जिनको कट्टरपंथी ठहरा कर,इस देश में अपनी कट्टरता को जायज ठहराया जाता रहा,उन मुल्कों में धार्मिक कट्टरपंथ को धता बताते हुए लोग नास्तिकता के रास्ते पर बहादुरी से बढ़ रहे हैं.ये नास्तिकता की बयार ,धर्म की बर्बरता और अतिवादी कार्यवाहियों ,राजनीति व निजी जीवन में हस्तक्षेप के खिलाफ विरोध प्रदर्शित करने के लिए और तार्किक व सेक्युलर समाज बनाने के लिए बह रही है.नास्तिकता के इस राह पर चलने के लिए फांसी चढ़ने से लेकर जेल जाने तक तमाम उत्पीडन अरब लोग सह रहे हैं.
अपने देश में भी जब हम धार्मिक कट्टरता और उन्माद को सरकारी संरक्षण में परवान चढ़ते देख रहे हैं तो तार्किक होना और उन्मादी धार्मिकों के विचार को मुंह के बल गिरा देने का ही विकल्प है.कट्टरता का जवाब कट्टरता नहीं बल्कि तार्किकता है,अरब का सबक तो यही है.
BiharWatch is an initiative of the East India Research Council (EIRC) and MediaVigil. It focuses on Himalayan ecosystem, public finance, law and justice besides nature, philosophy, science, art and literature. It attempts to keep an eye on unalloyed truth, Central Himalayas, unsound business, courts, legislatures, governments, courts, jails, cyber space, the migrants from earliest times and neighbors.
Thursday, November 19, 2015
अपने देश में भी जब हम धार्मिक कट्टरता और उन्माद को सरकारी संरक्षण में परवान चढ़ते देख रहे हैं तो तार्किक होना और उन्मादी धार्मिकों के विचार को मुंह के बल गिरा देने का ही विकल्प है.कट्टरता का जवाब कट्टरता नहीं बल्कि तार्किकता है,अरब का सबक तो यही है.
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