Saturday, September 26, 2015

Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna नराधम , पतित , रक्त पिपासु और कायर धर्मान्धों का मुक़ाबला करो । अपने कमज़ोर अल्प संख्यक पड़ोसी को सुरक्षा और सम्मान दो ।

Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna

ग़ज़ालां देखना दिलदार तारों की अटारी में
हमारी जान जायेगी तुम्हारी इंतिज़ारी में

Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna's photo.

बाने फहराने गहराने घण्टा गजन के
राने ठहराने रावराने देस देस के

Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna's photo.

दो तीन रोज़ से देख रहा हूँ कि दुष्ट धर्मांध ईद की वजह से गंद मचाये हैं । इनका मक़सद मुस्लिमों को उत्तेजित और अपमानित करना है । एक बकरे का वीडियो बार बार वायरल किये दे रहे हैं । इन नराधमों का अहिंसा बोध जाग उठा है । सत्य यह है:-
1- सौ में से 1 मुसलमान ही ईद पर बकरे की कुबानी देने की हैसियत रखता है । बाक़ी अपनी निम्न तम माली हालत की वजह से दलित हिंदुओं की तरह सस्ता मोटा मांस खाते हैं ।
2- भारत के 1857 में हुए प्रथम स्वाधीनता संग्राम में हम्मारी पराजय के बाद फिरंगियों का क़हर मुस्लिमो पर ही अधिक टूटा । उनकी जागिरीं और ज़मींदारियां छीन ली गयीं । अधिसंख्य को सूली लगी ।
3- प्रतीकात्मक ही सही , लेकिन 1857 की गदर से पूर्व वे भारत के शासक थे । अतः अंग्रेजों ने उन्हें ही सर्व प्रथम ठिकाने लगाया ।
4- इस अज़ाब से वह अब तक न उबर पाये । अपनी धार्मिक कट्टरता और अंग्रेजों की नाइंसाफी के कारण उनमे अधिसंख्य आज भी दरिद्र है ।
5- 1947 के विभाजन के बाद भारत में रह रहे मुस्लिम यहां भावनात्मक कारणों से रहते हैं । 
नराधम , पतित , रक्त पिपासु और कायर धर्मान्धों का मुक़ाबला करो । अपने कमज़ोर अल्प संख्यक पड़ोसी को सुरक्षा और सम्मान दो ।

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    • अभिनव सिंह नेगी
      अभिनव सिंह नेगी सत्य है बहुगुणा जी। हमें वसुधैव कुटुम्भकम: की नीति पर चलना चाहिए।
      Like · Reply · 1 · 22 hrs · Edited
    • Vivek Singh
      Vivek Singh लेकिन बलि/कुर्बानी अब बंद होनी चाहिए। उत्तराखंड में ही देखिए कई जगहों पर बंद हो चुकी है। इसका मांसाहार से कोई लेना/देना नहीं। जानवर कसाईखाने में ही कटने चाह‌िए।
      Like · Reply · 5 · 21 hrs
    • रवि नेगी
      रवि नेगी भाई जी अल्प संख्यक तो सिख , ईसाई , जैन , बौध .और फ़ारसी भी हैं और मुस्लिमों से भी कम की संख्या मे हैं फ़िर ये लोग ही अप्पसंख्यक का रोना क्यों रोते हैं और आपका अल्पसंखय्क प्रेम सिर्फ मुस्लिमों पर ही क्यों बसर रहा है
      Like · Reply · 5 · 21 hrs
    • Anusooya Prasad Ghayal
      Anusooya Prasad Ghayal दादा इतिहास की कसौटी पर सत्य बचन ।पर सोच रहा हूँ आपकी इस पोस्ट को नागपुर हेडक्वाटर्स के कारिंदे भी पढ़ते तो ठीक रहता ।
      Like · Reply · 2 · 21 hrs
    • Alok Srivastava
      Alok Srivastava Samay ke sath parivartan bhi avshyak hai ab kurbani ka roop bhi badalana chahiy aur sabko sneh poorvak sath lekar chalana chahiye
      Like · Reply · 1 · 21 hrs
    • Tabish Siddiqui
      Tabish Siddiqui प्रणाम आपको बड़े भाई
      Like · Reply · 1 · 21 hrs
    • रवि नेगी
      रवि नेगी इस्लाम के अनुसार बुतपरस्ती हराम है। पत्थर में भगवान नहीं होते, तो फिर मक्का के इन पत्थरों में शैतान कैसे हो सकता है अंधविश्वासियों ?? वो भी अल्लाह के घर में शैतान की मौजूदगी ?? तौबा-तौबा --- वो अल्लाह के घर में क्या कर रहा है, जबकि वहाँ अल्ला-ताला लगाहुआ है । गुस्ताखी देखो शैतान की, खुदा के सामने ही उसके बन्दों को निपटा रहा है नामुराद । पत्थर मारने से पिछले 1455 सालों में शैतान मरा नहीं, तो आज कैसे मर जायेगा ?? शैतान और भगवान दोनों हमारे अंदर ही मौजूद है, जो हमारी आत्मा-ख्यालों में घर बना बैठा है। अपने अंदर के शैतान को मारो आमिर भाई, कौनो Wrong Number फिरकी ले गया तुमरे से। इस बकरीद पर अपने अंदर के शैतान और अन्धविश्वास की कुर्बानी दें -- मुस्लिम भाईयों Environment friendly- Blood Less - शाकाहारी बकरीद मनाओ
      Like · Reply · 10 · 21 hrs
    • Harsh Deo
      Harsh Deo सत्परामर्श, सद्विचार
      Like · Reply · 1 · 21 hrs
    • Amit Sajwan
      Amit Sajwan अगर मेंढक को गर्मा गर्म उबलते पानी में डाल दें तो वो छलांग लगा कर बाहर आ जाएगा और उसी मेंढक को अगर सामान्य तापमान पर पानी से भरे बर्तन में रख दें और पानी धीरे धीरे गरम करने लगें तो क्या होगा ?

      मेंढक फौरन मर जाएगा ?
      ...See More
      Like · Reply · 9 · 21 hrs · Edited
    • Dwarika Chamoli
      Dwarika Chamoli पर भाई सा क्या किसी जानवर की जान देना जरुरी है जबकि इस दिन किसी अज़ीज़ की क़ुरबानी दी जाती है ! एक दिन पहले ख़रीदा गया जानवर अज़ीज़ तो नही ही हो सकता फिर अल्लाह से खिलाफत क्यों ! अज़ीज़ का मतलब ये नही की कोई इंसान ही हमें अज़ीज़ है कोई वस्तु भी हमें अज़ीज़ हो सकती है फिर उसकी क़ुरबानी क्यों नही ?
      Like · Reply · 3 · 21 hrs
    • Dinesh Semwal
      Dinesh Semwal आज हम कुर्बानी को लेकर एक धर्म विशेष के लोगों तो निशाना बना रहे है।
      कुछ समय पहले हमारे यहाँ अस्टिमी नवमी के बकरे की सीरी और फट्टी पंडित जी लपक लेते थे।
      Like · Reply · 4 · 21 hrs
    • Vijay Shukla
      Vijay Shukla किसी का भोजन क्या है इसपर बात करना मतलब दूसरे की रसोई में तांकझांक करना। वैसे मैं शुद्ध शाकाहारी हूँ।लेकिन कोई क्या खाता है इससे मेरा कोई सरोकार नहीं। मैं तो सभी अहिंसा प्रेमी भाइयों से अनुरोध करूँगा कि चलें सब मिल कर अभी से धन इकठ्ठा करें और अगली ईद आने पर सारे जानवर खरीद लें और उन्हें बचा लें। यदि भारत में 70 करोड़ भी पशुप्रेमि हैं तो अभी से रोज 100 रुपये बचाएं। महिने के 3000। खरबों रूपये हो जाएंगे और फिर जानवरों को खरीद कर उनकी रक्षा कर लेंगे। और फिर बीच बीच में होने वाले गढ़ीमाई, गटारी अमावस्या,अष्टमी नवमी दसहरा
      और रोज़ तरकुलहा देवी ,जीवदानी माता , कामाक्षा देवी ,मोक्षी माता इत्यादि में प्रसाद के रूप में चढाने के लिए उन जानवरों को अगले साल भेंट करके पूण्य भी कमा लेंगे।
      वैसे स्वामी विवेकानंद स्वामी रामकृष्ण परमहंस मछली खाते थे और यूरोपियनो के हिसाब से मछली और अंडा शाकाहारी है। तो वो चलता है।
      Like · Reply · 3 · 21 hrs · Edited
    • Pankaj Pandey
      Pankaj Pandey बहूत उपयुक्त विचार, पुर्णतः सहमत.
      Like · Reply · 1 · 21 hrs
    • Govind Raju
      Govind Raju अपने कमज़ोर अल्प संख्यक पड़ोसी को सुरक्षा और सम्मान दो .
      Like · Reply · 1 · 20 hrs
    • Ravi Rawat
      Ravi Rawat छा गए गुरू जी आज! बेहतरीन पोस्ट!
      Like · Reply · 1 · 20 hrs
    • रवि नेगी
      रवि नेगी मुझे गर्व है कि मैं ऐसे धर्म का अनुयायी हूँ जिसने मुझे पशुओं पर हाथ फेरना सिखाया है, छुरा फेरना नहीं । मुझे गर्व है कि हमारी आलोचना दूध बहाने के लिए होती है, खून बहाने के लिए नहीं । मुझे गर्व है कि मैं ऐसे धर्म का अनुयायी हूँ जिसकी आलोचना मूर्त्तिपूजा और बहुदेववाद को लेकर होती है, आतंकवाद और क्रूरता के लिए नहीं । जय हिंद वन्दे मातरम
      Like · Reply · 5 · 20 hrs
    • Tej Singh Bhandari
      Tej Singh Bhandari I 100% agree with you, it should be stopped.
      Like · Reply · 1 · 20 hrs
    • Habib Gul Khan
      Habib Gul Khan दमदार..सटीक एवं सार्थक लेख, आप बधाई के पात्र है जो इतनी गहरी जानकारी रखते है ।
      Like · Reply · 2 · 20 hrs
    • आकाश आहूजा
      आकाश आहूजा सहमत भैजी
      Like · Reply · 1 · 18 hrs
    • Dasharathlal Pankhi
      Dasharathlal Pankhi wah....Rajiv ji.....bahut sAHI..
      Like · Reply · 1 · 17 hrs
    • Vinod Joshi
      Vinod Joshi भाई जी मुस्लिमो के भी आरक्षण की चिंता की जानी होगी
      Like · Reply · 1 · 16 hrs
    • Vijay Ram Thaldi
      Vijay Ram Thaldi Rajiv Bhai Chinta mat karo kuch barsho bad dubara mugal samrajya hoga or hum wahi darbari ban kar banshi bajayengy. Khan sahib ko kush karny key liye bhai ji
      Like · Reply · 2 · 15 hrs
    • Vijay Ram Thaldi
      Vijay Ram Thaldi Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna bhai ji aab hindu hai hi kaha.... .......aab to bhut hi ashan hai hum barhman hum jat hum jatave hum ect ect.....
      Like · Reply · 15 hrs
    • Bp Sati
      Bp Sati Bahuguna ji thanks you .you have also become so called secularist.
      Like · Reply · 14 hrs
    • Dinesh Sharma
      Dinesh Sharma रवि नेगी जी वहुगुणा जी मुस्लिमों के वारे में सत्य और तर्क पूर्ण टिपण्णी से भी बिचलित हो जाते हैं
      हिन्दओं पर अनुचित टिप्पणियों पर भी मौन रहते हैं
      अब बहुगुणा जी की भावनाओं का सम्मान तो करना ही है
      Like · Reply · 7 · 14 hrs
    • हिमांशु कुमार घिल्डियाल
      हिमांशु कुमार घिल्डियाल चाटुकारिता के लिए सेकुलरिज़्म की आड़ लेता एक बुद्धिजीवी।
      Like · Reply · 3 · 14 hrs
    • Suraj Singh Sarki
      Suraj Singh Sarki Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna ji
      Shat pratishat sahmat hoo aapse..
      Bharat desh jindabaad..

      Hindu kaun hai...
      Shak
      Kushaan
      Hun
      Magol
      Alpine
      Dravid..etc..etc..
      Hindu dharm nahi..
      Yh bharat sabka hai.."main" ki bapoti nahi...
      ...kya kahe गाय तब तक माता..जब तक दूध देती है....अन्यथा कोई इज़्ज़त नहीं..बस fb पर गो-प्रेम ...अहिंसा प्रेम..हिन्दू प्रेम झाड़ते रहे
      बहुत सही....आप जो भी लिखते है...सच है इसलिए शिरोधार्य

      शुभ रात्रि ।
      Like · Reply · 13 hrs
    • Arun Pratap Singh
      Arun Pratap Singh आदरणीय राजीव जी, यब अच्छी बात है कि आप एक सेक्युलर सोच वाले व्यक्ति हैं, बड़े सम्मान के साथ कहना चाहता हूं, कि आपको प्रायः हिन्दु परंपराओं, हिन्दु देवी-देवताओं तथा हिन्दु रीतियों पर टिप्पणी करते देखा है। अच्छी बात है कि आप अपनी नज़र में गलत बातों पर टिप्पणी करते हैं, किन्तु कोई यदि इस्लाम को लेकर सवाल करे तो आप सवाल करने वाले को ही नसीहत देते नजर आते हैं। मेरी नज़र में अगर बलि की परंपरा पर सवाल खड़े किये जा सकते हैं तो कुरबानी पर क्यों नही खड़े किये जा सकते? कृपया उत्तर दें। क्या गलतियां या कुरीतियां केवल हिन्दु धर्म में ही हैं और इस्लाम पूर्णरूपेण दोषरहित मज़हब है? सच कहूं तो कुछ साल पहले तक मैं भी अपने को सेक्युलर कहने में गर्व अनुभव करता था, किन्तु जब सेक्युलरों का यह दोहरा रवैया देखा तो----। मेरी पत्नी तो स्पेन के कैथलिक ईसाई परिवार से है.... और मैने कभी भी उसका धर्म-परिवर्तन नहीं कराया। शुक्र है कि हिन्दु कौम सबसे सहनशील है, वरना.....।
      Like · Reply · 5 · 11 hrs · Edited
    • Laxman Bisht
      Laxman Bisht कहीं पानी बहाना भी गुनाह सा हो जाता है ,तो कहीं खून बहाने पर भी लोग मुबारकबाद देते हैँ ....जो कत्ल करे मासूम जानवरों का उसका मुक्कमल ईमान हो गया, न जाने क्यूँ हिन्दू सिर्फ पानी और पटाखों से ही बदनाम हो गया !!
      Like · Reply · 1 · 4 hrs
    • Laxman Bisht
      Laxman Bisht rajeev babu tumne v apni aukaat dikha di.........ki hu me pusteni congressi. kaas ye soch aap mullo me v jaga paate.
      Like · Reply · 1 · 4 hrs
    • Pancham Singh Rawat
      Pancham Singh Rawat असल मे कोई मानसिक रूप से बिक्षिप्त ही ऐसा कर रहा होगा अन्यथा सभी को अपने धर्म पर चलने के अधिकर तो प्राप्त ही है !
      Like · Reply · 2 · 3 hrs
    • Jaiprakash Uttrakhandi
      Jaiprakash Uttrakhandi राजीव भाई।एकदम सहमत और बधाई।खूब रायता फैल गया।श्राद्ध और नवराञों जैसे पविञ दिनों में भी अपने धर्म-कर्म को ताक पर रख अध्दी/पव्वी के साथ कबाब टिक्का और मुर्गे की टांग चिसोडने वालों की सही क्लास ली।शो मस्ट बी गो आन।
      Like · Reply · 2 · 1 hr
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