शेम शेम आजतक. खुद को नंबर वन बताने वाला ये नपुंसक चैनल फिर वही ड्रामा कर रहा है जो सुरेंद्र प्रताप सिंह के मरने के बाद किया था. लाश मौत हत्या को लेकर सूचनाएं दबा रहे हैं या गलत सूचनाएं दे रहे हैं. अब तक ये लोग अपने चैनल पर सिर्फ मरने की सिंपल खबर दिखा रहे हैं. कोई गुस्सा नहीं. कोई विरोध नहीं. कोई तनाव नहीं. आजतक के पत्रकार अक्षय सिंह को व्यापमं घोटाले के कवरेज के दौरान मारे जाने की सूचना मिलने के बाद यह चैनल अभी तक उनकी लाश को झाबुआ के सरकारी अस्पतालों से लेकर नजदीकी प्राइवेट अस्पतालों तक और पचास किमी पड़ोसी गुजरात राज्य के दहोद तक में घुमा रहा है और शिवराज सिंह से निष्पक्ष जांच कराने के लिए पत्र लिखकर अनुरोध कर रहा है. अक्षय तो मर गए लेकिन छोड़ गए अपनी लाश अरुण पुरी को बारगेनिंग करने के लिए. बुड्ढा अरुण पुरी अब अक्षय की लाश पर खेल रहा है. उसके भीतर तनिक भी नैतिकता होती तो वह अपना खुद का चार्टर प्लेन भेज कर प्राथमिक जांच के बाद तुरंत अक्षय को दिल्ली ले आता और यहां के डाक्टरों से इलाज कराता या पोस्टमार्टम कराता. ये हाल है खरबों रुपये हर साल कमाने वाले निष्पक्ष कहे जाने वाले भारतीय मीडिया मुगल का. ऐसा लोग कह रहे हैं कि ये सब आजतक वाले अक्षय की मौत का सौदा करने के लिए उनकी लाश को घुमा टहला रहे हैं और व्यापमं के बड़े घोटालेबाजों से सीधी इकट्ठा बारगेनिंग कर रहे हैं. अक्षय की लाश अब भी गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश के आसपास के बीच एंबुलेंस में टहल रही है. अक्षय शादीशुदा नहीं थे. उनकी बूढ़ी मां उनके साथ रहती थीं. जब उनकी डेथ की सूचना आजतक वालों को मिली तो वे लोग बजाय कार्रवाई करने के, अक्षय के घर गए. अक्षय अपनी मां से बोल गए थे कि मेरे बगैर गेट मत खोलना, चाहें जो आ जाए. अक्षय बड़े क्राइम रिपोर्टर थे और वो जानते थे कि दिल्ली में अकेले रहने वाले वृद्धों के साथ क्या क्या घटनाएं होती हैं. जब उनकी बूढ़ी मां ने दरवाजा नहीं खोला तो उनकी बहन का नंबर आजतक वालों ने मैनेज किया और उनको फोन किया. उनकी बहन को जाने क्या क्या समझाया गया लेकिन सच यही है कि अक्षय की लाश अब तक घोटालेबाजों के इलाके में घूम रही है और वही सब जांच कर रहे हैं. धन्य है अरुण पुरी और महाधन्य है आजतक. अब कहना पड़ रहा है कि कहीं ये लोग भी तो व्यापम घोटाले के हिस्से नहीं?
BiharWatch, Journal of Justice, Jurisprudence and Law is an initiative of Jurists Association (JA), East India Research Council (EIRC), Centre for Economic History and Accountability (CEHA) and MediaVigil. It publishes follow up research on the performance of just and unjust formal and informal anthropocentric institutions and their design crisis.
Saturday, July 4, 2015
अब तक ये लोग अपने चैनल पर सिर्फ मरने की सिंपल खबर दिखा रहे हैं. कोई गुस्सा नहीं. कोई विरोध नहीं. कोई तनाव नहीं. आजतक के पत्रकार अक्षय सिंह को व्यापमं घोटाले के कवरेज के दौरान मारे जाने की सूचना मिलने के बाद यह चैनल अभी तक उनकी लाश को झाबुआ के सरकारी अस्पतालों से लेकर नजदीकी प्राइवेट अस्पतालों तक और पचास किमी पड़ोसी गुजरात राज्य के दहोद तक में घुमा रहा है और शिवराज सिंह से निष्पक्ष जांच कराने के लिए पत्र लिखकर अनुरोध कर रहा है.
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