Saturday, August 9, 2014

गंगा जल मार्ग परियोजना के खिलाफ़ प्रस्ताव पारित

गंगा जल मार्ग परियोजना

सभा प्रस्ताव

जुलाई ३१, २०१४
पटना

यह सभा देश के संज्ञान मे यह लाना चाहती है कि फरक्का बराज के कारण मछलियो का आवागमन अवरुध हो गया है और गंगा की जैव विविधिता नष्ट होती जा रही है जो कि लम्बे समय मे देश के लिये घातक होगा. गंगा के प्रति देश की आस्था जल की गुणवत्ता के कारण है जो कि गंगा के बहाव के रुकने के कारण नष्ट होती है। फरक्का बराज के कारण गंगा का मुक्त बहाव अवरुध हो गया है। और बराज के उपर और नीचे दोनों तरफ बड़े पैमाने पर भूमि का कटाव हुआ है और लाखो लोग विस्थापित हुए है.

गंगा मे जल का प्रवाह अविरल बनाने के लिये गंगा का कम शोषण किया जाये. गंगा पर जलमार्ग बनाने के लिये हल्दिया से इलाहाबाद तक बराज बनाने से ये दुष्प्रभाव पुरे क्षेत्र मे प्रभावी हो जायेंगे. विशेष तौर पर गंगा की बाढ़ के पानी को बहा ले जाने की क्षमता घट जाएगी और बिहार मे बाढ़ का प्रकोप बढ जाएगा।

गंगा का ढुलाई के लिये उपयोग का यह सभा समर्थन करती है। परन्तु इस कार्य के लिये बराज बनाना जरूरी नहीं है. इस कार्य को ड्रेजिंग करके और छोटे जहाजो के माध्यम से सम्पादित किया जा सकता है. हुगली मे गंगा के पानी को बढाने के लिये ऐसे इंजीनियरिंग स्ट्रक्चर बनाने चाहिये जिससे गंगा की मूल धारा पर अवरोध न हो। स्पर ड्रेजिंग और अन्य उपायो से पानी को हुगली मे ले जाना चाहिये।

यह सभा मांग करती है कि फरक्का बराज के लाभ एवम हानि का समग्र मूल्यांकन करके देश के सामने पेश किया जाये और तब तक हल्दिया से इलाहाबाद तक बराज बनाने की योजना को स्थगित रखा जाये. गंगा जल मार्ग परियोजना को सार्वजनिक किया जाये और उस पर देश मे बहस करवाया जाये.           


प्रस्ताव बिहार राज्य आपदा नियन्त्रण प्राधिकरण के सभागार मे आयोजित परिचर्चा मे पारित हुआ जिसमे १०४ बुद्धीजिवियो, वैज्ञानिको और समाजशास्त्रियो ने भाग लिया और गंगा बचाओ समिति का गठन हुआ। 

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