआत बाढ़ पीडित बृजेंद्र यादव द्वारा जनगीत प्रस्तुति से प्रारंभ हुई।
कोसी क्षेत्र के रामचन्द्र यादव, इंद्र नारायण सिंह, प्रियंका कुमारी, चन्द्रबीर यादव, राजू खान, रोहित ऋषदेव ने कोसी के तटबन्ध के बीच और बाहर की अपनी अपनी समस्यायों व पीड़ा बताते हुए जन आयोग की प्रक्रिया व रिपोर्ट में उनकी बातें आने पर एकता कायम की।
इस मौके पर पूर्व शिक्षा पदाधिकारी विनोदानंद झा, समाजिक कार्यकर्ता चेतना त्रिपाठी, देश बचाओ अभियान फरकिया मिशन के संस्थापक अध्यक्ष किरण देव यादव, लेखक पुष्पराज, पत्रकार अमरनाथ झा, सविता व सीटू तिवारी, विनोद कुमार, कनिष्का, सैफ खान, दिलीप झा, ज्ञानेश कुमार, प्रियतम मुखिया, रिंकी कुमारी, कुमुद रानी, सन्तोष मुखिया, श्रवण, धर्मेन्द्र, मनीष, मनोज, रमन, अखलेस,जहिब अजमल, किरनदीप, बीरेन्द्र प्रभात, एडवोकेट मणिलाल आदि उपस्थित थे।
(फोटो में: इं.गजानन मिश्र, डॉ. गोपाल कृष्ण, मेधा पाटकर व राजेंद्र रवि) इससे पहले 23 फ़रवरी को पटना में कोसी पीपुल्स कमीशन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को कोसी जन अधिवेशन में सर्वसम्मति से पारित गया।