Monday, March 17, 2014

बनारस और मोदी पर साहित्यकार काशीनाथ के विचार

"नरेंद्र मोदी घनघोर हिंदुत्ववादी और हिंसक साम्प्रदायिक राजनीति के नायक हैं। वे फासीवादी हैं और तानाशाह भी। उन्होंने गुजरात में जो किया है, भारत उसे कभी भूल नहीं सकता। वे भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। मैं किसी भी स्थिति में उनके या बीजेपी के समर्थन की कल्पना भी नहीं कर सकता।“ --- प्रसिद्द साहित्यकार काशीनाथ, बनारस.

भाजपा नेत्री उमा भारती ने नरेंद्र मोदी को विकास पुरुष की जगह विनाश पुरुष बताया और कहा की मोदी ने गुजरात का विनाश किया है. गुजरात को मोदी ने कर्जे में डूबा दिया है. मोदी तो हिन्दुओं का भला कर सके और ही मुसलमानों का भला कर सके. बल्कि दोनों को आपस में लड़ा दिया. ऐसे आदमी से हिन्दुस्तान के लिए क्या उम्मीद की जा सकती हे ?

गांव-देहात की खेती-बारी छोड़कर बनारस में अड्डा जमाये कम से कम दो लाख बाभन और डेढ़ लाख भूमिहार (यानि कि साढ़े तीन लाख सवर्णों की आबादी) ही है आरएसएस-भाजपा की शक्ति का मुख्य श्रोत, जिसके बूते माथे पे लाल टिक्का लगाए श्री-श्री १००८ मुरली मनोहर जोशी जी महाराज अपनी पुश्तैनी सीट से अब तक संसद पहुँचते रहे...और जब इसे कथितरूप से पिछड़ा, अक्खड़,  तिकड़मबाज  नरेंद्र मोदी (जिसकी जाति-  बिरादरी का हालांकि अबतक किसी को पता नहीं चल पाया है) के लिए छोड़ने कहा गया, तब जोशी को अपने बारे में विज्ञान का छात्र होने और किसी पाप की वजह से राजनीति में घुस आने की बात याद आने लगी.

बनारस को कुछ लोग "साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र" कहकर उसके असली चरित्र पर पर्दा डालने की कोशिश भी होती रही है. जबकि असलियत यह है कि सदियों की "ब्राह्मणवादी मानसिक गुलामी का प्रतीक स्थल बनारस "शूद्रों, दलितों-आदिवासियों के लिए पवित्र नहीं, बल्कि दकियानूसी, अंधविश्वासी, पाखंडियों की नगरी है...जहां आरएसएस ने हिन्दुत्व राज की काल्पनिक संसद घोषित कर रखा है. आरएसएस ने बिलकुल इसी उद्देश्य से नरेंद्र मोदी को बनारस के काल्पनिक हिन्दुत्व संसद में बिठाने का कुचक्र रचा है जहां से मोदी घंटा डोलायेंगे और झुनझुना बजायेंगे. ब्राह्मणवाद के पोषक 'पाखंडी नरेंद्र मोदी' को हराने का इससे बढ़िया मौक़ा और क्या हो सकता है जिसका एकमात्र मतलब है "शूद्रों का मानसिक गुलामी से मुक्ति."

तीन महीने तक लगातार गुजरात में मासूम निर्दोष इंसानों और इंसानियत का कत्लेआम करने वाला इस दंगाई शख्स ने भारतीय फ़ौज को दंगाई इलाके में जाने से ही रोक दिया था. चुनाव आयोग को ऐसे कातिल को पहले ही अयोग्य घोषित कर देना चाहिए. हमारा संविधान, क़ानून भी "धर्म जाति" के आधार पर जनता की भावनाओं को भड़काने और उसके नाम पर जनता का शोषण करने की इजाजत नहीं देता.

इसमें दो मत नहीं है कि संघ-बीजेपी का नेटवर्क दूसरी पार्टियों की तुलना में यहाँ अधिक मजबूत है. पिछले 40 सालों से यहाँ केवल धार्मिक और जातीय आधार पर ध्रुवीकरण होता आया है. जिसकी बदौलत ही वाराणसी से लगातार फिरकापरस्त भाजपा के सांसद जीत हासिल करते आये है. भाजपा-आरएसएस को जवाब देना होगा कि आखिर, बनारस शहर का विकास अब तक क्यों नहीं हो सका?

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