Wednesday, September 2, 2015

20वी सदी के श्रेष्ठ हिन्दू गाँधीजी की हत्या में RSS से जुड़े महाराष्ट् के कट्टरपंथी ब्राह्मण क्यों थे?


20वी सदी के श्रेष्ठ हिन्दू गाँधीजी की हत्या में RSS से जुड़े महाराष्ट् के कट्टरपंथी ब्राह्मण क्यों थे?

                                          

                 संघ की स्थापना के पूर्व  डॉ. हेडगेवार के कांग्रेस में सक्रीय होने के कारण कोंग्रेस के कई रुढिवादी ब्राह्मण नेताओ के साथ संघ के ब्राह्मण नेताओ का संपर्क था. कांग्रेस के कई बडे ब्राह्मण नेताओ का संघ को संरक्षण प्राप्त था.

1948 में उतरप्रदेश के गृह सचिव रहे रामदयाल ने अपनी पुस्तक "लाइफ ऑफ अवर टाइम" की पृष्ठ संख्या 93-94 में इनकी पोल खोलते हुए लिखा है की -

                 "सांप्रदायिक तनाव के माहोल में दो बख्सो में भरी आपति जनक सामग्री आर.एस.एस. प्रमुख गोलवलकर की देख रेख में पहचानी थी. बख्सो मे पुरे प्रदेश (उतरप्रदेश) की मुस्लिम-बस्तियो के नक्शे और किस तरीके से सांप्रदायिक दंगे भडकाने है ? इसका वर्णन था. मेरे ह्रदय में इस बात का दुःख है की तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविन्द वल्लभ पंत(ब्राह्मण नेता) से जब उस समय गोलवलकर की उनके पते पर धरपकड और भिन्न भिन्न स्थानों पर छापे मारने की आज्ञा चाही तो उन्हों ने तत्परता दिखाने के बदले कहा की केबिनेट इस पर विचार करेगी."

                 "केबिनेट में न तो पुलिस अधिकारियो की इस प्रकार की कार्यवाही की प्रसंशा हुई और न उल्लेख ही किया गया और न तत्काल कार्यवाही करने का कोई निर्णय ही लिया गया वरना  तय यह किया गया कि गोलवलकर को पत्र लिखकर चेतावनी दी जाए. आश्चर्य तो इस बात का है कि पंत ने यह पत्र स्वयं लिखने कि बजाय मुझे लिखने के लिए कहा. उस समय कांग्रेस में संघ कि तरफ सहानुभूति रखने वाले कितने ही लोग (ब्राह्मण) थे. उससे उपरी सदन में पीठासीन अधिकारी आत्मा गोविन्द खेर (ब्राह्मण) शामिल थे. संघ की कारगुजारिया चालू रही. ऐसे ही माहोल में कुछ दिनों बाद 30 जनवरी 1948 को शांति के पुजारी कि छाती मे गोली दाग कर, आरएसएस के एक ब्राह्मण स्वयंसेवक ने  हत्या कर दी. उतरप्रदेश सरकार कि टालमटोल और अनिर्णय का ऐसा गंभीर परिणाम आया कि उसका विचार आते ही मेरे ह्रदय में  टीस उठती है."

                 30 जनवरी 1948 के दिन किसीने गोली मारकर महात्मा गाँधी कि हत्या कर दी, ऐसी खबर देश भर में बिजली कि तरह फैल गई. गांधीजी की हत्या की खबर मिलते ही संघ के ब्राह्मण स्वयं सेवको ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए स्थान स्थान पर मिठाइयां बांटी थी.

                 महात्मा गाँधी कि हत्या में पकडे गए अपराधी महाराष्ट्र के कुछ कट्टर ब्राह्मण युवक थे, जो महाराष्ट्र के कुछ  कट्टरवादी ब्राह्मणों द्वारा शुरू किए गए संघ और हिंदू महासभा जैसे संगठनो से जुड़े हुए थे. नाथूराम गोडसे, गोपाल गोडसे, नारायण आप्टे, विष्णु करकरे और विनायक सावरकर को मिलाकर पांच कट्टर ब्राह्मण थे. कुल सात आरोपियो में से दो गैर ब्राह्मण युवक थे.

                 गांधीजी का हत्यारा महाराष्ट्र का ब्राह्मण युवक नाथूराम गोडसे और उसके साथ के ६ अपराधियों में से चार महाराष्ट्र के ब्राह्मण युवक थे जो संघ से जुड़े हुवे थे. यह प्रकट होते ही महाराष्ट्र और कर्णाटक में संघ के ब्राह्मण स्वयं सेवको के घर पर गांव गांव में- हमले शुरू हो गए. आगजनी और लुट कि घटनाए भी हुई.

                 "Why Godse killed Gandhi ?" पुस्तक के पृष्ठ संख्या 17-18 में वी.टी. राज शेखर ने निष्कर्ष दिया है कि "संघ को गांधीजी के खून(30 जनवरी 1948) के संबध में पूर्व से ही जानकारी थी. उनके खून की गिनती के मिनिटो में ही उन्हों ने सारे भारत में मिठाइया बांटी थी. बाद में गुस्से से भरे लोगो ने महाराष्ट्र और कर्णाटक में चितपावन ब्राह्मणों के बहुत सारे घरों में आग लगा दी थी."

                 "मुंबई में टोलियो ने सावरकर के घर पर हमला किया और सारे भारत में आर. एस. एस. के कार्यालयों पर भी हमले हुए. भारतवासियों द्वारा बीसवी सदी के श्रेष्ठ मानव तथा राष्ट्रपिता माने गए गांधीजी की हत्या ब्राह्मण द्वारा कि गई थी."

                 गांधीजी की हत्या के समय गोलवलकर मद्रास में संघ द्वारा आमंत्रित किए गए प्रतिष्ठित ब्राह्मणों की सभा में उपस्थित थे. उन्हें गांधीजी की हत्या की जानकारी होते ही वे विमान द्वारा नागपुर पहुचे. नागपुर स्थित संघ के केन्द्रीय कार्यालय पर लोगो ने पत्थर बरसाए. गोलवलकर की सुरक्षा हेतु केन्द्रीय कार्यालय पर १ फरवरी 1948 को पुलिस का पहरा लगा दिया गया था. मध्य रात्रि में गाँधी की हत्या से जुड़े होने के आधार पर गोलवलकर को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया.

                  संघ के साथ जुड़े ब्राह्मणों के घर पर जो हमले हुए उसका विवरण "युग प्रवर्तक गुरूजी" पुस्तक की पृष्ठ सं. 46 पर च. प. भीशीकर ने बताई है कि -

                 "महाराष्ट्र के इस कांड ने ब्राह्मण, अब्राह्मण विवाद का रूप ले लिया. इसके परिणाम स्वरूप असंख्य लोगो के घरों पर हमले हुए. आगजनी, लूटपाट की घटनाए होती रही. भारी नुकसान हुआ. महाराष्ट्र और उसके आस पास के प्रदेशो में हजारों परिवार निराधार भी हो गए. कितने ही लोगो के प्राण भी गए. देशभर में संघ के (ब्राह्मण) स्वयंसेवको और कार्यकर्ताओ को यातनाए भोगनी पड़ी."

                  2 फरवरी 1948 के दिन केंद्र सरकारने आर. एस. एस. को अवैध संगठन घोषित कर दिया. सरकार द्वारा प्रकाशित घोषणा में कहा गया कि, "संघ की आपतिजनक और हानिकारक गतिविधियो निरंतर चलती रही है. इसमें  सबसे अधिक और नयी तथा सबसे महत्वपूर्ण है गांधीजी की हत्या. सरकार हिंसा के उस आविष्कार को द्रढता से नियंत्रित करने के अपने दायित्वो को समजती है. ऐसे दायित्व का निर्वाह करने के प्रथम चरण के रूप में संघ को अवैध घोषित करती है."

                  4 फरवरी 1948 के दिन देशभर में केंद्र सरकार ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया. संघ के कट्टर ब्राह्मण कार्यकर्ताओ को पकड़ लिया गया.

                  5 फरवरी 1948 के दिन गोलवलकर को जेल में मिलने आनेवाले ब्राह्मण मित्र एडवोकेट दत्तोपंत देशपांडे को गोलवलकर ने संघ का विसर्जन करने सबंधी वक्तव्य  लिख कर प्रेस में प्रकाशित करने के लिए दिया, जिसमे लिखा गया कि,  "सरकारी नियम का पालन करते हुए अपने कार्यक्रम करने की निति संघ के आरंभ से ही रही है. आज सरकार ने उसे गैरकानूनी घोषित किया है, इस लिए जब तक प्रतिबंध हटाया नहीं जाता तब तक संघ को विसर्जित करता हूँ. इसीलिए संघ पर जो आरोप लगाया है उसे में पूर्णरूप से अस्वीकार करता हूँ."

                  संघ पर प्रतिबंध लगाने के समय केंद्र सरकार में उद्योगमंत्री पद पर रहे श्यामाप्रसाद मुखर्जी (जन संघ के पहले ब्राह्मण अध्यक्ष) भी इस बात से सहमत थे कि आरएसएस. द्वारा ऐसा वातावरण बनाया गया कि उसके प्रभाव में आकर संघ के कार्यकर्ताओ ने गांधीजी की हत्या कर दी.

                  उस समय के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 18 जुलाई 1948 के दिन श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जो पत्र लिखा उसमे गांधीजी की हत्या और आर.एस.एस. आदि की भूमिका का स्पष्ट उल्लेख है. उन्होंने लिखा - "हमारी रिपोर्ट इस बात की पृष्टि करती है कि आरएसएस और हिंदू महासभा ये दो संगठन विशेषत: आरएसएस की गतिविधियोने देश में धृणा का ऐसा वातावरण पैदा किया जिसके परिणाम स्वरूप गांधीजी की हत्या हो गई."

                  तत्कालीन गृहमंत्री वल्लभभाई पटेल ने देशभर से मिली जानकारियों के आधार पर 11 सितम्बर 1948 को गोलवलकर को लिखे पत्र में लिखा की "उनकी (गांधीजी की) मृत्यु पर संघ वालो ने जो खुशिया मनाई और मिठाइयां बांटी, इस से उनकी और विरोध बहुत बढ़ गया और सरकार को संघ के खिलाफ कार्यवाही करनी पड़ी." ('आउटलुक' हिंदी साप्ताहिक 6 सितम्बर 2004) 

 नथुराम गोडसे नाम के ब्राह्मण ने गाँधीजी की हत्या के पहले मुस्लिम भेस धारण कीया उसके पहले खतना भी करवाया । ताकि गाँधी के हत्या के बाद हिंदू मुस्लिम दंगे भड़काए जा सके और हुआ भी ठीक वैसे ये पकड़ा तो गया लेकिन ब्राह्मणो ने प्रचार किया की मुस्लिम ने गाँधीजी को मारा जिससे हिंदू मुस्लिमो मे दंगे भडकने लगे तो एन वक्त पर पेरियार रामासामी ने चेन्नई रेडीओ स्टेशन से सच्चाई उजागर की की गाँधीजी को मारने वाला मुस्लिम नही ब्राह्मण है । और इस तरह से दंगे थम गए । संघ के ब्राह्मण आज भी सुधरे नही है वो किसी न किसी कारण से हिंदू मुस्लिमो मे दंगे भड़काने का प्रयास करते है। गाँधीजी की हत्या की साजिश गोडसे के समलैंगीक पार्टनर सावरकर द्वारा रचाई गई थी जिसके कारण सावरकर को कोर्ट मे दाखिल होना पड़ा था.

                 विख्यात वकील और सांसद आर. के. आनंद जिन्होंने गांधीजी की हत्या, आर. एस. एस. की भूमिका और बाद मे देश्भार्मे पिछले ४० वर्षों में हुए दंगो में संघ की भूमिका का अध्ययन किया है. उनका निष्कर्ष है की गांधीजी का हत्यारा नाथुराम गोडसे न केवल आर. एस. एस. का सदस्य था वरन उसके अतिरिक्त सावरकर भी हत्या के षड्यंत्र में  शामिल थे. सावरकर ही गोडसे के संरक्षक थे. 

                आनंद के शोध के अनुसार गोडसे 1930 से आर. एस. एस. में शामिल हुआ. वह संघ का प्रचारक मात्र नहीं था वरन उसने उस समय आर. एस. एस. प्रमुख हेडगेवार और बाबुराव सावरकर के साथ पश्चिम महाराष्ट्र में लंबी यात्राए करके संघ की सांप्रदायिक विचारधारा फैलाई थी. हिन्दु महासभा और आरएसएस के बीच तब प्रगाढ़ समज थी उसके (नाथूराम का) भाई गोपाल गोडसे ने हत्या के 46 वर्ष बाद अपनी पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा था, 

                    "में मेरा भाई नाथूराम, दतात्रेय और गोविन्द सहित सभी आरएसएस के सदस्य रहे है और हमने इसे कभी छोड़ा भी नहीं." जैसे कि लालकृष्ण अडवाणी ने गोडसे के संघ के साथ सबंधो का खंडन किया है तो गोपाल गोडसे ने अडवाणी पर कटाक्ष करते हुए कहा, "नाथूराम तो संघ का बौधिक कार्यवाह था. अडवाणी का वक्तव्य कायरता भरा है, गोडसे को वह नकार शकते नहीं." ('आउटलुक' हिंदी साप्ताहिक 30 अगस्त 2004)

                     गांधीजी की हत्या के समय संघ का कोई संविधान नहीं था, न सदस्यो का कोई रजिस्टर ही था. लिखित संविधान स्वीकार किए बिना संघ पर से प्रतिबंध नहीं हटाने के लिए केंद्र सरकार दृढ थी. यह बात स्पष्ट होने पर संघ को विवश होकर संविधान स्वीकार करना पड़ा. गोलवलकर ने संघ के संविधान के सबंध में कहा है कि, "आजतक संविधान कि कोई आवश्यकता नहीं पड़ी तथा उसका भविष्य में भी बहुत भारी उपयोग होगा, ऐसा मुझे लगता नहि." (श्री गुरूजी समस्त दर्शन भाग-2 पृष्ठ 48)

                    संविधान तथा प्रजातंत्र के प्रति ऐसी उदासीनता ब्राह्मणवादी चरित्र के अनुकूल है. संविधान और सदस्यता दिखाने वाली औपचारिकताए है, हकीकत में खेल अनौपचारिक भावनाओ से हि चलता है. 1948 में तो संविधान कि औपचारिकता भी नहीं थी तो किस ढंग से जाना जा शकता है कि गोडसे संघ का सदस्य था या नहीं ? संघ वाले कहते है कि नहीं था, नाथूराम का छोटाभाई तथा गाँधी हत्याकांड का सह आरोपी गोपाल गोडसे का कहना है कि था. गोपाल गोडसे के कथानुसार "नाथूराम ने संघ के साथ सबंधो को इस लिए नाकारा था कि वह संघ की कठिनाइयां बढ़ाना नहीं चाहता था."

                                               महात्मा गाँधी की  हत्या किस लिए हुई?

                    31 जनवरी 2007 के गुजराती दैनिक "दिव्य भास्कर" के पहले पृष्ठ पर प्रकाशित विवरण के अनुसार महात्मा गाँधी के पौत्र तुसार गांधीने अपनी पुस्तक "लेट्स किल गाँधी" के विमोचन अवसर पर कहा कि, "देश के टुकड़े करने के बदले में पाकिस्तान को 55 करोड रूपये देने की मांग गांधीजी ने भारत सरकार से कियी, इस कारण गांधीजी की हत्या कि गई.  संघ परिवार के इस कथन को में झिटक देना चाहता हु. ये सब बहाने है इनमे सच्चाई नहीं है. देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की चाहना करनेवाला ब्राह्मण गिरोह ही  उनकी हत्या के सभी प्रयासों के लिए उतरदायी है."

                     "गांधीजी की हत्या केवल हत्या नहीं थी, यह पूर्वनियोजित हत्या थी. ब्राह्मणों ने गांधीजी को निशाना बनाया था. हिंदू राष्ट्र के नाम पर वे अपना जाति वर्चस्व स्थापित करना चाहते थे. गांधीजी की हत्या के पहले भी कई बार उनकी हत्या के प्रयास हो चुके थे. उन सभी में पूना किसी ना किसी रूप से जुड़ा था."

                     आर.एस.एस. के पुरातन पंथी ब्राह्मण नेताओ के कहने के अनुसार गोडसे ने गांधीजी की हत्या, पाकिस्तान को 55 करोड रूपये देने के लिए गांधीजी की उपवास पर बैठने की घोषणा से उतेजित होकर कियी थी. देश के टुकड़े होते समय हिंदूओ पर जो अत्याचार हुए उससे गोडसे जैसे हिंदूवादी दुखित थे. और यह उनका प्रत्याघात था.

                     ऊपर के सिद्धांत के विरुध कई प्रश्न खडे होते है. जैसे कि देश के विभाजन के समय हिंदू पर जो अत्याचार हुए, वे अत्याचार करने वाले क्या गांधीजी थे जिससे गोडसे ने उनकी हत्या कि? यदि पाकिस्तान को 55 करोड रूपये देने के लिए गांधीजी के उपवास की घोषणा के कारण गांधीजी की हत्या कराइ गई हो तो पूना में हरिजन यात्रा के समय 1935 में बम किसलिए फैका गया था ? उसके बाद पंचगनी और वर्धा में गांधीजी की हत्या के प्रयास किस लिए किए गए ?

                     उपरोक्त प्रश्नों के उतर खोजने पर संघ के ब्राह्मण नेताओ के गांधीजी की हत्या के सिद्धांत के परखचे उड़ जाते है. गांधीजी की हत्या के कारणों को जानने के लिए दूसरे भी कई प्रश्नों के उतर खोजने होगे जैसे कि,

                     गांधीजी की हत्या का षड्यंत्र करने वाले तथा उसे कार्य रूप से परिणित करने वाले पांच ब्राह्मण महाराष्ट्र के हि क्यों थे?

                     दूसरा प्रश्न उठता है की गांधीजी की हत्या ब्राह्मणों ने हि क्यों कि ? क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र अथवा अतिशुद्र में से किसीने यह हत्या क्यों नहीं की ?

                     तीसरा प्रश्न होता है कि गांधीजी की हत्या में पुरातन पंथी ब्राह्मण ही क्यों जुड़े हुए थे ? प्रगतिशील और उदारवादी ब्राह्मण गांधीजी के समर्थक क्यों  रहे ?                    

                     चौथा प्रश्न होता है की पुरातन पंथी ब्राह्मणों ने गांधीजी की हत्या कट्टर हिंदूवादी होने के कारण की या कट्टर जातिवादी होने के कारण की ?

                     पांचवा प्रश्न होता है की गांधीजी की हत्या के पूर्व और आजादी मिलने के पूर्व गांधीजी की हत्या के प्रयास पूना, पंचगनी तथा वर्धा में हुए थे और ये सभी स्थान महाराष्ट्र के है क्या ये संयोगवश है ?

                     ऊपर के प्रश्नों के सच्चे उतर दिए जाए तो ये स्पष्ट हो जाता है कि गांधीजी की हत्या न पाकिस्तान को 55 करोड रूपये देने के आशय के कारण और न ही देश के विभाजन के समय हिंदूओ पर हुए अत्याचारो के कारण हुई. यदि ये कारण है तो 1935 में पूना में हरिजन यात्रा के समय गांधीजी को लक्ष्य बनाकर बम क्यों फैका गया ? तब न तो देश के टुकड़े हुए थे और न पाकिस्तान को 55 करोड रूपये देने की बात थी. संघ के ब्राह्मण नेताओ का गांधीजी की हत्या का सिद्धांत इतना कमजोर है, उसे समजा जा सकता है.

                     गांधीजी की हत्या महाराष्ट्र के कट्टर ब्राह्मणों ने कियी थी और उन के कारण निम्न लिखित है. 

                     (1) पुरातन पंथी ब्राह्मणों ने बाल गंगाधर की मृत्यु के पश्चात अंग्रेजी शासन के सामने चल रही जंग को छोड़कर महाराष्ट्र में फुले-शाहूजी महाराज तथा डॉ. बाबासाहब आंबेडकर द्वारा चलाये जा रहे सामाजिक समानता के आन्दोलन के सामने ब्राह्मणवादी प्रभुत्व बनाये रखने के लिए हिंदू महासभा और आर.एस.एस. ऐसे दो संगठन शुरू किये थे.

                    महात्मा गांधीजी ने भी उदारमतवादी ब्राह्मण नेताओ के साथ शुद्रो, अतिशुद्रो के मानवीय सामाजिक अधिकारों के लिए प्रवृतिया चलानी आरंभ की थी. गांधीजी का प्रभाव राष्ट्रिय स्तर पर देश के सभी सामाजिक वर्गों पर व्यापक रूप से बढ़ता जाता था जो पुरातन पंथी ब्राह्मणों के लिए खतरा था.

                    (2) संघ तथा हिंदू महासभा के नेता मनु स्मृति के प्रावधानों के अनुरूप देश का संविधान बनवाना चाहते थे. 1947 में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के बीच कांग्रेस और डॉ. आंबेडकर के बीच अनेक मतभेदों के होते हुए भी गांधीजी ने किन्ही कारणों से, संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को रखने की सिफारिश की थी. कांग्रेस के नेता पं. जवाहरलाल नेहरू तथा सरदार पटेल ने डॉ. बाबासाहब आंबेडकर को संविधान प्रारुप समिति के अध्यक्ष बनाये थे.

                    डॉ. बाबासाहब आंबेडकर समतावादी संविधान बनाएंगे, ऐसा जानने वाले महाराष्ट्र के पुरातन पंथी ब्राह्मणों गांधीजी के कांग्रेस पर प्रभाव के कारण गांधीजी को खतरनाक मानते थे.

                    (3) शुद्र, अतिशूद्र जातियो में से ही धर्मान्तरित मुस्लिम, इशाई आदि धार्मिक अल्प संख्यक अस्तित्व में आए थे. हिंदू मुस्लिम के नाम पर  उन्हें आपस में लड़ाकार पुरातन पंथी ब्राह्मण नेताओ ने  शुद्रो-अतिशुद्रो पर अपना वर्चस्व बनाने  की रणनीति रखते थे. भारत, पाकिस्तान के रूपमें  विभाजित होने के बाद में उठ खड़ा हुआ सांप्रदायिक उन्माद, संघ तथा हिंदू महासभा के ब्राह्मण नेताओ के लिए सुअवसर था.

                     देश का विभाजन होने के बाद उठ खडे हुए साम्पदायिक तनाव के कारण नोआखली में सांप्रदायिक दंगे हुए. हिंदूओ और मुस्लिमो के बीच भाईचारा स्थापित करने तथा सांप्रदायिक दंगे बंद कराने के लिए गांधीजी ने उपवास किया और प्रेरक नेतृत्व दिया था. हिंदू-मुस्लिम के नाम पर गैर-ब्राह्मणों पर सनातनी ब्राह्मण प्रभुत्व स्थापित करने का अवसर नोआखली शांति स्थापित होने से संघ और हिंदू महासभा के ब्राह्मण नेता ओ के हाथ से निकाल गया. ब्राह्मणवाद के सामने गैर-ब्राह्मणों की चुनोती को मुस्लिमो के सामने खड़ा कर देने का अवसर गांधीजी के कारण नहीं मिलने से वे गांधीजी को शत्रु समजने लगे थे.

                    (4) 1948 में देश के प्रधानमंत्री पं. नेहरू ब्राह्मण, देश के गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालचारी ब्राह्मण और देश की प्रांतीय सरकारों के मुख्यमंत्री भी ब्राह्मण ही थे. सरकार में एक ही ब्राह्मण जाति के प्रभुत्व को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए गांधीजी ने 1948 में कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री पद पर इसके बाद किसान और राष्ट्रपति पद पर अछूत आना चाहिए.

                    ब्राह्मण जन्मजात श्रेष्ठ तथा धरती के देव है और शुद्र(किसान), अतिशूद्र(अछूत) जन्मजात नीच, अयोग्य तथा ब्राह्मणों के सेवक है- ऐसा मानने वाले संघ और हिंदू महासभा के पुरातनपंथी ब्राह्मण नेताओ और कार्यकर्ताओ को गांधीजी की ऐसी बात कैसे स्वीकार्य हो  सकती थी? किसान शुद्र प्रधानमंत्री और अछूत अतिशूद्र राष्ट्रपति, ऐसी बात उनको कैसे सह्य हो सकती थी है?

                    गांधीजी का प्रभाव केवल कांग्रेस पर ही बही वरन गावों से लेकर शहरो तक सारे देश में, जनमानस में एक महात्मा के रूप में स्थापित हो चूका था. गांधीजी का अस्तित्व भविष्य में और भी भयानक बन जायेगा, ऐसी आशंका से पीड़ित महाराष्ट्र के संघ से जुड़े कुछ कट्टर ब्राह्मणों ने गांधीजी की हत्या का षड्यंत्र रचा और षड्यंत्र को हत्या के रूप में परिणित किया. संघ तथा हिंदू महासभा द्वारा फैलाई गयी मानसिकता से ग्रस्त हुए ब्राह्मण युवकको ने बीसवी सदी के एक श्रेष्ठ हिंदू व्यक्ति की हत्या की ये हिंदू हित में थी या

जाति हित में थी?

                                                        -साभार : "तिन ब्राह्मण सर संघचालक राष्ट्रवादी या जातिवादी?" में से. 

 

This Indian Express story dated February 7, 1948 provides details of the Rashtriya Swayamsevak Sangh's involvement in Mahatma Gandhi's assassination.This Indian Express story dated February 7, 1948 provides details of the Rashtriya Swayamsevak Sangh's involvement in Mahatma Gandhi's assassination.

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  • Jayantibhai Manani -महात्मा गाँधी की हत्या ब्राह्मणों ने क्यों किई ? ब्राह्मणों में भी महाराष्ट्र के कुछ कटटर जातिवादी ब्राह्मणों ने क्यों किई? गांधीजी के हत्यारे ब्राह्मणों आरएसएस से क्यों जुड़े थे? गांधीजी की हत्या के बाद तुरत महाराष्ट्र में आरएसएस के कट्टरपंथी ब्राह्मणों ने मिठ्ठाई क्यों बांटी थी ? संघ के कटटर जातिवादी ब्राह्मण नेताओ ब्रिटीश शासन के समर्थक और खबरी क्यों थे ? जानने के लिए क्लिक करे और पढ़े.
  • Jayantibhai Manani -
    धन्यवाद Vivek Dalwadi, 'प्रेम सिँह मीना',और Ratnesh Kumar
  • Mehul Parmar Jayantibhai Manani saheb aa article ghano bhul bharelo ane germarge dorayelo chhe.
  • Jayantibhai Manani -
    Er Mehul Parmarजी, इस आर्टिकल मिले हुवे सबूतों के साथ लिखा गया है. अगर कोई गलती है, तो आप बताईये उसमे सुधार किया जा सकता है.
  • Ashish G. Chaudhari thank u sir 4 giving us to true information........
  • Jayantibhai Manani -
    ३१ जनवरी २००७ के गुजराती दैनिक "दिव्य भास्कर" के पहले पृष्ठ पर प्रकाशित विवरण के अनुसार महात्मा गाँधी के पौत्र तुषार गांधीने अपनी पुस्तक "लेट्स किल गाँधी" के विमोचन अवसर पर कहा कि, "देश के टुकड़े करने के बदले में पाकिस्तान को ५५ करोड रूपये देने की मा
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  • Mehul Parmar gandhi is desh ko Islamistan banana chahta tha
  • Jayantibhai Manani -
    भाई Mehul Parmar, बात आधार के साथ रखे. ये नोट ब्राह्मण पंडितो ने रचे पुराणों की तरह मनघडत कहानी की तरह नहीं लेकिन ऐतिहासिक आधारों पर लिखी गई है.
  • Mehul Parmar kuchh bhi ho gadhi ko marna jaruri tha is desh ki bhalai ke liye
  • Jayantibhai Manani -
    धन्यवाद Drks Panchal and डॉ सुनील यादव
  • A.p. Achal bat to sahi hai ki gandhi ki htya brhmno ki sajish thk.prntu ganzhi ji bhi vaise logo ke hi pithu aur pkshdhar the.flsvrup unki htya ho gyi.
  • Jayantibhai Manani -
    भाई Tarsem Singh Bainsजी, आप की इस कोमेंट को यहाँ फिर से दोहरायीये... In his last days Gandhi preached what we are preaching all these days. He moved towards our movement. He declared openly that the Congress had nothing to do with god. Immediately t
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  • Tarsem Singh Bains "In his last days Gandhi preached what we are preaching all these days. He moved towards our movement. He declared openly that the Congress had nothing to do with god. Immediately the Brahmins reacted and it resulted in the death of M.K. ......Gandhi w...See More
  • Jayantibhai Manani 
    गांधी की हत्या ने दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया था जिसकी जिम्मेदारी गृह मंत्री के नाते सरदार पटेल के पास थी। तमाम तथ्यों को देखते हुए उन्होंने माना कि गांधी की हत्या में आरएसएस का भी हाथ है। और 4 फरवरी 1948 को पटेल ने आ
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  • Manish Ranjan नथुराम गोडसे नाम के ब्राह्मण ने गाँधीजी की हत्या के पहले मुस्लिम भेस धारण कीया उसके पहले खतना भी करवाया । ताकि गाँधी के हत्या के बाद हिंदू मुस्लिम दंगे भड़काए जा सके और हुआ भी ठीक वैसे ये पकड़ा तो गया लेकिन ब्राह्मणो ने प्रचार किया की मुस्लिम ने गाँधीज...See More
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  • Jayantibhai Manani -
    विख्यात वकील और सांसद आर. के. आनंद जिन्होंने गांधीजी की हत्या, आर. एस. एस. की भूमिका और बाद मे देशभर में पिछले 40 वर्षों में हुए दंगो में संघ की भूमिका का अध्ययन किया है. उनका निष्कर्ष है की गांधीजी का हत्यारा नाथुराम गोडसे न केवल RSS का सदस्य था वरन
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  • Jayantibhai Manani =
    "कितने संघी फांसी पर चढ़े ? चलो एक का भी नाम बता कर दिखा दो ? आज़ादी मिलते ही तुम्हारे तमंचे और तलवारे निकल आयीं ?
    भारत के पहले आतंकवादी यही संघी हैं जिन्होंने प्रार्थना करते हुए एक बूढ़े आदमी गांधी की धोखे से हत्या करी थी"...!! - Himanshu Kumar - छतीसगढ़ के आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के प्रखर लड़वैये.
    Jayantibhai Manani's photo.
  • Jayantibhai Manani -
    भाई Mehul Parmar, गांधीजी की हत्या से देश का क्या भला आज तक हुवा ये आप बता सकते है? 
    RSS के कट्टर जातिवादी ब्राह्मण नेताओ को भारत का कल्याण और हिन्दुओ के कल्याण का ठेका किस ने दिया है?
  • Jayantibhai Manani 
    संघ के ब्राह्मण नेताओ का असली चरित्र कट्टर जातिवादी रहा है. जातिवादियो हंमेशा ओबीसी, एससी और एसटी को मुर्ख बनाते रहे है.एससी समुदाय में तो जाग्रति बढ़ रही है लेकिन ओबीसी समुदाय में हनुमानो की कोई कमी नहीं है, जो जातिवादियो के हनुमान बनते रहे है, क्योकि शुद्र वर्ण में होने के कारण सदियों से ब्राह्मण के सेवक बने रहेने की ओबीसी में परम्परा जो चली आ रही है.
  • Jayantibhai Manani -
    "Why Godse killed Gandhi ?" पुस्तक के पृष्ठ संख्या 17-18 में वी.टी. राज शेखर ने निष्कर्ष दिया है कि "संघ को गांधीजी के खून(30 जनवरी 1948) के संबध में पूर्व से ही जानकारी थी. उनके खून की गिनती के मिनिटो में ही उन्हों ने सारे भारत में मिठाइया बांटी थी. बाद में गुस्से से भरे लोगो ने महाराष्ट्र और कर्णाटक में चितपावन ब्राह्मणों के बहुत सारे घरों में आग लगा दी थी.
  • Jayantibhai Manani ,
    Thanks Ghulam Sarwar and Bipin Agravat
  • Jayantibhai Manani -
    गांधी जी की हत्या का कारण हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष को लेकर उनकी मान्यताएं मात्र नहीं हैं, इसके पीछे हिन्दू समाज में चला आ रहा उदार मतवाद और कट्टर मतवाद के बीच का प्राचीन संघर्ष भी है। उदार मतवाद के विरोध में निराश और पराभूत होते जा रहे कट्टरवाद का सबसे 
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  • Ram Singh Thank you sir aapne hame jankari di
  • Baliraj Dhote bahot badhiya our vastavik janakari
  • Chauhan Jitendra aise damdar share ke liye thanks.
  • Jayantibhai Manani -
    ब्राह्मण राष्ट्रवादी,ब्रिटिश शासन के समर्थक और भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के विरोधी RSS के ब्राह्मण प्रचारक नाथूराम गोडसे की जयंती आज ही के दिन है. 19 मई 1910 को एक कट्टर जातिवादी ब्रा±मण परिवार में जन्म लिया था और बचपन से कट्टर जातिवादी ब्राह्मण संगठन RSS से जुड़े थे.
  • Atul Makvana Nathuram Godse ne apni safayi jo bayan diya he use padho. Bad me sabkuchh likho. Brahmino ne hi hamari sanskruti ka jatan kiya he.
  • Jayantibhai Manani -
    भाई Atul Makvana, मूल भारतीय संस्कृति मातृप्रधान संस्कृति है. आर्य संस्कृति बाद की ब्राह्मण संस्कृति है, जो पितृप्रधान संस्कृति है, उनके रक्षण का कार्य RSS करता है.
  • Jayantibhai Manani -
    गांधीजी की हत्या महाराष्ट्र के कट्टर ब्राह्मणों ने कियी थी और उन के कारण निम्न लिखित है. 
    शुद्र, अतिशूद्र जातियो में से ही धर्मान्तरित मुस्लिम, इशाई आदि धार्मिक अल्प संख्यक अस्तित्व में आए थे. हिंदू मुस्लिम के नाम पर उन्हें आपस में लड़ाकार पुरातन पंथ
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  • Devendranath Patel gandhi hatya ke bare me jo rss ke bramino ne prachar kiya hai wo galat or be buniyad hai ..
  • Atul Makvana RSS Brahmin dharma ka nahi Hindu Dharma rakshan karta he.
  • Atul Makvana Just see statement of court & read them carefully what is said by Nathuram Godse?
  • Atul Makvana Devendra ji court me jo Nathuram Godse ne bayan diya tha vo RSS ne nahi likha tha. Jara soch samaj kar bate likho. Ap logo ko bhramit kar rahe ho. Ap desh me jatiwad felake desh ko todane ka kam kar rahe ho.
  • Atul Makvana Hindu Dharma sirf dharma hi nahi aek vichardhara he.
  • Atul Makvana Hindu Dharma ne duniya ke sabhi dharmo ko ashray diya he.
  • Atul Makvana I like the thoughts of RSS so I follow it.
  • Atul Makvana Koi ye kyu nahi batata ki Godse ne Gandhi Ji ki Hatya kyu ki?
  • Devendranath Patel gandhiji udarwadi or hindu dharm me shudharwadi the ...agar desh me se untachebility nahi jati to wo anshan par utar jate or kai samajik or dharmik samsya ke khilaf khade ho sakta the ....open court me ye dissction nahi huva tha ..ye bhi yaad rakhe ...
  • Atul Makvana To ap Bharat ki court ke adesh ya statement ko nahi mante? Har time ap bat ko galat tarike se or galat mod par le jate ho. Ap kese kah rahe ho ki court me discussion nahi hua tha? Matlab Gandhi ji ki hatya ke bare me ap galat bate kah rahe ho.
  • Devendranath Patel discussion huva tha lekin jish tarike se open court me hona chahiye ush tarike se nahi huva tha ...aaj all court open hai ..lekin gandhi hatya me special court or wo bhi bandh jish me shirf aam public nahi bethi thi..
  • Atul Makvana Matlab saf ye ap desh ke snavidhan and court ko nahi mante.
  • Devendranath Patel aap ne savidhan ki baat ki ...chalo savidhan me mate ho aap ..good
  • Atul Makvana Ham ne kabhi sanvidhan ka virodh nahi kiya. Lekin ap nahi mante uska to proof mil gaya.
  • Devendranath Patel aap ye statement vyaktigat tor pe bol rahe hai ...lekin rss savidhan ka virodh karta hai wo bhi ek kadva sach hai ..
  • Atul Makvana Completely wrong
  • Atul Makvana Bhagvat Ji wala photo fir se padhiye.
  • Devendranath Patel 26 january 1950 ko nepal ki rajdhani kathmandu me rss ke leader , karnal purohit ,braman samaj ke kuch leader ki meeting huvi thi or desh ke savidhan ko nahi manne ka tharav kiya tha ...ye ek RETAIR IPS OFFICERAND D.G.OF POLICE KI book me diya hai ...book ka name who kill hemant karkare ..?
  • Atul Makvana Aapko RSS ka Nationalism nahi jachta kya?
  • Devendranath Patel bhagvatji ne ye statement 2014 ke election ke baad diya tha ..ishe pehle nahi diya tha ye bhi sayad sach hai ..
  • Atul Makvana NAHI completely galat. RSS ki ye vichardhara pahele se hi he. Sach bat jano .
  • Atul Makvana SO I LIKE RSS & VHP . I ma proud to be member of such nationalist organisation.
  • Devendranath Patel आरएसएस में राष्ट्रिय क्या है?
    ●संघ का गणवेश नेकर और शर्ट अभारतीय है ।
    ●ध्वज प्रणाम का तरीका अभारतीय है ।
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  • Devendranath Patel share ke share bramin kyu ..? ye jatiwad nahi hai ..?
    Devendranath Patel's photo.
  • Devendranath Patel rss ke jitne bhi sharshangh chalak bane ish me bramin jati ke adhik kyu ...?
  • Devendranath Patel ye kon sa hinduwad hi ..?
    Devendranath Patel's photo.
  • Devendranath Patel pehle kaatar bad me udarwadi ...or pakhandi ....
    Devendranath Patel's photo.
  • Atul Makvana Vanvasi nam adivasi se jyada man vachak he. Hamare desh ke hi nagrik ko Adiwasi kahena uchit nahi.
  • Atul Makvana Or unke liye aek pura ayam VHP ki or se kam karta he jinko Vanvasi Kalyan Parishad kahete he.
  • Atul Makvana Work of Vanvasi Kalyan Parishad - Rajsthan.
  • Atul Makvana According to Article 342 of the Constitution, the Scheduled Tribes are the tribes or tribal communities or part of or groups within these tribes and tribal communities which have been declared as such by the President through a public notification. As ...See More
  • Atul Makvana Education
    Parishad is running 335 service centres to cater to the educational needs of the tribal people. These service centres are categorized as -
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  • Atul Makvana Camp photo of Vanvasi Kalyan Parishad
    Atul Makvana's photo.
  • Atul Makvana Comment please ,adiwasio ke hito ki juthi raksha karne walo ye dekho RSS ka kam.
  • Atul Makvana It is only the one example. Mere pas to puri kitab padi he.
  • Devendranath Patel ye hindu bana ne ka kam to nahi hai ..? tribel kish varn or jati me aata hai ..?
  • Atul Makvana Devendra ji ap ko kuchh bhi achchha nahi lagta. Ap adivasi ko adivasi hi rakhna chahte he. Similar to congress.
  • Devendranath Patel congresh ke or bjp ke braminwadi jatiwadi logo ka rss ke sath gathbandhan hai ..
  • Devendranath Patel tribel hindu dharm ke anushar bramin,xatriya,vaysa ya shudra me aata hai ..ya savidhan me kya hai ..artical 48 ka amal huva hai kya rsswalo ne koi andolan kiya hai tribel ke education,healthke liya
  • Atul Makvana Fir se reading karo, tribal ke liye RSS ne kya kiya.
  • Atul Makvana Dev ji, ap only negative bat hi kar sakte he.
  • Jayantibhai Manani -
    भाई Atul Makvana, आप बता सकते है कि RSS ने 1925 से 1947 तक आदिवासियों के लिए क्या किया?
    वनवासी शब्द ज्यादा मानवाचक है या नगरवासी? 
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  • Atul Makvana Aap sab juthe he vo purvar ho gaya.
  • Atul Makvana Aapko RSS ka kabhi achchha dikhta nahi.
  • Atul Makvana Ap sabka totally brain wash ho chuka he. Vartman me jio. Hindu Dharma ka jutha virodh band karo.
  • Jayantibhai Manani -
    भाई Atul Makvana, पौराणिक ब्राह्मण धर्म की चार वर्ण की व्यवस्था के अनुसार ओबीसी जातियों शुद्र वर्ण में आती है. ब्रह्मा ने शुद्र की उत्पति ब्राह्मण के सेवक के रूप में की है.. आरएसएस का स्वयंसेवक ओबीसी ब्राह्मण का सेवक ही होता है. 
    http://m.firstpost.com/.../rss-involved-in-terror-blasts...
  • Jayantibhai Manani -
    भाई Atul Makvana, ये पोस्ट 20वी सदी के श्रेष्ठ हिन्दू गांधीजी के पर है, जिनकी हत्या RSS से जुड़े ब्राह्मणों ने की थी. आप हिन्दू धर्म की बात लेकर आ गए.
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