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Wednesday, January 26, 2022
Bihar Chief Secretary acts in compliance with Supreme Court's order in covid death compensation case
Bihar Govt compensates 49 victims in Muzaffarpur shelter home case
Bihar Government informs NHRC: Rs. 3 to 9 lakh paid as compensation to the 49 victims of sexual abuse in a Shelter Home at Muzaffarpur; 19 accused convicted
In a release dated 25 January, 2022, National Human Rights Commission, (NHRC) revealed that it has been informed by the Government of Bihar that it has paid Rs. 3 to 9 lakh to the 49 victims of sexual abuse in a Shelter Home at Muzaffarpur. The action taken report reveals that FIR no. 33/2018 u/s 120B/376/34 IPC r/w sec. 4/6/8/10/12 POCSO Act of Mahila PS, Muzaffarpur was registered 31st May, 2018 and later investigation was transferred to the CBI and after investigation, a chargesheet was filed against 20 accused, out of which 19 were convicted by the Trial Court, Saket, New Delhi.
NHRC had registered the case on the basis of a complaint in the matter dated 29th November, 2018. Besides the Commission, the Trial Court Saket, New Delhi had also recommended compensation to the victims on merits.
NHRC has also been informed that the registration of NGO, which ran the Muzaffarpur Balika Grah was canceled and the premise housing it, was also demolished in compliance of orders of the court. The entire investigation of the case by monitored by the Supreme Court and the trial by the trial court was concluded within a stipulated time period.
Tuesday, January 25, 2022
Why MSP and APMC?
Wasn't Bihar Chief Minister in agreement with the recommendations of the Working Group on Consumer Affairs?
Can MSP be seen isolation from Agriculture Produce Market Act?
किसानों का विश्वासघात दिवस 31 जनवरी को
15 जनवरी को दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में मोर्चे के कार्यक्रम व भविष्य की दिशा पर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गए। मोर्चे ने घोर निराशा और रोष व्यक्त किया कि भारत सरकार के 9 दिसंबर के जिस पत्र के आधार पर हमने मोर्चे उठाने का फैसला किया था, सरकार ने उनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं किया है।
आंदोलन के दौरान हुए केसों को तत्काल वापिस लेने के वादे पर हरियाणा सरकार ने कुछ कागजी कार्रवाई की है लेकिन केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल सरकार की तरफ से नाममात्र की भी कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। बाकी राज्य सरकारों को केंद्र सरकार की तरफ से चिट्ठी भी नहीं गयी है।
शहीद किसान परिवारों को मुआवजा देने पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है। हरियाणा सरकार की तरफ से मुआवजे की राशि और स्वरूप के बारे में कोई घोषणा नहीं की गयी है।
एमएसपी के मुद्दे पर सरकार ने न तो कमेटी के गठन की घोषणा की है, और न ही कमेटी के स्वरूप और उसकी मैंडेट के बारे में कोई जानकारी दी है।
किसानों के साथ हुए इस धोखे का विरोध करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला किया है कि आगामी 31 जनवरी को देश भर में “विश्वासघात दिवस” मनाया जाएगा और जिला और तहसील स्तर पर बड़े रोष प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे।
लखीमपुर खीरी हत्याकांड में सरकार और भारतीय जनता पार्टी के बेशर्म रवैये से स्पष्ट है कि उसे सार्वजनिक जीवन की मर्यादा की कोई परवाह नहीं है। एसआईटी की रिपोर्ट में षड्यंत्र की बात स्वीकार करने के बावजूद इस कांड के प्रमुख षड्यंत्रकारी अजय मिश्र टेनी का केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहना किसानों के घाव पर नमक छिड़कने का काम है। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश पुलिस इस घटना में नामजद किसानों को केसों में फंसाने और गिरफ्तार करने का काम मुस्तैदी से कर रही है। इसका विरोध करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा लखीमपुर खीरी में एक पक्के मोर्चे की घोषणा करेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने यह स्पष्ट किया है कि “मिशन उत्तर प्रदेश” जारी रहेगा, जिसके जरिए इस किसान विरोधी राजनीति को सबक सिखाया जाएगा।
आगामी 23 और 24 फरवरी को देश की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को वापस लेने के साथ-साथ किसानों को एमएसपी और प्राइवेटाइजेशन के विरोध जैसे मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा देश भर में ग्रामीण हड़ताल आयोजित कर इस हड़ताल का समर्थन और सहयोग करेगा।
कुछ घटक संगठनों द्वारा पंजाब के चुनाव में पार्टियां बनाकर उम्मीदवार उतारने की घोषणा के बारे में मोर्चे ने स्पष्ट किया कि शुरुआत से ही संयुक्त किसान मोर्चा ने यह मर्यादा बनाए रखी है कि उसके नाम, बैनर या मंच का इस्तेमाल कोई राजनीतिक दल न कर सके। यही मर्यादा चुनाव में भी लागू होती है। चुनाव में किसी पार्टी या उम्मीदवार द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा के नाम या बैनर या मंच का कोई इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़ा जो भी किसान संगठन या नेता चुनाव लड़ता है, या जो चुनाव में किसी पार्टी के लिए मुख्य भूमिका निभाता है, वह संयुक्त किसान मोर्चा में नहीं रहेगा। जरूरत होने पर इस निर्णय की समीक्षा इन विधानसभा चुनावों के बाद अप्रैल माह में की जाएगी।
– जारीकर्ता
डॉ दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव