Monday, January 16, 2017

बहुत तेजी से हमारे बच्चे इस मुक्तबाजार की चकाचौंध में आत्मध्वंस की तरफ बढ़ रहे हैं।


बहुत तेजी से हमारे बच्चे इस मुक्तबाजार की चकाचौंध में आत्मध्वंस की तरफ बढ़ रहे हैं।
पलाश विश्वास
बहुत तेजी से हमारे बच्चे इस मुक्तबाजार की चकाचौंध में आत्मध्वंस की तरफ बढ़ रहे हैं।
कल का दिन दुर्घटनाओं के नाम रहा।
कल सोदपुर में दो टीनएजरों की मोटरबाइक दुर्घटना में मौत की वजह सै जनजीवन स्तब्ध सा हो गया।
समाजसेवी रामू के इकलौते बेटे और उसके दोस्त की मौत से दिनभर अफरातफरी रही।
इसीलिए कल अक्षर प्र्व में 2006 में प्रकाशित अपनी कविता ईअभिमन्यु उन खोते हुे बच्चों की याद में पोस्ट करके खुद को सांत्वना सी दी।
इलाके का भूगोल बदल गया है।
कल उस शवयात्रा में सौ से ज्यादा उन बच्चों के दोस्त स्कार्पियो गाड़ियों के साथ श्मसान पर मौजूद थे।
संघर्षशील गरीब परिवारों के बच्चे नवधनाढ्य परिवारों की जीवन शैली में जैसे तेजी से अभ्यस्त हो रहै हैं।
कहना मुश्किल है कि अब शोक का समय किसके लिए भारी पड़ने वाला है।
इलाके का भूगोल सिरे से बदल गया है।
पुश्तैनी मकानों की जगह बहुमंजिली इमारतें खड़ी हो गयी है।
गली मोहल्ले में अजनबी चेहरों का हुजूम है।
अपने ही बच्चों से संवाद की स्थिति खत्म सी है।
बल्कि माहौल पीढ़ियों के दरम्यान अभूतपूर्व  शत्रुता का बन गया है।
स्मृतियां तेजी से खत्म हो रही है।
सपनों का कत्लेआम है।
हममें से हर कोई इस घनघोर संकट में अकेला ,निहत्था और असहाय है।
सारी क्रयशक्ति और डिजिटल कैसलैस इंडिया के सारे कालेधन से हम अपनी नई पीढ़ी को बचा  नहीं पा रहे हैं।
 और किसी को इसका अहसास नहीं है कि मां बाप की हमारी पीढ़ी कितनी बुरीतरह फेल है। 
बेहद भयानक समय है यह और दिलोदिमाग लहूलुहान है।
शंकर गुहा नियोगी के छत्तीसगढ़ संघर्ष और नवनिर्माण आंदोलन में नियोगी के साथी और बंगाल में शहीद अस्पताल की तर्ज पर श्रमजीवी अस्पताल चलाने वाले डा.पुण्यव्रत गुण की किताब का अनुवाद करने में लगा हूं।
रियल टाइम अपडेट में इसलिए निरंतरता है नहीं।
नोटबंदी में बेहिसाब नकदी सिर्फ पांच सौ करोड़ की निकली है तो यूपी में अबूझ पहेली है।
मौका लगा तो शाम तक जानारियां शेयर करने की कोशिश करुंगा।
जो भी प्रासंगिक लिंक मिलेगा,वह इस बीच शेयर करते जाउंगा।
हम तमाम जरुररी लिंक और प्रासंगिक कांटेट शेयर करें तो भी जानकारी मिलेगी जनता को,कृपया इस पर गौर करें।
बाकी नाकाबंदी और सेंसरशिप दोनों है।आपातकाल जारी है।
जीने के लिए दिहाड़ी बेहद जरुरी है।
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