प्यारे दिलीप,
दुसाध जी की टिप्पणी पढ़कर गुस्सा भी आ रहा है और हंसी भी आ रही है।वे सोचते हैं कि इस तरह की हरकतों से वे हमारे किलाफ जीतते रहेगे हमेशा की तरह।
तुम्हारे खिलाफ टिप्पणी से उतना नाराज नहीं हूं।तुम्हें या हमें बदनाम करते रहने का उनका हक हकूक है क्योंकि हम भी उनका एजंडा फेल करने में रात दिन एक किये हुए हैं।
नपुंसक न होते ये लोग तो खुलकर आमने सामने लड़ लेते या चाहे सर कलम कर लेते।
एक स्त्री को सिर्फ ब्राह्मणी बताकर उसके चरित्रहनन की कुचेष्टा जिनकी है,उनपर रहम आता है कि बेचारे इतने पढ़े लिखे भी नहीं है कि पुरुष वर्चस्व वाले समाज के हिंदुत्व में कोई स्त्री ब्राह्मण हो नहीं सकती।उसे ब्राहमणत्व का कोई हक नहीं है।
भारत में मुक्तबाजारी प्रगति के बावजूद स्त्री अब भी कुल मिलाकर बच्चा पैदा करने वाली मशीन है या घर संभालने वाली मुप्त की नौकरानी है।
उड़ान चाहे जितनी ऊंची हो,हर स्त्री के विरुद्ध बलात्कार की कोशिश एक अनिवार्य नियति है।
हमारी अनुराधा बहुत बहादुर लड़की रही है।
अगर वह ब्राह्मणी थीं,तो हमें इस पर गर्व होना चाहिए कि उसने किसी दलित नमोशूद्र चंडाल को अपने पेशे और सामाजिक सरोकार में बुलंदी पर पहुंचाने में कैसर को हराते हुए कोई कसर नहीं छोड़ी।
इस शर्मनाक हरक पर हम सबको शर्मिंदा होना चाहिए।
आस्था निजी स्वतंत्रता है।
सविता ब्राह्मण नहीं है।
न ब्राह्मणवादी है।
उसे विधर्मियों के परिवार में शामिल होने से भी कोई परहेज नहीं है।
मैं कोलकाता चला आया तो उसे स्थाई नौकरी छोड़नी पड़ी।
उसने हमारे लिए इतनी कुर्बानी दी तो उसकी आस्था का हम सम्मान करें तो क्या हमारा किया धरा खारिज हो जायेगा,अजब पहेली है।
देखो,इस तरह की साजिशों और बदनामियों से डरो नहीं।न इस परदिमाग खपाने की जरुरत है और न किसी को सफाई देने की कोई गुंजाइश है।
अनुराधा पर हम सबको गर्व है।उसकी हैसियत किसी को बताने की भी जरुरत नहीं है।
चुच्चे लोग चुच्ची हरकतों से बाज नहीं आयेंगे और हम उनकायरों को बख्श दें तो बेहतर।
कभी कभार फोन वोन भी कर लिया करो भइया।
अपने दुसाध जी वही बिहारी पगलैट ही रह गये।सार्वजनिक जीवन में इतने कांच के बने होगे तो भरभराकर गिर जायेंगे।हमारे न महल हैं और न वे महल शीशे के हैं जो पत्थर मारके में कोई लहूलुहान कर दें।
स्त्री विरोधी इस आदिम हिंसा को कोई तोड़ निकाल सकें तो आइये, उसी दिशा में काम करें।कमसकम पुरुष वर्चस्व के खिलाफ मजबूती से खड़े हो तो जायें।
पलाश विश्वास
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