Wednesday, September 30, 2015

अब भी दिमागे रफ्ता हमारा है अर्श पर गो आसमां ने ख़ाक में हमको मिला दिया


इसी सितम्बर की दो तारीख थी. वीरेन दा के साथ गप्पें चल रही थीं . कहीं से ज़िक्रे मीर आ गया . वीरेन दा ने दो शे'र सुनाए . कहा, ये शे'र उनके दिल के सबसे करीब रहते हैं . दोनों शे'रों में वीरेन मौजूदा हैं .
१ .
आगे किसू के क्या करें दस्तेतमअ़ दराज़
ये हाथ सो गया है सिरहाने धरे-धरे
२.
अब भी दिमागे रफ्ता हमारा है अर्श पर
गो आसमां ने ख़ाक में हमको मिला दिया

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