Thursday, June 18, 2015

और दिखाओ! और दिखाओ! जलवा है के जलवा का मजा लीजिये। सीमेंट के इस जंगल में इंसानियत की खुशबू कहां? मसलन गौर करें कि महाजिन्न की किरपा हो गइलन बाड़ा के फोर जी रिलायंस बहारोबहार। अडानी अंबानी राजकाज के खातिरै महाजिन्न ऐप्पस की बहार पूछु पीछु के आपका भी मन ललचावै ह कि कछु ख्वाहिशें ,कछु ख्वाबों को परवान चढ़ायें या फिर कछु गिला शिकायतें साझा करैके खातिर अच्छे दिनों की मंकी बातें रुबरु साझा कर लें तो फटाक से खरीद लिज्यो रिलायंस फोर जी स्मार्टफोन के गुगल प्ले इसी तरह एक्टिवेट हो सकता है।अब कौन कहें कि यह तो सरासर स्मार्ट फोन की एजंसी है। विशुध राजकाज मा ई का हुई गवा रे! सुषमा और वसुंधरा का किस्सा तो आम है।वे बदनाम हैं लेकिन जो परदे के पीछे हैं,असली जलवा उन्हीं का है।तनि ऊ बरखा बहार हुई जाये मानसून आयें न आये।राजा का बाजा बजा।खा लें खाजा। सुषमा के इस्तीफे से यह जलजला तुरंत सूख जायेगा,इसीलिए मैं बार बार कह लिख रहा हूं कि सुषमा स्वराज से इस्तीफा नहीं मांगनी चाहिए। पलाश विश्वास

और दिखाओ! और दिखाओ!

जलवा है  के जलवा का मजा लीजिये।

सीमेंट के इस जंगल में इंसानियत की खुशबू कहां?

मसलन गौर करें कि महाजिन्न की किरपा हो गइलन बाड़ा के फोर जी रिलायंस बहारोबहार। अडानी अंबानी राजकाज के खातिरै महाजिन्न ऐप्पस की बहार पूछु पीछु के आपका भी मन ललचावै ह कि कछु ख्वाहिशें ,कछु ख्वाबों को परवान चढ़ायें या फिर कछु गिला शिकायतें साझा करैके खातिर अच्छे दिनों की मंकी बातें रुबरु साझा कर लें तो फटाक से खरीद लिज्यो रिलायंस फोर जी स्मार्टफोन के गुगल प्ले इसी तरह एक्टिवेट हो सकता है।अब कौन कहें कि यह तो सरासर स्मार्ट फोन की एजंसी है। विशुध राजकाज मा ई का हुई गवा रे!

सुषमा और वसुंधरा का किस्सा तो आम है।वे बदनाम हैं लेकिन जो परदे के पीछे हैं,असली जलवा उन्हीं का है।तनि ऊ बरखा बहार हुई जाये मानसून आयें न आये।राजा का बाजा बजा।खा लें खाजा।

सुषमा के इस्तीफे से यह जलजला तुरंत सूख जायेगा,इसीलिए मैं बार बार कह लिख रहा हूं कि सुषमा स्वराज से इस्तीफा नहीं मांगनी चाहिए।


पलाश विश्वास

सीमेंट के इस जंगल में इंसानियत की खुशबू कहां?


इस दुनिया में सबसे ज्यादा कैंसर मरीज जहां बसते हैं,जहां कभी मैनग्रोव सुंदरवन का स्पर्श था,जहां सत्तर फीसदी आबादी जल,वायु और शब्द प्रदूषण से बीमार है,जहां किसी गली में कोई पुश्तैनी मकान अब बचने को नहीं है और जहां हर उत्पादन इकाई लक्जरी हाउसिंग हब में तब्दील है,वहां कामरेड ज्योतिबसु की कोई प्रसंगिकता नहीं हो सकती।नये कोलकाता में जिनने भी कामरेड बसु की मूर्ति तोड़ी,वह घनघोर यथार्थवादी है,भले ही वह सत्ता समर्थक कोई हो।


बहरहाल पिछले बारह जून की मेरे पिताजी की 14वीं. पुण्यतिथि पर दिनेशपुर में उनकी बंधी हुई मूर्ति से दिलोदिमाग जो लहूलुहान है,कुछ खून और गिरता हुआ महसूस हो रहा है।


मूर्ति कामरेड सुभाष चक्रवर्ती की भी तोड़ी गयी है।जब वे वाम सरकार में मुख्यमंत्री के बाद सबसे शक्तिशाली मंत्री थे,तब हमने उनके साथ राइटर्स में साझा प्रेस कांफ्रेस की है।हमारे घनघोर अंतरंग मित्र हाल में दिवंगत कवि और त्रिपुरा के वरिष्ठतम मंत्री अनिल सरकार के घनघोर मित्र थे सुभाषदा।सुभाषदा की पत्नी रमला दी भी हम लोगों के बेहद नजदीकी रही है।हमने उनके बेडरूम में भी बैठकें की हैं।कुछ खून उनके हिस्से का भी गिर रहा है।


लोगों को गलतफहमी रही है। न मैं कभी बदला हूं और न बदली है मेरी विचारधारा और प्रतिबद्धता।स्वजनों के हक हकूक की लड़ाई में किसी के भी मोर्चे पर खड़े हो जाने की रणनीति मैंने अपने पिता की कैंसर से जूझती जिंदगी से बड़ी लड़ाई के मोर्चे से सीखी है।अपने लोगों का भला हो,भारतीय जनगण को कोई राहत मिले,हिमालय के जख्मों को तनकि मलहम लगे,ऐसी किसी भी पहल के साथ मैं अपने पिता की तरह बेझिझक खड़ा हो सकता हूं रंगों में फर्क के बावजूद।


जनहित और जनसुनवाई के मुद्दे पर मैं किसी भी हद तक किसी के भी साथ खड़ा हो सकता हूं।फिरभी मेरी विचारधारा जो सत्तर के दशक में बनी,जैसे आजतक नहीं बदली है ,वैसे ही आगे भी नहीं बदलने वाली है।


मसलन अंबानी अडानी के जरखरीद गुलामों के फासिस्ट राजकाज के खिलाफ प्रतिरोध की गरज से वैचारिक दुश्मनों के साथ साझा मोर्चा बनाने के मुद्दे पर न्यूनतम कार्यक्रम बनाने की सर्वोच्च प्राथमिकता मेरी है क्योंकि पहले तो हम इस देश में बचे खुचे लोकतंत्र को बचाने की जुगत लगायें,पहले तो रोज रोज मारे जा रहे स्वजनों की जान बचाने की कोशिश करें,फिर विचारधारा के विशुद्ध विकल्पों के बारे में सोचते रहेंगे।


आज सुबह सुबह मुंबई से हमारे मित्र फिरोज मिठीबोरवाला ने ललित मोदी का इंटरव्यू वाला लिंक शेयर किया।फिरोज विश्वव्यवस्था के ताने बाने को मुझसे बेहतर समझते हैं।कश्मीरी जनता के हकहकूक हो या फिलस्तीन के मामलात या इस्लामी आबादी के तमाम मसले,फिरोज की समझ साफ साफ है।जियोनिज्म का विशेषज्ञ तो वह है ही।हमें तो तब झटका लगा था ,जब देशभर के अनेक मित्रों की तरह वह केजरीवाल झांसे में आ गया और उसकी समझ पर मुझे थोड़ा थोड़ा सा शक भी होने लगा।


वैसे मैं राजदीप सरदेसाई से कभी प्रभावित नहीं रहा,मेरे पसंदीदा करण थापर हैं।ललित मोदी के मुखातिब राजदीप का इस इंटरव्यू को लाइव मैंने इंडिया टीवी पर देखा है।आज फिर फिरोज का लिंक खोलकर इसे अपने ब्लागों पर कुछ प्रसंगिक अखबारी कतरनों के साथ अपने ब्लागों पर शेयर करते हुए तमाम चियारियों और चियारिनों के जलवाबहार फिर देखता रहा।


पहले ही दिन मैंने लिखा था,भारतीय राजनीति में इंदिरा गांधी के बाद सबसे सुंदर महिला सुषमा स्वराज के बचाव में पहले ही दिन मुझे मालूम था कि असली लड़ाई भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड,घोड़ों की नीलामी,आईपीएल साफ्ट पोर्न कैसिनो और क्रिकेट बाजार की मुनाफावसूली की बंदरबांट को लेकर है और सुषमा स्वराज तो निमित्त मात्र है।


सुषमा के इस्तीफे से यह जलजला तुरंत सूख जायेगा,इसीलिए मैं बार बार कह लिख रहा हूं कि सुषमा स्वराज से इस्तीफा नहीं मांगनी चाहिए।


अब आप तक फिरोज का भेजा यह लिंक पहुंच चुका होगा,थोड़ा पुरसत निकाल कर देख लें कि ललित मोदी क्या क्या गुल खिला रहे हैं और इस गुल बगीचे में कौन कौन उनके साथ नहीं है।देखेः

LaMo Cited Pawar, Patel & Ambani to Extend UK stay.Lalit Modi Exclusive: Complete Interview From Montenegro Watch this interview with Rajdeep Sardesai. It reveals a lot about the various politicians and corporates involved in the power struggle and control over the IPL, the largest generator of Black Money and thus a major power centre in Indian politics.

http://palashscape.blogspot.in/2015/06/lamo-cited-pawar-patel-ambani-to-extend.html

अब हाथ कंगन को आरसी क्या,आप खुदै ही देख लें।


छह सौ रुपल्ली की पत्रकारिता करने वाले राजीव शुक्ला को मैं जागरण जमाने से जानता हूं जो रविवार के मार्फत सत्ता के गलियारे में पहुंचकर अब भारत के अरबपतियों में अग्रगण्य हैं।


भारतीय कृषि और किसानों के हत्यारे का नाम मराठी नीरो है।भारत के कृषि मंत्री की हैसियत से विदर्भ में किसानों की थोक आत्महत्या और खास उनके गृहक्षेत्र मराठवाड़ा में दुष्काल के वक्त क्रिकेट के राजसूय में बाजार के अश्वमेध के सर्वोच्च पुरोहित रहे हैं और सबसे मुनाफे वाले मुंबई क्रिकेट एसोसिएसन के वे अब भी सर्वेसर्वा हैं।


रिजर्व बैंक की क्या औकात की मुद्रास्फीति और महंगाई पर वह अंकुश कसें चाहे रेट कट करें या नहीं करें।लंबे समयतक भारत के कृषि मंत्री रहे महाराष्ट्र के नीरो  तमाम खेतों और खलिहानों को आग के हवाले करके क्रिकेट कैसिनों पर दांव लगाते रहे।


कारपोरेट लाबिइंग के ये भीष्म पितामह हैं नेहरु जमाने की निरंतरता बनाये रखते हुए और इनकी राजनीतिक चालों की बराबरी एकमात्र भारत के महामहिम ही कर सकते हैं,जिनकी राजकीय छाप इंदिरा जमाने से लेकर हर घोटाले में है और चूंकि संवैधानिक रक्षा कवच के चलते उनके खिलाफ मुकदमा चल नहीं सकता,इस देश के सारे आर्तिक अपराधी ऐश कर रहे हैं।


ललित मोदी की मानवीय अय्याशी तो झांकी है,महामहिमों की झांकी बाकी है।


पहले निर्यात करो,बाजार में खूब किल्लत हो और वायदा बाजार को गर्म करो,फिर दाम आसमान छू लें तो फिर आयात।किसानों को कुछ मिले न मिले,जिन्हें आयात का कमीशन मिले और निर्यात का डालर भी मिलें,उनकी बल्ले बल्ले।नीरो की बनायी इस अर्थव्यवस्था को दुनिया का कोई फेडरल बैंक बदल नहीं सकता और न इस मोर्चाबंदी पर मंकी बातों का कोई बस है।


फिर एअर इंडिया का काम तमाम करने वाले भी ललित मोदी के खासमखास हैं और मजे की बात है कि सूखे और किसानों की थोक आत्महत्या की पूंजी पर उनकी भी राजनीति चलती है और वे नीरो के सिपाहसालार हैं।


सुषमा और वसुंधरा का किस्सा तो आम है।वे बदनाम हैं लेकिन जो परदे के पीछे हैं,असली जलवा उन्हीं का है।तनि ऊ बरखा बहार हुई जाये मानसून आयें न आये।राजा का बाजा बजा।खा लें खाजा।


खास बात यह है कि कारपोरेट वकीलों की लिस्ट कुछ लंबी होती दीख रही है और इसमें माननीया विदेश मंत्री की बेटी भी अब शामिल हैं।


मोदी पर चांदमारी करते हुए चेट्टियार चिदंबरम की पत्नी भी चिटफंड पोंजी इकानामी की चर्चित कारोपोरेट वकील है तो इस पूरे प्रकरण को रफा दफा करने वाले डाउ कैमिकल्स के वकील जो हैं सो हैं, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के खजाने के वारिसान में वे भी श्रीनिवासन और जालमियां के साथ हैं,जिनने मोदी को देश निकाला देकर पूरा बेटिंग,नीलमी,मैच फिक्सिंग, कैसिनों और चियारिनों का साम्राज्य दखल किया हुआ है।


इस वैदिकी सभ्यता में खास दिलचस्पी मनोरंजन के फोर जी जमाने में सिरफ इतना है कि देवमंडल के किस देवता के साथ कौन अप्सरा का शयनकक्ष साझा है और कौन सी चियारिनें किस किसके खाते में हैं।


टीआरपी के नजरिये से टीवी चैनल इस मसले पर गौर फरमाये तो आंखें धन्य हो जायें।बाकीर जो लूटखसोट है,वह तो आर्यवर्चस्व की सनातन नस्ली सभ्यता है।


मसलन गौर करें कि महाजिन्न की किरपा हो गइलन बाड़ा के फोर जी रिलायंस बहारोबहार। अडानी अंबानी राजकाज के खातिरै महाजिन्न ऐप्पस की बहार पीछु पीछु के आपका भी मन ललचावै ह कि कछु ख्वाहिशें ,कछु ख्वाबों को परवान चढ़ायें या फिर कछु गिला शिकायतें साझा करैके खातिर अच्छे दिनों की मंकी बातें रुबरु साझा कर लें तो फटाक से खरीद लिज्यो रिलायंस फोर जी स्मार्टफोन के गुगल प्ले इस तरह एक्टिवेट हो सकता है।अब कौन कहें कि यह तो सरासर स्मार्ट फोन की एजंसी है। विशुध राजकाज मा ई का हुई गवा रे!













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बहरहाल जलवा है  के जलवा का मजा लीजिये।



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