Sunday, April 6, 2014

बस्तर में आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण, सोनी सॉरी का जन सभा, प्रेस वार्ता

बस्तर लोकसभा सीट से परिवारवाद को ही आगे बढ़।या है भाजपा और कांग्रेस ने
 
बस्तर में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, एक बड़ी लड़ाई का माहौल बनता जा रहा है। 
 
एक तरफ  हज़ारो की तादाद में अर्ध सैनिक बलों और 19 हेलीकाप्टरों की तैनाती की जा रही है तो दूसरी ओर माओवादियों के तरफ से रोज़ पर्चे फेके जा रहे हैं जिसमे आम जनता से चुनाव बहिस्कार की अपील की जा रही है।  सब के बीच में सभी प्रत्याशियों के समर्थक अपने अपने पक्ष में ज्यादा से ज्यादा वोट जुटाने के लिए प्रयासरत हैं। 

वैसी ही एक कोशिश के तहत आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण ने कल बस्तर का दौरा किया। उन्होंने जगदलपुर में एक प्रेस वार्ता , जगदलपुर और कोंडागांव में रोड शो, और कोंडागाव में एक जन सभा की। 
इस दौरान वे चित्रकोट विधानसभा स्थित पार्टी कार्यालय भी गये और कार्यकर्ताओं के संग संवाद किया।

प्रेस वार्ता में प्रशांत भूषण ने कहा कि आम तौर पर अब तक के चुनावों में जनता के सामने टाटा-अम्बानी आदि की ग़ुलाम पार्टियों का ही विकल्प होता था, लेकिन इस बार स्थिति बदली है।  
 
इस चुनाव को उन्होंने छत्तीसगढ़ और बस्तर के लिए अहम् करार देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के किसान आदिवासियों से उनका जल-जंगल-जमीन छीनकर कार्पोरेट को दे दिया गया, अहिंसक आंदोलनकारियों को माओवादी बोल कर राज्य द्वारा प्रताड़ित किया गया, इसे बंद कराने के लिए ही सोनी सोरी  आज मैदान में हैं। 
 
सरकार को माओवाद के विस्तार की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि शांतिप्रिय आदिवासी जनता को नाहक इतना प्रताड़ित किया गया है कि उनमे से कुछ ने आत्मरक्षार्थ बंदूकें उठा ली हैं।  उन्होंने कहा कि हिंसा और माओवाद का मूल कारण सरकार की भ्रस्ट नीतियां हैं।

सोनी सोरी के संघर्षमय अतीत पर बोलते हुए भूषण ने कहा कि वे राज्य व्यवस्था के द्वारा प्रताड़ित की गयी आदिवासी जनता की प्रतीक हैं और बिना किसी बदले की भावना से इस व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई में शामिल हैं। 

प्रेस वार्ता को संयुक्त रूप से सम्बोधित करते हुए सोनी सॉरी ने बस्तर की आम जनता के मूलभूत सवालों पर बात की और कहा कि उनकी लड़ाई गांधीवादी तरीके से इस व्यवस्था के खिलाफ है और और नयी जनपक्षधर व्यवस्था के निर्माण की है।  
 
साफ पानी, बिजली, आवास, से लेकर उन्होंने फर्जी मुकदमों में फसा कर जेल में डाल दिए गये हज़ारों आदिवासियों के लिए संघर्ष करने का भरोसा दिया और इस संघर्ष को उन्होंने आसन्न लोकसभा चुनाव में अपनी हार जीत से परे बताया। 

आगे चलकर जगदलपुर और कोंडागाव में प्रशांत भूषण ने रोड शो किया जिसमे सैकड़ो बस्तर वासियों के साथ आप कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। रोड शो से बने माहौल ने भाजपा और कांग्रेस की नींदे उड़ा दी हैं। 
 
मीडिया और स्थानीय जनता में मिल रहे समर्थन ने पहली बार  ऐसे हालात पैदा किये हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री को बस्तर में ३ दिन तक कैम्प करना पड़ा है।  पार्टी नेताओं संग मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कल केवल जगदलपुर में तीन सभाएं की और सोमवार और मंगलवार को भी अन्य सभाएं प्रस्तावित हैं। 

बहरहाल, सोनी सोरी के चुनाव मैदान में उतरने के कारण सम्भवतः पहली बार बस्तर में किसान आदिवासी एवं स्त्री समाजों के आधारभूत मुद्दे हवा में हैं। 
 
वहीँ दूसरी और भाजपा और कांग्रेस ने अब भी केवल आपसी आरोप प्रत्यारोप की स्थिति बनाने की पूरी कोशिश की है और प्रत्याशियों के चयन में अपने आलाकमान की नक़ल करते हुए बस्तर लोकसभा सीट से परिवारवाद को ही आगे बढ़या है।  
 
ऐसे में, सोनी सोरी द्वारा बस्तर के जरूरी सवालों को उठाना प्रचलित राजनीति के विरुद्ध विचारधारा की राजनीति करने की चुनौती के रूप में है जिससे, भविष्य में बस्तर की स्थति बदलने की उम्मीद जगती है। 
एकता और रवि शेखर,
बस्तर से,
जनादेश न्यूज़ नेटवर्क। 
( कार्यकर्ता, किसान आदिवासी विस्थापित एकता मंच, सिंगरौली, म प्र। )

No comments: