#DeMonetisationdestructiionforpoliticaleconomicmonopolyethniccleansing पचास घंटे तक भांजे की लाश का इंतजार नोटबंदी के आलम में रामचंद्रपुर के लोगों ने नोटबंदी की फिजां में जिसतरह तीस हजार रुपये बिना किसी हलचल के पैदा कर दिये,उससे हमारे भारतीय कृषि समाज की शक्ति का परिचय मिलता है जहां राजनीति और खून के रिश्ते सिरे से बेमायने हैं। सारा खर्च निकालने के लिए उनने हमसे कतई कुछ नहीं पूछा। बाकी बचा वक्त हमने जिस परिवार के साथ बिताया,उस परिवार ने हमें खुल्ला न्यौता दे दिया की मकान किराया गिनते रहने के बजाय हम तुरंत उनके घर शिफ्ट हो जायें।वे हमारे कुछ नहीं लगते।जो लगते हैं,उन्होंने हमसे कुछ नहीं पूछा। घनघोर निजी त्रासदी की इस घड़ी में लंबे अरसे से देहात से कटे होने के बावजूद मुझे राहत मिली है कि देहात के लोग दिलोदिमाग से अभी खच्चर नहीं बने हैं।वे घोड़े या गधे तो कभी नहीं थे।एबीपी न्यूज ने वाइरल वीडियो में नये नोट में चस्पां वीडियो को सही दिखाकर हिंदुत्व के जिस नोटबंदी एजंडा को जगजाहिर कर दिया है,वह देहात के इसी इंसानियत के भूगोल की वजह से कभी कामयाब हो नहीं सकता,17 नवंबर की रात मुझे पक्का यकीन हो गया है। पलाश विश्वास
BiharWatch, Journal of Justice, Jurisprudence and Law is an initiative of East India Research Council (EIRC) and MediaVigil. It focuses on justice, constitutionalism, legislations and judgements besides aesthetics, philosophy, science, ecocide and economic history. It attempts to keep an eye on consciousness, unsound business, jails, cyber space, big data, migrants and neighbors. Editor: Dr.G.Krishna, M.A., LL.M., Ph.D, Post Doc (Berlin), UGC-NET (Law) Email: forcompletejustice@proton.me
Saturday, November 19, 2016
#DeMonetisationdestructiionforpoliticaleconomicmonopolyethniccleansing पचास घंटे तक भांजे की लाश का इंतजार नोटबंदी के आलम में रामचंद्रपुर के लोगों ने नोटबंदी की फिजां में जिसतरह तीस हजार रुपये बिना किसी हलचल के पैदा कर दिये,उससे हमारे भारतीय कृषि समाज की शक्ति का परिचय मिलता है जहां राजनीति और खून के रिश्ते सिरे से बेमायने हैं। सारा खर्च निकालने के लिए उनने हमसे कतई कुछ नहीं पूछा। बाकी बचा वक्त हमने जिस परिवार के साथ बिताया,
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