भोजपुर के बड़हरा विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत कोइलवर स्टेशन के यात्री पड़ाव में चुनावी बातचीत के दौरान
एक बुजुर्ग ने कहा, “बेकार ही हमसे खफा है, हम तो सजा भी पाकीजगी से देते है, हाथ तक नहीं उठाते
नजरो से गिरा देते है”. बात तथाकथित बाहुबली सुरेन्द्र सिंह की पत्नी, जनता दल यूनाइटेड की भूतपूर्व
विधायिका और वर्तमान में भाजपा की उम्मीदवार (अक्टूबर 2015 के शपथ पत्र के अनुसार 52 वर्षीय) आशा देवी के बारे में हो रही थी. अपने शपथ पत्र में इनकी शैक्षिक
योग्यता के बारे में सिर्फ इतना लिखा है कि ये ‘शिक्षित’ है. इन्होने 2010 के अपने शपथ पत्र में बताया था कि अपनी पढ़ाई कस्तूरबा हाई
स्कूल, बिहिया, भोजपुर से की है. इन्होने यह पढ़ाई किस वर्ष पुरी की यह नहीं बताया
मगर शपथ पत्र में खुद को नॉन- मैट्रिक लिखा है. इन्होने 2010 के अपने शपथ पत्र में अपनी उम्र 40 वर्ष बताई थी.
सुबह-सुबह कोइलवर- बबुरा रोड पर टहलते हुए दौलतपुर पंचायत के पूर्व मुखिया और
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रखंड अध्यक्ष, प्रभुनाथ राय ने चुनावी
परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मतदाता तो अपना मन बना चुका है. एक तबका ‘चित्तौरगढ़’ बचाने की फिक्र में है तो दूसरा
तबका महागठबंधन के साथ खड़ा है. ‘चित्तौरगढ़’ वालो को यह तय करना है कि वो पूर्व
मंत्री व वर्त्तमान विधायक और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार राघवेन्द्र प्रताप सिंह (62 वर्ष) को चुने या भाजपा के
उम्मीदवार को. वैसे बक्सर-पटना पैसेंजर ट्रेन में यात्रा के दौरान कुछ लोगो का
कहना था कि राजद के विधायक के रूप में राघवेन्द्र प्रताप सिंह का नाम और काम लोग
भूले नहीं है मगर लालू प्रसाद यादव की पार्टी में टूट के समय नीतीश कुमार के साथ
चले जाने के कारण राजद ने उन्हें टिकट नहीं दिया. राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने मैट्रिक
तक की शिक्षा टी. ए. ज. उच्च विद्यालय, धमार से 1968 से प्राप्त की. उनके
स्थान पर सरोज यादव को टिकट दिया गया है. महागठबंधन को उम्मीद है कि उन्हें नरेन्द्र
मोदी सरकार के काम से जो असंतुष्ट है उनका और यदुवंशीयो के साथ-साथ नीतीश के
समर्थक अति पिछड़ो का व्यापक मत मिलेगा. 33 वर्षीय सरोज यादव के
शपथ पत्र के अनुसार उन्होंने गीता संस्कृत विद्यालय, नवादा, आरा से मध्यमा
(मैट्रिक) की परीक्षा को 2006 में उत्तीर्ण किया.
भाजपा के एक वरिष्ट कार्यकर्ता से जब ये पुछा गया कि क्या वे आशा देवी को
नामांकन करवाने के लिए जा रहे है तो उन्होंने मन मसोस कर कहा कि उनके जाने का सवाल
ही नहीं उठता है क्योकि उन्हें पार्टी या उम्मीदवार द्वारा बुलाया ही नहीं गया है.
बावजूद इसके उन्होंने कहा कि जदयू विधायक के रूप में आशा देवी के व्यवहार से
उन्हें कोई परेशानी नहीं थी मगर पार्टीयों में उम्मीदवार चयन की कोई तो प्रक्रिया
और मापदंड तय होनी चाहिए. आरा सांसद, राज कुमार सिंह के बयान सबके जेहन में
है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के तरफ से ललन
यादव है जो कई दशको से पार्टी के साथ प्रखंड स्तर पर काम करते रहे है. शपथ पत्र के
मुताबिक 61 वर्षीय ललन यादव महाराजा कॉलेज, आरा से 1976 के स्नातक है. उनका दावा है कि उनकी पार्टी विधान सभा क्षेत्र के 37-38 पंचायतो और 247 बूथो पर मजबूती से मौजूद है और गरीब जनता के
साथ साल-दर- साल काम करती रही है. उनकी राजनीती चुनाव केन्द्रित नहीं जन हित
केन्द्रित रही है. जीतने और हारने से उनकी पार्टी और जनता के बीच के सम्बन्ध प्रभावित
नहीं होते है. पार्टी हरेक प्रखंड में कॉलेज, हर जिले में तकनिकी और बीएड कॉलेज,
महादलित टोलो में सामुदायिक भवन, इन टोलो में रोड और पर्चाधारी लोगो को जमींन दखल
कराने, बतैदार किसानो के लिए पहचान पत्र, इंदिरा आवास योजना, पोशाक-साइकिल योजना में
भ्रष्टाचार के मुद्ददे, शिक्षा के स्तर में गिरावट के खिलाफ, बंद पड़े स्वास्थ्य
उपकेन्द्रो को खुलवाने, महिला डाक्टरो की बहाली, पुस्तकालय और खेल के मैदान, शराब
बिक्री पर रोक लगाने, पानी के अभाव में मकई के नष्ट फसल के लिए मुआवजा, घर-घर में
शौचालय और सामुदायिक शौचालय, BPL परिवारों के लिए ५ किलो की जगह १० किलो अनाज के
लिए, बाज़ार में चीजो के लिखित मूल्य से ज्यादा वसूलने के खिलाफ, क्षेत्र में सिचाई
की व्यवस्था, शिवपुर फरहदा में जल जमाव की समस्या से निदान आदि मसलो के लिए संघर्ष
कर रही है. पार्टी ने क्षेत्र की जनता और पर्यावरण बचाओ, जीवन बचाओ संघर्ष समिति और
खेत बचाओ जीवन बचाओ संघर्ष समिति के साथ मिलकर 18 जिलो के जहरीले औद्योगिक
कचरे और 150 अस्पतालों के कचरे को जलाने और दफनाने वाले हैदराबाद की
कम्पनी के कारखाने को सोंन नदी के पेट में स्थापित होने रोक कर बड़हरा क्षेत्र के
जन स्वास्थ्य और पर्यावरण को बचाया है. पार्टी ने 50 से ज्यादा देशो में
प्रतिबंधित कैंसर कारक एस्बेस्टस के कारखाने के खिलाफ गिद्धा में चल रहे संघर्ष का
साथ दिया है जिससे कि मजदूरो और स्थानीय लोगो को जानलेवा रोगों से बचाया जा सके.
गिद्धा में यह कैंसरकारक कारखाना बंद हो गया है. पार्टी चाहती है कि इस इलाके में
कृषि आधारित कारखाने लगे.
गौरतलब है कि क्षेत्र में स्थित T.B.
अस्पताल और मानसिक रोग
अस्पताल की स्थिति दयनीय है. सोन नदी में हो रहे अँधा-धुंध बालू खनन से इलाके भूजल
का स्तर लगातार नीचे जा रहा है और कोइलवर-बबुरा सड़क की स्थिति चुनाव के घोषणा के ठीक
पहले तक बहुत ख़राब थी और इन दिनों आनन फानन में ठीक किया जा रहा है.
4 अक्टूबर की शाम को बड़हरा
थाना के सामने पडरिया फुटबॉल मैदान में युवा जिज्ञासु मंच ने एक आम सभा का आयोजन
किया जिसमे समाजवादी पार्टी, भाजपा और हिन्दुस्तान विकास दल के तीन उम्मीदवार शामिल हुए. आयोजकों ने दावा किया कि अन्य उम्मीदवारों को भी बुलाया
गया था मगर वे नहीं आये. भाकपा-माले के प्रखंड सचिव नन्द जी और उनके उम्मीदवार ललन
यादव से जब इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ये सरासर गलत है उन्हें
इस आम सभा की कोई सूचना नहीं दी गयी थी.
राजद के कोइलवर प्रखंड
अध्यक्ष, प्रभुनाथ राय ने बताया कि महागठबंधन के उम्मीदवार सरोज यादव को इस आम सभा
के लिए बुलाया था मगर आयोजकों ने निमंत्रण प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया इसलिए ऐसे
आयोजन में शामिल होना संभव नहीं था.
विधायक राघवेन्द्र प्रताप सिंह से जब उनके और उनके पिता के कार्यकाल में हुए
बड़हरा के शिक्षा और विकास का रिपोर्ट माँगा गया. गौर तलब है कि इनके पिता अम्बिका
शरण सिंह 1967-1969 तक कांग्रेस पार्टी से विधायक रहे, 1977-1980 तक जनता
पार्टी से विधायक रहे और उसके
बाद राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने 1985 से 2005 तक इस क्षेत्र की जनता दल और राजद की तरफ से नुमाईंदगी की. साल 2005 में वे जदयू की आशा देवी से हार गए. मगर 2010 में वो आशा देवी को हरा कर राजद से विधायक बन गए. उनसे 30-35 सालों का रिपोर्ट माँगा गया. मगर वो कुछ ख़ास गिनवा नहीं पाए क्योकि जनता ने
सवालो की झरी-सी लगा दी. जब उन पर जात-पात करने का आरोप लगाया गया तो उन्होंने
जवाब में अपने कार्यकाल में गजियापुर गाव में इंदिरा आवास अंतर्गत बनाए गए घरों का
जिक्र किया. लोगो ने कहा कि यह तो सिर्फ एक गाव की बात है बाकी गावों में क्या
किया. जनता ने उनसे उनके मंत्रित्व काल में बड़हरा क्षेत्र के विकास के बारे में
पूछा तो उन्होंने कहा कि वो एक कमजोर मंत्रालय, गन्ना मंत्रालय के मंत्री थे इसलिए
बहुत कुछ करना संभव नहीं था.
आम सभा की दौरान समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में राघवेन्द्र प्रताप
सिंह ने जब आशा देवी पर उनके विधायक काल में आरा में बने मॉल का मुद्दा उठाया तो
उनके और भाजपा के उम्मीदवार के बीच कहा सुनी हो गयी. इससे नाराज राघवेन्द्र प्रताप
सिंह सभा से उठ कर चले गए. इस विवादित मॉल का मामला में लोगो का कहना है कि इस
कालेज की ज़मीन पर पहले एक विधायक ने कब्ज़ा किया फिर दुसरे ने अपने कार्य काल में
उसे हथिया लिया. इसकी सच्चाई पड़ताल का विषय है.
जब भाजपा के उम्मीदवार से बार-बार यह पूछा गया कि जितने के बाद क्षेत्र के लिए
वे कौन से पांच मुख्य काम करेंगी उन्होंने जबाब न देकर नरेन्द्र मोदी के नारे
‘सबका साथ, सबका विकास’ को दोहरा दिया और कहा कि इस बार जितने के पांच साल बाद आप रिपोर्ट
मांगिएगा.
2009 से क्षेत्र में
सक्रिय हुए मुख्य धारा के दलों से निराश हिन्दुस्तान विकास दल के ललाट पर लाल टिका
लगाये डॉ अनिल सिंह ने मूलभूत जरूरतों के अभाव में क्षेत्रवासियों को आदिवासी
सरीखा जिंदगी व्यतीत करने को मजबूर बताया. जनता की आलोचना करते हुए उन्होंने
टिपप्णी कर दी कि अगर वे अनुसाशित नहीं होंगे तो जन प्रतिनिधियो को उनकी
नुमायन्दगी करने में भी शर्म आएगी. कृषि केन्द्रित और स्वावलंबी रोजगार परक
अर्थनीति को अपनाने की जरुरत पर बल दिया. मगर उद्योगपतियों की नौकरी की आलोचना
करते-करते पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के मुद्दे पर अटके प्रतीत हुए. आदिवासीयों और
जनता के बारे में उनकी सोच भी उनके सियासी समझ पर सवाल खड़ा करता है.
गोपाल कृष्ण
(यह लेख आउटलुक हिंदी में प्रकाशित है http://www.outlookhindi.com/politics/mandate/bihar-election-badahara-of-bhojpur-ground-report-4520)
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