राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने अलग-अलग बीमारियों के इलाज के लिए समान ब्रांड नामों के साथ बड़ी संख्या में बेची जा रही दवाओं के संबंध में एक अखबार के लेख का स्वत: संज्ञान लिया
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और भारत के औषधि महानियंत्रक को नोटिस जारी किया
चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट अपेक्षित
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने एक अखबार के लेख का स्वत: संज्ञान लिया है कि भारत में पूरी तरह से अलग-अलग बीमारियों के इलाज के लिए समान ब्रांड नामों के साथ बड़ी संख्या में दवाएं बेची जा रही हैं। कथित तौर पर, फार्मेसी में इन दवाओं के नामों में भ्रम के परिणाम मरीजों के लिए गंभीर हो सकते हैं क्योंकि ये दवाएं डॉक्टरों द्वारा विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए लिखी जा रही हैं। कथित तौर पर, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को सबसे पहले प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में 36 अलग-अलग दवा नियंत्रकों से डेटा एकत्र करके सभी फार्मास्युटिकल ब्रांड नामों का एक डेटाबेस बनाना होगा क्योंकि देश में ऐसा कोई डेटाबेस नहीं है। इसके अलावा, प्राधिकारियों द्वारा प्रिस्क्रिप्शन त्रुटियों के संबंध में कोई डेटा नहीं रखा जा रहा है।
आयोग ने पाया है कि लेख की सामग्री, यदि सत्य है, तो यह मानव अधिकार का गंभीर मुद्दा है। तदनुसार, आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और भारत के औषधि महानियंत्रक को 12 फरवरी 2024 को नोटिस जारी कर इस मुद्दे के समाधान के संबंध में 4 सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
25 जनवरी, 2024 को प्रकाशित अखबार के लेख में ऐसी कई दवाओं के उदाहरण दिए गए हैं जिनके नाम समान हैं लेकिन उन्हें विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए निर्धारित किया जा रहा है। 'लिनमैक 5' नाम की एक दवा का उपयोग मल्टीपल मायलोमा के इलाज के लिए किया जाता है, जो एक प्रकार का कैंसर है और 'लिनमैक' नाम की दूसरी दवा का उपयोग मधुमेह के इलाज के लिए किया जाता है।
कथित तौर पर, 'मेडज़ोल' ब्रांड नाम के तहत बेची जा रही एक अन्य दवा का उपयोग चार अलग-अलग कंपनियों द्वारा चार अलग-अलग सक्रिय अवयवों को बेचने के लिए किया जाता है, जो पूरी तरह से अलग-अलग बीमारियों का इलाज करती हैं। पहली कंपनी 'मेडज़ोल' का उपयोग 'मिडाज़ोलम' युक्त दवा बेचने के लिए करती है जिसका उपयोग शामक के रूप में किया जाता है। दूसरी कंपनी डोमपरिडोन और पैंटोप्राजोल का संयोजन बेचने के लिए 'मेडज़ोल-डीएसआर' नाम का उपयोग करती है जिसका उपयोग पेट की एसिडिटी के इलाज के लिए किया जाता है। एक तीसरी कंपनी एल्बेंडाजोल युक्त फॉर्मूलेशन के लिए 'मेडज़ोल 400' नाम का उपयोग करती है जिसका उपयोग बच्चों के कृमिनाशक उपचार में किया जाता है। चौथी कंपनी इट्राकोनाजोल युक्त फॉर्मूलेशन के लिए 'मेडज़ोल 200' का उपयोग करती है, जो एक शक्तिशाली एंटीफंगल दवा है जिसका उपयोग "ब्लैक फंगस" जैसी बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।
यह लेख, आगे एक और समस्या के बारे में बात करता है, यानी कंपनियों द्वारा समान व्यापार नामों का उपयोग जो सुनने और देखने में समान लगते हैं। एक उदाहरण का हवाला देते हुए कहा गया है कि जहां एक कंपनी पैरासिटामोल बेचने के लिए 'मेडपोल' ब्रांड का उपयोग करती है, वहीं दूसरी कंपनी कॉर्टिकोस्टेरॉइड बेचने के लिए 'मेड्रोल' ब्रांड का उपयोग करती है और तीसरी कंपनी एंटीबायोटिक बेचने के लिए 'मेट्रोज़ोल' ब्रांड का उपयोग करती है। ये नाम सुनने में 'मेडज़ोल' के समान लगते हैं और केवल एक या दो अक्षरों के प्रतिस्थापन के साथ एक-दूसरे के समान भी हैं।
इतना ही नहीं, एक और गंभीर समस्या एक ही कंपनी द्वारा गर्भनिरोधक के रूप में विभिन्न सक्रिय तत्वों को बेचने के लिए एक जैसे अथवा समान नामों के उपयोग से संबंधित पाई गई है।
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