इधर देश दो दिन से म्यांमार के "अन्दर घुस कर " सेना द्वारा आतंकवादियों को मारने पर लहालोट हो रहा था.देश का मतलब मोदी और उनके अंधभक्त.बाकियों को वो देश में गिनते ही नहीं,बाकियों को तो वे समय-समय पर धमकाते रहते हैं कि पाकिस्तान भेज देंगे.गोया मोदी राज न हुआ अंग्रेजी राज हुआ और पकिस्तान न हुआ कालापानी हो गया कि ये जब मर्जी जिसको चाहे वहां भेज देंगे.बहरहाल मोदी कंपनी वाले किसान आत्महत्या,महंगाई आदि से पिचकी छाती को फुला कर 56 इंच का बनाने में मुस्तैदी से लग गए.यह बड़ा गर्व से बताया जा रहा था कि देश की सेना ने म्यांमार के "अंदर घुस कर" आतंकवादियों को मार गिराया.इसमें "अंदर घुस कर",पर विशेष जोर था.लेकिन समाचार एजेंसी ए.एफ.फी.के हवाले से आई ख़बरें बता रही हैं कि म्यांमार सरकार तो इस बात का खंडन कर रही है कि भारतीय सेना ने उनकी सीमा के अंदर घुस कर कोई अभियान चलाया.म्यांमार सरकार का तो कहना है कि भारतीय सेना ने म्यांमार से लगती हुई भारतीय सीमा के अंदर ही यह कार्यवाही की.
चलो यह चल जाता,अपनी वीरता को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने के चक्कर में नमक-मिर्च लगाते हुए बॉर्डर थोडा आगे-पीछे खिसका दिया होगा.लेकिन कोढ़ में खाज ये कि जिन आतंकवादियों को मार गिराने का दावा करके छाती फुलायी जा रही है,वो एन.सी.एन(के) वाले तो कह रहे हैं कि हम तो मरे ही नहीं.वो कह रहे हैं कि सेना ने हमारे लोगों को मारा तो उनके फोटो या मृत शरीर दिखाएं.वो तो ये भी दावा कर रहे हैं कि टी.वी.चैनलों पर जिस इलाके के फुटेज दिखाए जा रहे हैं,वहां उनके कैम्प हैं ही नहीं.
सरकार के मंत्रियों के बयानों में भी विचित्र विरोधाभास है.भूतपूर्व फौजी राज्य मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ कह रहे हैं कि मोदी जी ने आदेश दिया था कि म्यांमार के साथ ये hot pursuit में जाया जाए.लेकिन दूसरे राज्य मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह कह रहे हैं कि hot pursuit नहीं हुआ,म्यांमार को विश्वास में लेकर ही उनकी सीमा के अंदर भारतीय सेना ने ऑपरेशन चलाया.
या तो राव इन्द्रजीत सिंह सही कह रहे हैं या फिर राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़.दोनों एक ही सरकार में राज्य मंत्री हैं.मोदी एंड कंपनी का दावा कि म्यांमार के अंदर घुस कर मारा,म्यांमार का बयान कि हमारी सीमा के भीतर नहीं,भारतीय सीमा में ही मारा और एन.सी.एन(के) वाले कह रहे हैं कि हमें तो मारा ही नहीं.ये सब दावे एक साथ तो सच नहीं हो सकते,कोई तो बरगला रहा है,कोई तो ऊँची फेंक रहा है.................
BiharWatch, Journal of Justice, Jurisprudence and Law is an initiative of Jurists Association (JA), East India Research Council (EIRC), Centre for Economic History and Accountability (CEHA) and MediaVigil. It publishes follow up research on the performance of just and unjust formal and informal anthropocentric institutions and their design crisis.
Thursday, June 11, 2015
गोया मोदी राज न हुआ अंग्रेजी राज हुआ और पकिस्तान न हुआ कालापानी हो गया कि ये जब मर्जी जिसको चाहे वहां भेज देंगे.
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