पीटीआई, एजेंसियां
कोच्चि।। पेट्रोल की कीमतों में बार-बार बढ़ोतरी पर केरल हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। उसने शुक्रवार को कहा कि सरकारें इस मसले पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकतीं। इसके विरोध के लिए राजनीतिक दलों का इंतजार करने के बजाय देश के लोगों को खुद सामने आना चाहिए। अदालत ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और रिलायंस पेट्रोलियम को अपनी बैलेंस शीट और तिमाही रिपोर्ट तीन सप्ताह में पेश करने का निदेर्श दिया।
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एक्टिंग चीफ जस्टिस सी.एन. रामचंद्रन नायन और जस्टिस पी.एस. गोपीनाथन ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि पिछले एक साल में तेल के दाम 40 पर्सेंट से ज्यादा बढ़ गए हैं। इससे आम आदमी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। महंगाई धीमी मौत की तरह है।
राजनीतिक दल मुनाफा बटोर रहे हैं। उपभोक्ता विरोध नहीं कर पा रहे हैं। बार-बार की बढ़ोतरी में उन्हें ऐडजस्ट करना पड़ रहा है। अदालत ने कहा कि इस बढ़ोतरी से टू-वीइलर और छोटी कार चलाने वाले ज्यादा प्रभावित होते हैं, अमीर लोग नहीं क्योंकि वे डीजल की महंगी कारों में चलते हैं।
तेल कंपनियों को पेट्रोल के दाम बढ़ाने का अधिकार देने और बार-बार पेट्रोल महंगा होने के विरोध में यह जनहित याचिका पूर्व सांसद पी.सी. थॉमस ने दायर की है। राज्य सरकार के वकील ने तर्क दिया कि यह याचिका राजनीति से प्रेरित है। इस पर कोर्ट ने यह कहते हुए कि राजनीति में भी जनहित जुड़ा होता है, याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली। हालांकि अदालत का कहना था कि तेल उत्पादों के दाम तय करने का अधिकार देना केंद सरकार का पॉलिसी मैटर है, पेट्रोल की मौजूदा बढ़ोतरी पर हम इसमें दखल नहीं दे सकते। पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी राष्ट्रीय मुद्दा है। हम इस पर स्टे नहीं लगा सकते।
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