Thursday, July 16, 2015

बेदखली अभियान हो गया और तेज कत्लेआम के इंतजाम भी चाकचौबंद बुलबुलों के सौदागर असलियत बता रहे नहीं कि सारे वैश्विक इशारे लाल निशान पार, पार अमेरिकी साम्राज्यवाद ने तेल के कुंओं से लेकर पानी पर कब्जे के लिए समूची अरब दुनिया और मध्यएशिया को युद्ध गृहयुद्ध और आतंकवाद की आग में धकेल दिया।तालिबान,अल कायदा से लेकर इस्लामिक स्टेट और अरबिया वसंत उनकी विश्वव्यवस्था के लिए जिस तरह अनिवार्य रही है,उसी तरह दक्षिण एशिया में हिंदुत्व का आतंक विश्वव्यवस्था के उपनिवेश को बहाल रखने के लिए अनिवार्य है।उतना ही अनिवार्य है मुक्तबाजारी मनुस्मृति अभियान और नरसंहार अश्वमेध अभियान। पलाश विश्वास

बेदखली अभियान  हो गया और तेज

कत्लेआम के इंतजाम भी चाकचौबंद

बुलबुलों के सौदागर असलियत बता रहे नहीं कि सारे वैश्विक इशारे लाल निशान पार, पार

अमेरिकी साम्राज्यवाद ने तेल के कुंओं से लेकर पानी पर कब्जे के लिए समूची अरब दुनिया और मध्यएशिया को युद्ध गृहयुद्ध और आतंकवाद की आग में धकेल दिया।तालिबान,अल कायदा से लेकर इस्लामिक स्टेट और अरबिया वसंत उनकी विश्वव्यवस्था के लिए जिस तरह अनिवार्य रही है,उसी तरह दक्षिण एशिया में हिंदुत्व का आतंक विश्वव्यवस्था के उपनिवेश को बहाल रखने के लिए अनिवार्य है।उतना ही अनिवार्य है मुक्तबाजारी मनुस्मृति अभियान और नरसंहार अश्वमेध अभियान।

पलाश विश्वास


खून एक हर कतरे का हिसाब किससे मांगें किसी का जमीर कोई साबूत बचा हो तो हिसाब मांगें।नदियां खून की अबाध हैं ,जैसे अबाध हैं महाजनी पूंजी इन दिनों।धर्म हुआ कंडोम कारोबार तो पवित्र अपवित्र सारा जल बंधा हुआ बनता जाता जहरीला शीतलपेय,जिसे पीकर जी रहे हैं हम मरमरकर।जयश्री राम।जयश्री राम।


सुखीलाला का राजकाज।जयश्री राम।जयश्री राम।

बाजार में पेशन।जयश्री राम।जयश्री राम।

रेलवे का निजीकरण।जयश्री राम।जयश्री राम।

सराकीर रिफाइनरी का काम तमाम।जयश्री राम।जयश्री राम।

अंबानी बेचें तेल,अडानी का निजी रेलपथ,टाटा करें कायाकल्प।भारतीय रेल का भी काम तमाम।जयश्री राम।जयश्री राम।

तीसाती के यहां छापे।मालेगांव दफा रफा।जयश्री राम।जयश्री राम।




भारत अमेरिका परमाणु संधि के लिए अगर कामरेड प्रकाश कारत खलनायक हुए तो कृषि आंदोलन के मौलिक मसीहा कामरेड रणदिवे का क्या कहिये।कामरेडों ने परमामु संधि का मुद्दा छोड़ दिया है और अब अमेरिका इजराइल परमाणु संधि के बहाने भारत देश को परमाणु भट्टी में जोंकने का महिमामंडन हो रहा है।


शेयर बाजार फिर उछाले पर है कि कर्ज का सूद भरने के लिए फिर कर्ज दिया गया है यूनान को।संकट न खत्म हुआ न टला है।उदारीकरण के फैसले के खिलाफ सरकार और संसद के खिलाफ खुली बगावत है और तमाम बैंक ,तमाम अखबार बंद हैं।जल रहा है यूनान और सिर्फ पेट्रोल  बम के धमाके गूंज रहे हैं।


दशकों से जलते हुए तेलकुंओं की तमाम तस्वीरे धुंधली है और समुंदर में तेल के फैलाव में फंसे पक्षियों के पंख तेल से अब भी लथपथ हैं,जान निकली कि न निकली हमें नामालूम है।



बहुत शोर है कि बदल गये सत्तर दशक के सारे लोग,इने गिने चेहरे हैं जिनका रंग रोगन हो गया,टीवी पर अखबारों में उनका चेहारा चमके दमके सुपरस्टार।वे ही समीकरण बनावैं,बिगाड़े समीकरण वे हीं।राजकाज उन्हीं का।मुल्क हुआ महाजिन्न का।हुक्म चले वाशिंगटन का।सारा लोककल्याण कारपोरेट।हिफाजत का नाम हो गया सलवा जुड़ुम,आफसा या फिर मोसाद या सीआईए या ड्रोन या आधार निराधार।


जमीन पर और जमीन एक भीतर भी जो लोग अब भी लड़ रहे हैं जनता के हकहकूक की लड़ाई जो हरगिज नहीं बदले,उनपर लेकिन नजर किसी की नहीं।


बदलने वालों के साथ हुजमोहुजुम भेड़िया धंसान हैं,जो बदले नहीं हैं यकीनन,वे सारे लोग तन्हा तन्हा है।


निजीकरण और विनिवेश के माहौल में राष्ट्रीयकरण और डा. अशोक मित्र को याद कीजिये।


बंगाल में वाम शासन जो रहा पैंतीस साल,उसकी असल वजह भूमि सुधार की क्या कहिये।


बंगाल में दीदी ने कोलकाता विश्वविद्यालय के उपकुलपति सुरंजन दास को बागी यादवपुर विश्वविद्यालय की कमान सौंप दी है जो मुख्यमंत्री के खास चहेते बताये जाते हैं तो जाने माने अर्थशास्त्री सुगत मार्जित कोलकाता के उपकुलपति बना दिये गये हैं।


देश में एफटीआई से लेकर आईसीएचआर तक तमाम नियुक्तियों के मद्देनजर यह कोई अनहोनी नहीं है लेकिन।


खास बात तो यह है कि जिस विश्वविद्यालय के उपकुलपति सर आशुतोष मुखोपाध्याय स्वायत्तता को विश्वविद्यालयों की बैठते ही सुगत मार्जित ने ऐलान कर दिया कि वे सरकारी आदमी हैं और यह कोई राज नहीं है,जिसे छुपाया जाये।उनके मुताबिक सभी संस्थानों में सरकार के नजदीकी लोगों की ही नियुक्तियां होती हैं।


हम कोई विश्वविद्यालय की स्वायत्तता के मसल पर ऐसा लेकिन लिख नहीं रहे हैं।रेलवे के तुरंत निजीकरण की सिफारिश करने वाले अर्थशास्त्री अभिरुप सरकार के साथ साथ बुद्धदेव भट्टाटार्य के पूंजीवादी वामपंथ के मुख्य सलाहकारों में अर्थशास्त्री सुगत मार्जित भी खासमखास थे।दोनो के दोनों पाला बदलते ही ममता पंथी हो गये हैं।


बगुलावृंद के बयानों,उनके विश्लेषणों और उनकी लफ्पाजियों के सिलसिले में हम अरथव्यवस्था और राजकाज का सच बताना चाहते हैं कि वैश्विक इशारे सारे लाल निशान के पार हैं।जबकि सबकुछ ठीकठाक की हांक लगाकर कैदियों को हांका जा रहा है और बुलबुलों के सौदागर भरपूर मुनाफावसूली के दौर में हैं।  


बेदखली अभियान  हो गया और तेज।

कत्लेआम के इंतजाम भी चाकचौबंद।


बुलबुलों के सौदागर असलियत बता रहे नहीं कि सारे वैश्विक इशारे लाल निशान पार पार।


संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरु होने जा रहा है।हम पहले ही बता चुके हैं कि विश्व व्यवस्था के उपनिवेशों में सरकारें और संसदें कुछ भी तय नहीं करती हैं और सबकुछ विश्वव्यवस्था तय करती है।संसदीय सहमति इसीलिए अनिवार्य है चाहे जो संसदीय नौटंकिया हों।


कानून पास हो या न हो बेदखली अभियान जारी रहेगा यकीनन।


वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति सो हिंदू राष्ट्र में नरसंहार अश्वमेध भी जारी रहेगा।


धर्म कर्म की इस मनभावन कंडोम आस्था की आड़ में लेकिन बुलबुलों का कारोबार खूब जोर है।मुक्त बाजार के लिए निवेशकों की महाजनी पूंजी के लिए यह कंडोम आस्था बहुत काम की चीज है,जिसके बिना विश्वव्यवस्था कहीं चल ही नहीं सकती।


अमेरिकी साम्राज्यवाद ने तेल के कुंओं से लेकर पानी पर कब्जे के लिए समूची अरब दुनिया और मध्यएशिया को युद्ध गृहयुद्ध और आतंकवाद की आग में धकेल दिया।तालिबान,अल कायदा से लेकर इस्लामिक स्टेट और अरबिया वसंत उनकी विश्वव्यवस्था के लिए जिस तरह अनिवार्य रही है,उसी तरह दक्षिण एशिया में हिंदुत्व का आतंक विश्वव्यवस्था के उपनिवेश को बहाल रखने के लिए अनिवार्य है।उतना ही अनिवार्य है मुक्तबाजारी मनुस्मृति अभियान और नरसंहार अश्वमेध अभियान।


जमीन अधिनियम संसद में पास हो न हो,थोक पर्यावरण हरी झंडी से बेदखली अभियान और तेज है और सारी कारपोरेट परियोजनाएं चालू हैं तो मेकिंग इन के तहत संपूर्ण निजीकरण और संपूर्ण विनिवेश का जलवा है और नागरिकों की संप्रभुता, गोपनीयता, उनके हकहकूक और जमापूंजी,बीमा ,भविष्यनिधि से लेकर पेंशन तक बाजार के हवाले हैं।


अब इस बात को समझ लें कि अरब दुनिया में इस्लाम के नाम पर जो तबाही मची,उसके नाम अगर इराक अफगानिस्तान और लीबिया, सीरिया और जार्डन हो सकते हैं तो हिंदुत्व के नाम क्या क्या होने वाला है।


फिलहाल गुजरात नरसंहार,सिख नरसंहार से लेकर बाबरी विध्वंस के आगे पीछे तमाम दंगों के तमाम हत्यारे खुल्ला घूम रहे हैं और उनकी हैसियतें इस स्तर की हैं बुलबुलों की अपार महिमा से भारतीय जनता,भारतीय लोकतंत्र,भारतीय कायदे कानून ,भारतीय संविधान से लेकर भीरत राष्ट्र तक की खैर नहीं।


अब इस बात को समझ लें कि तीस्ता शेतलवाड़ के यहां दनादन छापे पड़ रहे हैं तो दंगाइयों और हत्यारों के खिलाफ कोई कार्वाई नहीं हो रही है।


शारदा फर्जीवाड़ा और चिटफंड के सारे मामलात दफा रफा है।आईपीएल कैसिनों के सारे चियारिये चियारिनें पुरदम मदमस्त सकुशल हैं और बाकी तो ब्रांडिंग को बचाने की कवायद है।बकरे सिर्फ होने हैं हलाल।पुरोहितों को काहे का डर।


पत्रकारों पर देश भर में हमले हो रहे हैं तो व्यापमं से चायबागानों,कलकारखानों और खेत खलिहानों के बाद मृत्यु जुलूस निकल रहा है।


हिमांशु कुमार जी के ताजा अपडेट के मुताबिक इन तमाम घोटालों में जो हुआ,उससे भयंकर आदिवासियों के हजारों गांवों की हत्या का है।उनका वह अपडेट बी हम इस आलेख के साथ नत्थी कर रहे हैं।


सत्तावर्ग की संवेदना कितनी नाजुक है,खामोशी का रसायन कितना कारगर है और राजनीति कितनी जहरीली है,बिहार के चुनावी महाभारत उसका मुकम्मल नक्शा है।मसीहा रोज पैदा किये जा रहे हैं और लोग बेमौत मारे जा रहे हैं।


मध्यबिहार के नरसंहारों के अपराधी रिहा हैं और लखीसराय में एक दलित को मजदूरी मांगने के अपराध में थ्रेशर में टुकड़ा टुकड़ा कर दिया गया लेकिन राजनीति खामोश है।जनपक्षधरता भी खामोश है।


इसीतरह राजस्थान के नागौर में टैक्टर से कुचल कर मार दिये गये दलित और उनकी औरतों के साथ न सिर्फ वीभत्स बलात्कार हुए ,उनके स्त्री अंग भी तहस नहस कर दिये गये।भंवर मेघवंशी ने वारदात के दो महीने बाद फिर फालोअप लगाया है,लेकिन कोई मोमबत्ती कहीं नहीं जल रही है।


इसी तरह ओड़ीशा के बोलांगीर जिले की सत्रह साल की दलित कन्या के लिए कोई मोमबत्ती कहीं जली ही नहीं जिसका अपराध मात्र इतना था कि उनसके मां बाप दलित आदिवासी आंदोलन के कार्यकर्ता हैं।


खून एक हर कतरे का हिसाब किससे मांगे किसा का जमीर कोई साबूत बचा हो तो हिसाब मांगे।नदियां खून की अबाध है ,जैसे अबाध हैं खून की नदियां इन दिनों।धर्म हुआ कंडोम कारोबार तो पवित्र अपवित्र सारा जल बंधा हुआ बनता जाता जहरीला शीतलपेय,जिसे पीकर जी रहे हैं हम मरमरकर।जयश्री राम।जयश्री राम।

आदिवासियों की ज़मीनें बड़ी कमापनियों को देने के लिए बड़ी कंपनियों से पैसा खाकर मुख्य मंत्री की देखरेख में विशेष पुलिस अधिकारियों और पुलिस के हाथों आदिवासियों के साढ़े छह सौ गाँव जलवा दिए गए थे .

साबित हो गया है कि मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार के व्यापम नामक घोटाले में मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ज़रूरी जानकारियाँ छुपाई थीं .
जिसने भी इस मामले की सच्चाई जानने की कोशिश करी उसे जान से मार डाला गया .
अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की घोषणा करी है .
लेकिन भाजपा के राज में सीबीआई कुछ कर पायेगी इस पर मुझे शक है .
क्योंकि भाजपा के राज में इस तरह के एक मामले का मुझे भी अनुभव है
छत्तीसगढ़ में भी भाजपा का राज है
वहाँ के मुख्य मंत्री रमन सिंह हैं
आदिवासियों की ज़मीनें बड़ी कमापनियों को देने के लिए बड़ी कंपनियों से पैसा खाकर मुख्य मंत्री की देखरेख में विशेष पुलिस अधिकारियों और पुलिस के हाथों आदिवासियों के साढ़े छह सौ गाँव जलवा दिए गए थे .
सुप्रीम कोर्ट ने इस के खिलाफ़ फैसला दिया इसे संविधान विरोधी बताया और सरकार को आदेश दिया कि पुलिस वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज़ करो और जलाये हुए गाँव को दुबारा बसाओ
लेकिन सरकार ने एक भी पुलिस वाले के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज़ नहीं करी, एक भी गाँव को दुबारा नहीं बसाया
जब मैंने और मेरे साथियों ने ऐसा करने की कोशिश करी तो मुझे छत्तीसगढ़ छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया और मेरे साथियों को जेल में डाल दिया गया ,
इसके बाद सरकार ने छत्तीसगढ़ में मुझ पर ढेरों फर्ज़ी मामले बना बना कर मेरे खिलाफ़ अनेकों वारंट निकाल दिए
अब मेरे छत्तीसगढ़ जाने पर पाबंदी है
इसके बाद सन 2011 में छत्तीसगढ़ सरकार ने फिर से तीन आदिवासी गाँव को जलाया .
गाँव के नाम थे ताड़मेटला, तिम्मापुरम और मोरपल्ली
इन तीन गाँव में पुलिस ने आदिवासियों के तीन सौ घर जला दिए पांच आदिवासी औरतों से बलात्कार किया
सोनी सोरी का भतीजा आदिवासी पत्रकार लिंगा कोडोपी जलाये गए गाँव में जाकर लोगों से मिला और इस घटना की जानकारी इकट्ठा करी .
इससे घबरा कर पुलिस ने पत्रकार लिंगा कोडोपी को घर से उठा लिया और इसके बाद दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक अंकित गर्ग के घर ले जाकर लिंगा कोडोपी के मलद्वार में मिर्च और तेल में डूबा कर डंडा घुसेड़ दिया गया
इसके बाद लिंगा कोडोपी को फर्जी नक्सली मामलों में फंसा कर ढाई साल तक जेल में रखा गया.
गाँव जलाये जाने के तुरंत बाद मैंने दिल्ली से फोन कर के दंतेवाड़ा के कलेक्टर आर प्रसन्ना को फोन पर इन तीन गाँव को जलाये जाने की सूचना दी थी
कलेक्टर ने गाँव वालों के लिए खाने की सामग्री लेकर गाँव में जाने की कोशिश करी
लेकिन ऊपरी आदेश मिलने के बाद दंतेवाड़ा के तत्कालीन एसएसपी कल्लूरी ने कलेक्टर के सीने पर पिस्तौल टिका दी और कहा कि खबरदार जो जलाये हुए गाँव में गए
हमने इस बात पर शोर मचाया तो सरकार ने कहा कि ठीक है अगर कलेक्टर और एसपी का झगड़ा हुआ है तो दोनों को ट्रांसफर कर देते हैं
दोनों का ट्रांसफर किया गया लेकिन कुछ दिनों बाद गाँव जलाने वाले पुलिस अधिकारी कल्लूरी को प्रमोशन देकर वापिस ले आया गया .
गाँव जलाये जाने के तुरंत बाद मैंने फोन पर स्वामी अग्निवेश को गाँव जलाने की इस घटना के बारे में सूचना दी और उनसे आग्रह किया कि आप उन् गाँव में जाइए और आदिवासियों के लिए राहत सामग्री ले जाइए
स्वामी अग्निवेश ने जब इन गाँव में जाने की कोशिश करी तो उन पर सरकार ने हमला करवाया
स्वामी अग्निवेश ने खुद पर हुए हमले की बात की शिकायत सर्वोच्च न्यायालय में करी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच सीबीआई करेगी
जब सीबीआई की टीम मुख्य मंत्री रमन सिंह के इस खूनी खेल की जांच करने गयी तो छत्तीसगढ़ में सीबीआई की टीम पर सरकार की देख रेख में नियुक्त विशेष पुलिस अधिकारियों द्वारा हमला किया गया
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में इस बात की गुहार करी कि सीबीआई टीम को छत्तीसगढ़ में सरकारी विशेष पुलिस अधिकारियों के हमलों से बचाया जाय
सीबीआई ने सरकार के हमलों से बचाने के लिए खुद के लिए सुरक्षा माँगी
अब सरकार ही सीबीआई पर हमला करेगी तो उसे कौन बचा सकता है ?
आज तक इस घटना की कोई जांच नहीं हुई
किसी को सज़ा नहीं हुई
सीबीआई द्वारा सर्वोच्च न्यायलय में खुद पर हुए हमले के बारे में दिया गया शपथ पत्र संलग्न है
ये भाजपाई और संघी किसी कानून और संविधान को नहीं मानते
अगर ज़रूरत पड़े तो ये लोग सीबीआई पर भी हमला कर सकते हैं
असली देशद्रोही हत्यारे यही संघी भाजपाई हैं
हमें इनसे ही देश को बचाना है
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