Tuesday, September 20, 2011

लोकप्रिय मूर्तिकार -रंगकर्मी वीरचन्द्र पर जानलेवा हमले के विरुद्ध बिहार के कलाकार


(यह तस्वीर पटना आर्ट कॉलेज के पास आउट मूर्तिकार वीरचन्द्र की है. वीरचन्द्र की यह तस्वीर रुबन इमरजेंसी में इलाज के दौरान की है)

७ सितम्बर की रात आर्ट कॉलेज परिसर में उनपर तब जानलेवा हमला हुआ ,जब वे अपने दोस्त दीपंकर कर्मकार के साथ एक कृति (म्यूरल )को पूरा करने में लगे थे. दीपंकर बंगाल के मालदह जिला के उन विस्थापित परिवार से हें ,जिनका घर -बार गंगा की पेट में समा गया. दीपंकर पटना आर्ट कॉलेज के ७ नम्बर कमरे में रहते थे .वीरचन्द्र पर हमले की पटकथा एक असली -नकली सन्यासी ने तैयार की.

कला के क्षेत्र का यह कथित सन्यासी हमले से आधे घंटे पहले आर्ट कॉलेज हॉस्टल में लडको के बीच रैगिग के परंपरागत अधिकार का व्याख्यान बांच रहा था. प्रथम वर्ष की एक छात्रा ने ७ सितम्बर को बुद्धा कोलिनी थाने में प्राथमिकी (१४०\७.९.११) रैगिग के विरुद्ध जिन छात्रों को अभियुक्त बनाया, उन छात्रो के बचाव में होस्टल के छात्रो के साथ असली -नकली सन्यासी ने उत्तेजक वक्तव्य दिए. तथाकथित सन्यासी ने साफ कहा कि इस प्राथमिकी के पीछे वीरचन्द्र का हाथ है.

आप सब एक होकर वीरचन्द्र से निबट लो, हम सारे केस मुकदमे देख लेंगे. वीरचन्द्र के ऊपर जानलेवा हमले में रैगिग के सभी नामजद अभियुक्त शामिल थे .हॉस्टल के ज्यादातर छात्र मूकदर्शक थे. इन्हे रैगिंग तुम्हारा अधिकार है ,ऐसा पाठ पढाया गया था. जब वीरचन्द्र बेहोश होकर बेसुध हो गए, मुख से खून की उलटी हुई तो कुछ छात्रो ने वीर को कॉलेज परिसर से जिन्दा बाहर निकलने में मदद की. वीर जब इलाज के लिए पी .एम् .सी .एच में भर्ती थे ,बुद्धा कोलिनी पुलिस वीर नामक गुंडे को ढूंढने आर्ट कॉलेज आयी थी .वीर को पी .एम् .सी .एच से बेहतर इलाज के बिना छोड़ दिया गया. वीर को साथ कर ८ सितम्बर की सुबह जब उनके साथी बुद्धा कोलिनी थाने पहुंचे तो पुलिस यह मानने के लिए तैयार नहीं थी कि वीर के ऊपर जानलेवा हमला हुआ है.

जब वीर अपना बयान लिखते हुए बेहोश हो गए तो पुलिस ने उन्हें फिर पी .एम् .सी .एच पहुँचाया .पी एम् सी .एच इमरजेंसी वार्ड में जब ९ सितम्बर की दोपहर मीडिया के बंधु पहुँचने लगे तो आनन-फानन में वीर को डिस्चार्ज कर दिया गया. १० की शाम जब हसन इमाम, अभ्युदय भाई के साथ हम जन उनके कमरे पहुंचे तो वीर बेहोश पड़े थे.

वीर को साँस लेने में बेहद तकलीफ हो रही थी. उनके मुख और नाक में अपने मुख से साँस भरते हुए एम्बुलेंस से रुबन इमरजेंसी के आई .सी .यू में तत्काल भर्ती कराया गया. वीर के पास बेचने के लिए बकरी या हमारे पास कोई सोने की घडी तो नहीं थी. हम डोक्टर सत्यजीत के कायल हें, जिनने अपने बूते वीरचन्द्र के इलाज की जिम्मेवारी स्वीकारी.

वीरचन्द्र फिलवक्त रुबन इमरजेंसी से बाहर होकर किसी गुप्त ठिकाने पर तन कर खड़ा होने की कोशिश में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हें. मै पिछले 10 दिनों से वीर के साथ अटेंडेंट की भूमिका में लगा हूँ. वीरचन्द्र पर हमले की प्राथमिकी १४१\८.९.११ पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. हमलावर सुरक्षित घूम रहे हें और हमले का शिकार हमलावरों के दहशत में गुप्त ठिकाने में छुपा है.

यह किस तरह का सुशाशन है, किस तरह का अँधा कानून है भाई साहब.

वीरचन्द्र आर्ट कॉलेज बचाओ संघर्ष आन्दोलन की रीढ़ रहे हें. जाहिर है कि यह आन्दोलन सरकार के उस निर्णय के विरुद्ध शुरू हुआ ,जिसमे आर्ट कॉलेज को आर्यभट ज्ञान विश्विद्यालय में मिलाने की घोषणा की गयी थी.

सब जानते हें कि आर्ट कॉलेज को आर्यभट में मिलाने और स्वपोषित करने का प्रस्ताव उस कथित सन्यासी ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रधान सचिव अंजनी सिंह को दिया था, जो वीरचन्द्र पर जानलेवा हमले का मास्टर माईंड है.
जानलेवा हमले के अभियुक्त सरकारी परियोजना "किलकारी "में दो लाख के सरकारी ठेके पर किसी कलाकृति को अंजाम देने में लगा है.

जो आर्ट कॉलेज आन्दोलन का से अलग सरकारी खेमे में खड़ा होगा, उसे लाखो -लाख का सरकारी ठेका मिलेगा और सरकार के बड़े साहब हर परिस्थिति में उनकी हिफाजत करेंगे.

आप समझने की कोशिश करिए, वीरचन्द्र के हमलावरों को कौन बचा रहा है ...? वीर को बेहतर इलाज के बिना सरकार के सबसे बेहतर अस्पताल से क्यों डिस्चार्ज कर दिया गया ...?

जो हमलावरों के साथ नहीं हें,वे वीरचन्द्र को न्याय दिलाने के संघर्ष में खड़े हो.

पटना के रंगमंचो की २ दिन पहले हुई बैठक में वीरचन्द्र पर हुए हमले की तीव्र भर्त्सना की गयी है और अनीश अंकुर नामक रंगकर्मी का सामाजिक वहिष्कार कर दिया गया है.

पुष्पराज

Saturday, September 10, 2011

Civic rights activists released on bail

Lungertoli Gali (Nala Road), Patna Welcomes Release of 5 Citizens from Jail, they were protesting Against Water logging & Filth

Residents of Langertoli Lane welcomed the release of 5 citizens from Jail who were protesting on August 12, 2011 at Nala Road against dumping of rotten garbage flowing in waterlogged lane. street corner meeting. Angry residents had blocked Nala Road. Ramakant Prasad, Patna, town DSP, Bihar Police unleashed lathi charge on women along with other citizens. Police resorted to brutal lathicharge indiscriminately. Police arrested 14 people, including 9 women and the DSP started beating them severely.

DSP Patna had filed a FIR against Suryakar Jitendra, Anil Kumar, Saroj Kumar Suman, Rahul Singh and Mohan Singh accusing them shouting “Prashashan Murdabad” among other things and had got them sent to jail. They were released on bail today. The judicial officer in expressed surprised at the police action. It’s a strange case of police assaulting citizens as well as filing case against them.

Suryakar Jitendra, State Secretary, Anil Kumar, former Patna District Secretary, Saroj Kumar Suman, Patna District Secretary of All India Democratic Students' Organization (AIDSO) have pledged to continue to protest for civil rights which is part of basic human rights.

Citizens’ March was organized on the streets of Patna All progressive- democratic forces and human right activists to oppose the repressive action of the Bihar Police. It is sure that the Socialist Unity Centre of India (Communist) activists were in the forefront in the protest of local citizens against dumping of garbage and dirty water logging for 10-12 days.

पुलिस अत्याचार के खिलाफ बासुदेव सिंह का पत्र बिहार राज्यपाल के नाम


Monday, September 5, 2011

Bihar's Water Policies Yet to be Finalized

Bihar State Water Policy 2010

Bihar Draft Drinking Water & Sanitation Policy, 2010

Bihar's Water Resources Department Water Policy, 2009

Acoording to the Road Map for Development of Power Sector in Bihar – A Report of the Special Task Force on Bihar, Govt. of India, July 2007, Bihar has approx. 600 MW of its own generation capacity, is heavily dependent on the power supplied by Central Generating Stations.