Thursday, June 11, 2015

जमीन अधिग्रहण कांग्रेस सरकारें समर्थन में सयाना मारे मलाई धकाधक मसलन सोनिया राहुल करे विरोध जमीन बिल का तो उनकी सरकारें बने निरोध हिंदुत्व राजकाज मा खुल्ला ताला अनाड़ी हलवाहे जमीन की फजीहत Cong-ruled States Backed Amendments to Land Bill पलाश विश्वास

जमीन अधिग्रहण

कांग्रेस सरकारें समर्थन में

सयाना मारे मलाई धकाधक मसलन

सोनिया राहुल करे विरोध जमीन बिल का तो उनकी सरकारें बने निरोध हिंदुत्व राजकाज मा

खुल्ला ताला

अनाड़ी हलवाहे

जमीन की फजीहत


Cong-ruled States Backed Amendments to Land Bill


पलाश विश्वास

सयाना मारे मलाई धकाधक मसलन

सोनिया राहुल करे विरोध जमीन बिल का तो उनकी सरकारें बने निरोध हिंदुत्व राजकाज मा

खुल्ला ताला

अनाड़ी हलवाहे

जमीन की फजीहत

मीडिया की खबर है भइये,कांग्रेस तकरीबन एक साल से जमीन अधिग्रहण संशोधन बिल का सख्त विरोध कर रही है, लेकिन आरटीआई के तहत हासिल दस्तावेज कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। ये दस्तावेज वही कह रहे हैं, जो नरेंद्र मोदी कह रहे हैं यानी कांग्रेस शासित राज्यों ने भी सहमति वाले क्लॉज और कई अन्य विवादास्पद संशोधनों का समर्थन किया था।  

मेले में बिछुड़े बाइयों भाइयों की फिल्म है केंद्र और सूबे की सरकारें और उनका राजकाज कत्लेआमो खातिर

Cong-ruled States Backed Amendments to Land Bill



मेरे दिवंगत पिताजी पुलिनबाबू यूं तो समाजसेवा के मामले में फुलौफूल होलटाइमर थे बिना वेज के और स्वयंसेवक भी न थे।फिरभी घर पर जितनी देर उनके पांव ठहरने होते थे,वे सीधे खेतों में चले जाते।


कैंसर से रीढ़ की हड्डियां गल रही थीं।

किसी को कानोंकान खबर होने नहीं दी।

न डाकदर और न इलाज।

दौड़ते रहे देशभर और सतात्तर साल की उम्र में भी खेत जोतते रहे।


पिताजी खुद को पक्का हलवाहे कहा करते थे।जबकि बसंतीपुर वाले हम बच्चों पर बेहद बेरहम थे।


ख्वाबो देखते जरुर थे कि पढ़ लिखकर होनहार हम जरुर बनें ,पर नौकरी चाकरी उनकी भैंसोलाजी में न थी और उनहें कतई भरोसा न था कि सचमुच कभी हम किसी काबिल बन सकते हैं।


दस्तखत करना सीख जायें और काम चलाने लायक हिसाब किताब जोड़ लें और भद्रलोक के गुण हों न हों,इंसान जरुर बनें ताकि इंसानियत के खिलाफ कोई जुर्म हम कर न बैठे,हमें पढ़ाने का उनका कुलो मकसद इतना सा था।


तो पढ़ाई हमेशा नंबर दो की प्राथमिकता और खेत खलिहान के आम अव्वल।


हमें तो मार पड़ती थी हमारी शरारतों की वजह से या किसी के पांव न छूने की जिद की वजह से या फिर कामकाज के वक्त पढ़ते लिखते रहने की वजह से।


पिताजी बार बार एक बेहतर हलवाहा बनने के नायाब तरीके बताते रहते तो ताउजी खेत मजदूर के हर गुर सिखाने के लिए अढ़े रहते।


बाकीर गांव वाले कहते रहते,अनाड़ी हलवाहे और जमीन की फजीहत।


एमए पास करने के बाद भी मैंने अपने खेत में हल जोते हैं लेकिन मेरे घरवालों और गांववालों ने कभी नहीं माना कि मैं हल चलाने काबिल भी हूं।


होता भी कैसे,मैं हल चलाता तो बैलों के पांव हल से जख्मी हो जाते।दंराती चलाता तो पांव मेरे अपने जख्मी हो जाते।


खीझ कर वे अक्सर कहते,अनाड़ी हलवाहा,जमीन की फजीहत।

तो हमने भी जिद पकड़ ली कि जमीन की फजीहत न करबे करेंगे और न किसीको करने देंगे।


फिर नौबत ही न आयी कि हम हल चलाते और खेती दक्खिन हो जाती।


किस्सा यह इस वास्ते ताने हैं कि राजकाज भी अनाड़ी चला न सकै हैं और देश की फजीहत हुी जावै है।


अब देखिये कि कैसे फेंकू महाराज लौटकर घर को आवै और फिर कइसन बाहर को धावै।उनका धावा मतबल कि कटकटेला अंधियारा और फिर रेडियोएक्टिव खुल्ला बाजार का सहारा।


जमीन की फजीहत तो हुइबे करै हैं।


अब उन्हें कौन समझावै कि हलवाहे के काम क्या क्या हुआ करै हैं और ससुरा खेत मा हल काहे और कैसे चलावै हैं।


उ महाराज तो बड़का भारी कल्कि महाराज हुआ करै हैं और करे हैं अंधियारे का कारोबार।ख्वाब जगाकर जगमग जगमग रोशन कर दें।बड़ा ही तेज बत्ती का कारोबार है उनरका।


फिर खुल्ला ताला घर हुआ जाये।बाढ़ सुनामी जो कहिये सो हुई जाये।खिड़कियों में ग्रिलो ना हुइबै करै हैे।


विकास का घास खिवायै मुवे को जिंदा करने का करतब जो जानै है तो देख लीजिये कि कंबंध कइसन हरिबोल किये जाये हैं।ससुरे जानते नहीं कि हरिबोल बोल हरिबोल है।


विकास का घास खिवायै मुवे को जिंदा करने का करतब जो जानै है तो देख लीजिये कि बातोबात राम की सौगंध खाते हैं और चारो तरफ खिल जावै कमल कमल।


लाल नील सुसरा हर रंग हो जाये केसरिया और कमाल यह कि रामायण का राम नाम कब  हे राम बनकर जुबान पर आ जावै,घात लगाये बैठी मौत को ही मालूम हुइबे करै हैं।


राम नाम सत्य है,सत्यबोलो गत्य है।


हम सारे लोग अब जनाजे में शामिल हैं।खुल्ला ताला का कमाल ई कि सिर्फ फायदा खासमखास को होवै है।


बाहर जहां जहां संतन ने पांव धरि दियो कयमत आयी रहि।कयामत जो दुआरे बैठी ताना बाना बुन रहिस,घर वालों को नजरै न आवै।


केकर फायदा,केकर नुकसान,पढ़ लिख मुआ गइलन,पोथी पढ़ पढ़कर कोटा मार्फते किन्हीं बाबासाहेब की किरपा से बड़का बड़का अफसर अफसरा बाड़न, समझ न सकौ ह।


बुरबक हम जो रहेला,वोट जोट के बावजूदो वहींच बुरबको रह गइलन।


तनि अंबानी अडानी से सीखै होत अंधियारा का कारोबार इह तो परलोक इहलोक सुधर जाइ वइसन ही जइसन पुणे करार की संतानों की हुई रहै ह।


मारे के मारे सारे फटीचर धकाधक करोड़पति अरबपति एको चुनाव जीतै के हुई गइलन ,अबहुं ट्रिकलिंग ट्रिकलिंग ख्वाब बेचके खावै हैं मालपुआ मलाई तमामो।


जुलुमो की हद ह कि हम भूख के मारै चीखे तो देशद्रोही।


जुलुमो की हद ह कि हम प्यास के मारे चिल्लाये तो देशद्रोही।


हम जल जंगल जमीन और इस कायनात के साथे इंसानियत को बचावै गरज से आवाज उठायें तो हम ससुरे देशद्रोही।


आउर उ महाराज घूम घूमकर देश बेचे जाये कि वही धर्म कर्म ह।


आउर उ महाराज घूम घूम कर नफरत बांटै कि दंगा भड़के के मुनाफावसूली हो और धकाधक सनेसेक्स सेक्सी उभारौं कयामत बरपावै कि वही हिंदू राष्ट्र ह।


आउर उ महाराज आउर उनर तमामो संतन उधम काटै ह के जुबानों पर लगाम नइखै के शत प्रतिशत हिंदुत्व विसुध चाहि कि हउ भी चाहि कि ङु न चाहि कि विधर्मी रह सकै न कोई और नर्क मा अछूतों का बेड़ा गर्क हुी जाये फिर भी घर वापसी चाहि।


उनर खातिर जो देश चलावै किला तामीर किये केसरिया कहीं और,चौबीसों घंटे खातिर सबसे बेहतरीन साठ साठ कमांडो चाहि।

हमउ ससुर मांगे न कर सकबे के छतो नाही सर छुपाने को कि कइसन कहां कहां कमांडो बिठाइबो आपण पिछवाड़ा धरैके वास्ते जो जमीन हुईबै करै है,उ भी छीन लीन्हैं।


चियारिये चियारिनों के जलवे का गोरापन झलकावै खूब कि सारा जहां जहर पीवै ह।


आदरणीय तमाम सितारे झकाझक चमके कि का कहि ब्रांडिंग ह,कि का कहि मार्केटिंग ह कि का कहि खुल्ला ताला ह कि फारिग होवै खातिर खेत जावै को मनाही,पण घर मा लूटमचावै को आजादी ह।


अड़ोस पड़ोस फजीहत हुई रही खूबो,कौण समझावै कि मदमस्त हाथी हैं के कहीं रौंदे न दें कि रेवड़ी अपने अपने को बांटे हैं और टैक्सव हम बुरबको कंबोंधों पर लादै ह।


चेहरा जो नइखे।


जुबान नइखे।


अंखिया नको नको।कानौ नइखै।


तनि खैनी भी नइखै।


जीवैकि छत्तू भी महंगो हुई गयो।


कहत रहे कि दाल रोटी खाओ,प्रभू के गुण गाओ,राजा का बाजा एइसन बजाइले बाड़न की जमीन की फजीहत हुई गइलन और हरवाहे तमामो अनाड़ी,फजीहतो फजीहत।


न अनाजो है और न पानी कि हिमालयो पर धर दियो तमामो एटम बम और एचमो बम का जखीरा हुआ जाये हवा पानी ससुरा सबकुछो रेडियोएक्टिव ऐसी एफोडीआई ह।


धरम करम करते जाओ।

रामधुन गाते जाओ।

बजरंगी बनते जाओ।


बाकीर मनुस्मृति इंताजाम मा बंधुआ मजदूरी है।

पगारो न मिलबे करै है।


ऊ जो बाबासाहेब संविधान न कौन चीजै लिख दीहिस,उ रफा दफा ह।


सगरे कायदा कानून रफा दफा ह।

कटकटेला अंधियारा ह।

अंधियारा का कारोबार ह।


तेज बत्ती धरम करम बिरगेड धमाधम चलावै अश्मवमेध,कलि कलि चुन लीन्है,अब हमरी बारी।


घर फूक सकौ न कोय।

न कोय कबीरा खड़ा बाजार।

दसों दिशाओं में हाहाकार।

का कहि,खुल्ला ताला मुक्त बाजार।


सगरा कायदा कानून मुआ दिहिस।

इंसानियत ह के कायनात ह,सब दांव पर ह।


के शेयरबाजार के सांढ़ दौड़बै करै ह आउर दसो दिशाों में रेडियोएक्टिव बिजुरी चमकै चाहि।


बनिया पारटी का राजकाज ह कि मुनाफावसूली खातिरो जमीन की फजीहत चाहि।


टोटल प्राइवेटाइजेशन की सुनामी बा।

टोटल एफडीआई अंबानी अडानी राज बा।

त घर की मुरगी हलालै में चैन नइखै।

अडानी अंबानी खातिर देश देश भटकै बेचैन आत्मा ह।

मेहरारु हुइबे करै तो आरटीआई लगावै पूचथ रहि कि किरपया उनर हैसियत बतायी जाई।


मेहरारु नइखै तो लगाामो लगावै कौण कि काहेको घूम घूमकर बेगानी शादी मा अब्दुल्ला दीवाना बन रहियो कि देश दक्खिन हुआ जावै कि का न का समझ लीजै परदेशी तमामो कि किससे का रिश्ता का मालूम।कानून त बन गइलन सब जायज बा।


किसका राज कौन कमीशन खावै,किसका खेत कौण जोतै,किसकी कोठी कौण असल मालिक आउर किसका कालाधन सफेद हुआ जाये,न कंबंधों को कोई मतबल हुआ करै आउर न बजरंगियों को।

मुये को कौण मार सकै हो।


बोलो हिटलर बाबा की जै।

बोलो अंबानी बाबा की जै।

बोलो अडानी बाबा की जै।

उनकी भी जै जयकारा।

जो तमामो खुल्ला ताला हरकारा।


सबकुछ कारा कारा ।

बाकी कटकटेला अंधियारा।

बूस्टर खाइ खाइ कै रीढ़ो गायब ससुरा।

क्रीम घिसि कै चेहरा गायब ससुरा।


बाकीर जो सितारे ह।

जनता खिलाफे दुस्मन ह।

सबसे बड़ा सितारा जो आसमान पे चमके सबसे उजियारा।

समझ लिज्यो कि उसीने हमउ को मारा।

बाकीर अंबानी अडानी सहारा।

रामराज का आसरा।

जनम जनम का ठीकरा।



खुल्ला ताला

अनाड़ी हलवाहे

जमीन की फजीहत

RTI से सामने आया लैंड बिल पर कांग्रेस का यू-टर्न

जयराम रमेश (फाइल फोटो)

जयराम रमेश (फाइल फोटो)

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निधि शर्मा, नई दिल्ली


कांग्रेस तकरीबन एक साल से जमीन अधिग्रहण संशोधन बिल का सख्त विरोध कर रही है, लेकिन आरटीआई के तहत हासिल दस्तावेज कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। ये दस्तावेज वही कह रहे हैं, जो नरेंद्र मोदी कह रहे हैं यानी कांग्रेस शासित राज्यों ने भी सहमति वाले क्लॉज और कई अन्य विवादास्पद संशोधनों का समर्थन किया था।  


इन दस्तावेजों के मुताबिक, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने संशोधनों पर राज्यों का मूड जानने के लिए 26 जून 2014 को बैठक बुलाई थी। इसमें कांग्रेस शासित राज्यों केरल, कर्नाटक, मणिपुर और महाराष्ट्र ने सहमति वाले क्लॉज और सोशल इंपैक्ट असेसमेंट की जरूरत से जुड़े संशोधनों का समर्थन किया था। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) प्रॉजेक्ट्स के लिए जमीन अधिग्रहण से प्रभावित 80 फीसदी परिवारों की सहमति वाले क्लॉज में बदलाव के बीजेपी सरकार के प्रस्ताव का छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, गुजरात और हरियाणा (उस वक्त यहां भी कांग्रेस की सरकार थी) की सरकारों ने समर्थन किया था।


आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक की तरफ से हासिल दस्तावेजों में यह भी कहा गया कि जून 2014 की बैठक में केरल, महाराष्ट्र और हरियाणा ने भी उपयोग नहीं की गई जमीन की वापसी के मामले में बीजेपी सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया था। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के जमीन अधिग्रहण ऐक्ट 2013 में कहा गया है कि अगर सरकार की तरफ से ली गई जमीन का पांच साल तक कोई उपयोग नहीं होता है, तो इसे इसके मूल मालिकों को लौटाने की जरूरत होगी। हालांकि, संशोधन बिल में बीजेपी सरकार ने यह फैसला राज्यों पर छोड़ दिया है कि किस पीरियड के बाद इस्तेमाल नहीं की गई जमीन को लौटाने की जरूरत होगी। यूपीए सरकार के बिल में सरकारी ऑफिसर की तरफ से गड़बड़ी के मामले में सजा का प्रावधान रखा गया था। बीजेपी के संशोधन बिल में इसे खत्म कर दिया गया है और इसका समर्थन केरल ने भी किया था।


कांग्रेस शासित 9 राज्यों ने मुख्यमंत्रियों ने मंगलवार को प्रस्ताव पास जमीन अधिग्रहण बिल के संशोधनों को खारिज किया था। इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे। इस प्रस्ताव के मद्देनजर यह खुलासा किया गया है। हालांकि, कांग्रेस इस खुलासे पर ज्यादा परेशान नजर नहीं आई। पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने लॉर्ड कीन्स को कोट करते हुए कहा, 'जब तथ्य बदलते हैं, तो मैं अपनी राय बदल लेता हूं।' हालांकि, उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि जब यूपीए सरकार ने लैंड बिल पर सलाह-मशवरा शुरू किया था, तो केरल, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों ने सहमति वाले क्लॉज पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा, 'जब हमने राज्यों से बात की थी, तो पृथ्वीराज (महाराष्ट्र के तत्कालीन सीएम), हुड्डा (हरियाणा के तत्कालीन सीएम) और केरल के सीएम को आपत्ति थी।'

http://navbharattimes.indiatimes.com/india/rti-reveals-congress-ruled-states-were-in-favour-of-amendments-to-land-bill/articleshow/47623413.cms




Jun 11 2015 : The Economic Times (Kolkata)

Cong-ruled States Backed Amendments to Land Bill

Nidhi Sharma

New Delhi:





RTI REVELATION States including Kerala, Karnataka, Manipur and Maharashtra supported the watering down of consent clause and requirement of social impact assessment

The Congress has been vociferously opposing the land acquisition amendment bill for a year, but documents accessed under the Right to Information Act reveal that the states ruled by the party supported the BJP-led government's amendments on consent clause, scrapping of social impact assessment study and return of unutilised land. This bears out what Prime Minister Narendra Modi has been saying all along.

The documents reveal that at a meeting called by the rural development ministry on June 26, 2014 for gauging the states' response on the amendments, Congress-ruled states including Kerala, Karnataka, Manipur and Maharashtra supported the watering down of consent clause and requirement of social impact assessment.

The exception from taking consent of 80% of affected families for public-private partnership (PPP) projects proposed by the BJP government was also supported by the governments of Chhattisgarh, Kerala, Madhya Pradesh, Tamil Nadu, Uttar Pradesh, Gujarat and Haryana (which had a Congress regime at the time of the meeting).

The documents, accessed by RTI activist Venkatesh Nayak from the ministry, also reveal that in the June 2014 meeting, Kerala, Maharashtra and Haryana also supported the BJP government's move on return of unutilised land.

Congress spokesman Randeep Surjewala completely denied that the Congress-ruled states had taken a contradictory view. "This document is an observation, an understanding of Nitin Gadkari (former rural development minister who initiated the amendment process in 2014) which is a self-serving understanding. They are twisting and trivialising things," Surjewala said.

The Land Acquisition Act of 2013 passed under the previous Congress-led UPA government says the acquired land which remains unutilised for five years needs to be returned to the original owners. However, the Modi government's amendment bill changed this to state that the period after which unutilised land will need to be returned in five years or any period specified at the time of setting up of the project or later of the two. The UPA 's bill of 2013 had kept a provision for punishment in case of offence by a government officer. The BJP's amendment bill has done away with this, something that the Congress-led government in Kerala supported.

The revelation comes in the back drop of a resolution passed by chief ministers of nine Congress-ruled states on Tuesday rejecting the amendments to the Land Acquisition Act at a conclave presided by party president Sonia Gandhi and vice-president Rahul Gandhi.

The resolution said, "The meeting of chief ministers of Congressruled states chaired by the Congress president rejects the proposed amendments to the Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act, 2013 and also the recommended dilutions in the National Food Security Act, 2013."

The Congress did not make much of the contradiction and doublespeak, though party leader and former rural development minister Jairam Ramesh confirmed that when UPA government started the consultative process on the land bill, many Congress-ruled states such as Kerala, Haryana and Maharashtra had reservations about the consent clause. "When we spoke to the states, yes, Prithviraj (Maharashtra CM Prithviraj Chavan), Mr Hooda (Haryana chief minister Bhupinder Hooda) and Kerala chief minister had reservations.They were uncomfortable with the consent clause. But it wasn't an administrative decision. It was a political decision we took," he said.











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