चूँकि लंका का राजा कभी रावण था , जिसने सीता माता को हरा , इस लिए वहां से नारियल , कदली और चाय पर रोक लगे । यू पी में एक मुसलमान शायद गो मांस खा रहा था । नहीं भी खा रहा था तो कभी न कभी अवश्य खायेगा । अन्यथा दूसरे मुल्क़ों में रहने वाले इसके भाई बिरादर तो खाते ही होंगे । मार डालो । ग़ुलाम अली जिस मुल्क़ से बावस्ता है , उसकी वाहिनी हमारी सरहदों पर हमला करती है । मुम्बई में न गा पाये ।
क्या कहूँ । हतप्रभ और सन्न हूँ । एक ओर मेरे हाथ में यह अधुनातन मोबायल और दूसरी ओर ऐसा पूर्व मध्य युगीन वैचारिक निबिड़ान्धकार । तमसो मा ज्योतिर्गमय । हे सभी ईश्वरो तुम्ही पूषन् को मार्ग सुझाओ ।
BiharWatch-Journal of Justice, Jurisprudence and Law is an initiative of Jurists Association (JA), East India Research Council (EIRC), Centre for Economic History and Accountability (CEHA) and MediaVigil. It publishes research on diverse notions of justice and the performance of just and unjust formal and informal anthropocentric institutions and their design crisis with reference to the first principle.
Thursday, October 8, 2015
Rajiv Nayan Bahuguna Bahuguna Inline image 1 चूँकि लंका का राजा कभी रावण था , जिसने सीता माता को हरा , इस लिए वहां से नारियल , कदली और चाय पर रोक लगे । यू पी में एक मुसलमान शायद गो मांस खा रहा था । नहीं भी खा रहा था तो कभी न कभी अवश्य खायेगा । अन्यथा दूसरे मुल्क़ों में रहने वाले इसके भाई बिरादर तो खाते ही होंगे । मार डालो । ग़ुलाम अली जिस मुल्क़ से बावस्ता है , उसकी वाहिनी हमारी सरहदों पर हमला करती है । मुम्बई में न गा पाये । क्या कहूँ । हतप्रभ और सन्न हूँ । एक ओर मेरे हाथ में यह अधुनातन मोबायल और दूसरी ओर ऐसा पूर्व मध्य युगीन वैचारिक निबिड़ान्धकार । तमसो मा ज्योतिर्गमय । हे सभी ईश्वरो तुम्ही पूषन् को मार्ग सुझाओ ।
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