हस्तक्षेप > आपकी नज़र
BiharWatch, Journal of Justice, Jurisprudence and Law is an initiative of Jurists Association (JA), East India Research Council (EIRC), Centre for Economic History and Accountability (CEHA) and MediaVigil. It publishes follow up research on the performance of just and unjust formal and informal anthropocentric institutions and their design crisis.
भाजपा गौ रक्षा जैसे अति संवेदनशील तथा धार्मिक भावनाओं से सीधे तौर पर जुड़े हुए विषय पर पूरे देश में समान कानून बनाए जाने का साहस क्यों नहीं कर पाती?
वे नैनीताल छोड़ने के बाद पूरी तरह यायावरी जीवन जी रहे थे और उनकी हर तस्वीर में मुकम्मल पहाड़ नजर आता था। दुर्गम पहाड़ों के पहाड़ से भी मुश्किल ज...
उन्हें तो गांधीजी को मारना ही था. उनके सामने सवाल एक व्यक्ति का नहीं एक विचारधारा का था. उन्हें भारत की मेलजोल की संस्कृति से नफ़रत थी. उन्हें गंग...
ट्यूबलाइट आज के सीएफएल के जमाने में चल ही नहीं पाएगी। उम्मीद है सलमान आगे से विषय चयन पर गंभीरता बरतेंगे।
राष्ट्रपति पद पर आने वाले व्यक्ति की आरएसएस के प्रति अटूट वफादारी बहुत ही समस्यापूर्ण है।
नवउदारवादी नीतियों के समर्थक, चाहे वे नेता हों या सिविल सोसाइटी एक्टिविस्ट, भीड़ हत्याएं नहीं रोक सकते. साम्प्रदायिकता शुरू से ही पूंजीवादी कब्जे ...
मोदीजी पहले भी बुद्धिजीवी नहीं थे, उनकी विशेषता यह है कि उनके जैसा अनपढ़ और संस्कृतिविहीन व्यक्ति अब बुर्जुआजी की पहचान है।
नीतीश को दूसरे सोशलिस्टों ने ही सिरे से खारिज कर दिया है और कई गम्भीर सवाल उठाये हैं। सोशलिस्ट पार्टी के डॉ. प्रेम सिंह ने कहा है कि जद(यू) ने अप...
यह पूँजीवाद का वही विजय रथ है जो अपने पीछे न जाने कितनी लाशों, कितनी बर्बादियों और मनुष्य के ख़ून और पसीने का कीचड़ छोड़ता जाता है। सर्वनाशी साबि...
आने वाली पीढ़ी हमारे वर्तमान युग को मध्ययुग कहे या न कहे, कोई मायने नहीं रखता। लेकिन यह तय है कि हम अपने वर्तमान को जिस रूप में देखते है, आगत पीढ़ि...
आधुनिक राष्ट्र-राज्य का यह वीभत्सतम रूप है। आप मुझसे अनिर्बन के 'देशद्रोह' का हिसाब क्यों नहीं मांगते, उमर का ही क्यों?... बहुसंख्यक तुष्ट...
तो क्या अब बिहार भी 'जय श्रीराम' की आग में जलने वाला है? क्या बजरंग दल वालों को नीतीश कुमार के रुख का अंदाजा हो गया है?
क्या कोविन्द और पासवान जैसे लोग - जो दलितों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के बारे में एक शब्द भी नहीं बोलते - दलित नेता कहे जा सकते हैं? इस समय देश का द...
जब भी धर्म को राज-काज में दखल देने की आज़ादी दी जायेगी राष्ट्र का वही हाल होगा जो आज पाकिस्तान का हो रहा। गाय के नाम पर चल रहे खूनी खेल की अनदेखी...
हिंदुस्तान की बहुसंख्यक जनता मिल-जुलकर, शांति से रहने में ही भरोसा रखती है। वह किसी भी कारण से कानून हाथ में लेने की विरोधी है और अपने नाम पर तो,...
रक्षा क्षेत्र के विनिवेश के बाद युद्ध से किन कंपनियों को फायदा कि प्रधान स्वयंसेवक और विदेश मंत्री की जगह वित्तमंत्री चीन को करारा जबाव देने लगे?
#NotInMyName आप किसमें अपना भविष्य ढ़ूंढ़ रहे हैं, जिन्ना के पाकिस्तान में, हिटलर के जर्मनी में या आज के सीरिया में? तय आपको ही करना है, क्योंकि ...
एक मार्क्सवादी का काम उदारवाद से हासिल उपलब्धियों का इस्तेमाल करते हुए सैद्धांतिकी को व्यवहार में उतारना है, नकि दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाल...
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