आफिस में फुर्सत के क्षण।हमारे मित्र,इतिहास में पीएचडी और सहकर्मी डा.माँधाता सिंह।अपने गुरुजी जयनारायण प्रसाद जी ने फ्लिपकार्ट से ताजा माडल का मोबािल लिया है।यह फोटो भी उन्हीं की खींची हुई है।
उम्मीद है कि दोस्तों को तस्वीर में कैद करने के साथ साथ वे शरीके हयात की तस्वीर भी कभी न कभी खींचकर हमें गिफ्ट करेंगे।
यह तस्वीर साझा करते हुए बेहद खुशी इसलिए हो रही है क्योंकि इन्हीं अपने डाक्साब की वजह से,उनके लगातार घुड़कने की वजह से हिंदी में ब्लाग लिखना शुरु किया और ब्लागिंग से लेकर तकनीक के सारे गुर उनसे सीखे हैं।
डाक्साब बहुत गंभीर किस्म के सज्जन है और कोई इतिहासकार आपके साथ हों तो उनसे बहस करके अपने दिलोदिमाग को दुरुस्त करने का मौके भी बहुत हैं।
पिछले पच्चीस सालों से इन्हीं मौकों का फायदा उठाता रहा हूं।
अब साथ छूटने वाला ही है।उन बेहतरीन मौकों की बहुत याद आयेगी।जब भी हिदी में लिखुंगा अपने बेहद प्यारे डाक्साब की खूब याद आयेगी।
जयनारायण भी कम नहीं हैं।गंगासागर में पिछले करीब तीस साल से लगातार रिपोर्टिंग कर रहे हैं।फिल्म निर्देशन का प्रशिक्षण लिया हुआ है।लेकिन अभी जैसे उनने किसी मोहतरमा से रोमांस करने की जहमत नहीं उठायी है,वैसे ही फिल्म भी उनने कोई बनायी नहीं है।
हमें अब भी उनकी पहली फिल्म का इंतजार है।
जाते जाते एक कामयाबी हमें जरुर मिली है कि अपने इन गुरुजी को हमलोगों ने कंप्यू पर बैठा दिया है वरना वे तो कंप्यू को भी कोई मोहतरमा समझ बैठे थे।शायद औरतों के बिना फिल्म बन नहीं सकती,इसीलिए शायद हमारे विशुध कुंआरे गुरुजी फिल्म बनाने से परहेज कर रहे हैं।
उन्हें कोई समझायें कि छुआछूत इस देस में मना है।
पलाश विश्वास
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