लाल रत्नाकर
पटना : आज मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंषाओं को लागू करने के लिए देशव्यापी अभियान के तहत सूबे-बिहार की राजधानी पटना में दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया निउज्पेपर एम्प्लोयीस यूनियन पटना और पी.टी.आई. कर्मचारी यूनियन पटना के संयुक्त अभियान में शहर के मशहूर डाक बंगला चौक पर जोशो-खरोश के साथ नारेबाजी के साथ एक घंटे तक कार्यक्रम चलाने के बाद प्रदर्शानकारी पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मियों का शानदार जुलुस के रूप में शहर के मुख्य मार्ग फ्रेजर रोड से गुजरते हुए टाइम्स ऑफ़ इंडिया पटना के दफ्तर के सामने पहुंचा.टाइम्स ऑफ़ इंडिया एम्प्लोयीस यूनियन के सचिव लाल रत्नाकर, मनीष कुमार, अशोक कुमार, सदानंद,फुलेश्वर झा, राकेश सिंह,तारकेश्वर सिंह अदि के नेतृत्व में यह जुलूस जब टाइम्स के पटना दफ्तर के सामने पहुंचा मानो प्रदर्शनकारियो में नई उर्जा का संचार सा हो गया और जुलुस के नारों की आवाज़ तेज से तेजतर होती गई.
यहाँ आकर जुलूस के स्वर कुछ और कटु से हो गए. मालूम हो कि पिछले १६ जुलाई २०११ को यहाँ टाइम्स प्रबंधन ने अपना कुम्हरार स्थित प्रिंटिंग प्रेस बंद कर दिया और वहां काम कर रहे ४४ कर्मियों को उस स्थिति में नौकरी से बाहर का रास्ता दिखला दिया जब कि उनका मजीठिया वेतन बोर्ड के बकाये का विवाद सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था. दीवानी और फौजदारी दोनों ही किस्म के मामले सुप्रीम कोर्ट में न्याय निर्णय की प्रतीक्षा में निलंबित परे थे. फौजदारी मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ५ जनवरी २०११ को उस तारीख में जो स्थिति वहां थी वह यथास्थति बनाये रखने का स्टेटस को का आदेश पारित किया हुआ था. और उस दिन से ही वहां हटाये गए मजदूरों का शांतिपूर्ण धरना जारी है. वैसे भी आइ. डी.एक्ट के तहत विवाद के चालू रहने की स्थिति में कर्मियों के वोर्किंग कंडीसन में परिवर्तन कानून के खिलाफ बताया गया है. यहाँ टाइम्स प्रबंधन ने प्रिंटिंग प्रेस ही बंद कर दी.
टाइम्स यूनियन की ओर से मनीसाना से जुड़े फौजदारी मुक़दमे में दखल देते हुए प्रबंधन की इस गैर क़ानूनी हरकत की सूचना सुप्रीम कोर्ट बेंच को दी है. यूनियन के अध्यक्ष अरुण कुमार जो बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन पटना के महासचिव हैं और प्रेस काउन्सिल ऑफ़ इंडिया के सदस्य भी हैं ने इस हरकत की सूचना सुप्रीम कोर्ट को दी है. मालूम हो कि इस बीच टाइम्स यूनियन पटना के सह सचिव दिनेश कुमार सिंह की मौत धरना के दरम्यान इलाज के बिना हो गई. मनीसाना वेतन बकाये की विवाद की स्थति के दरम्यान इलाज के बिना आनंद राम,शुकुल राम और दिनेश कुमार सिंह की इलाज के बिना मौत हो गई, यूनियन की लड़ाई को कमजोर करने की नीयत से चार कर्मियों रामनाथ सिंह, संजीव सरकार, सिंघेस्वर राम को नौकरी से निकाल बाहर कर दिया गया.गैर पत्रकार कर्मियों के अधिकांश के बेटे-बेटियों की पढाई लिखी छूट गई, शादियाँ रुक गई या बाधित हुई. ऐसी स्थिति में वहां के कर्मियों में गुस्सा अस्वाभाविक नहीं है.
कर्मियों ने वहां मजीठिया लागू करो, कर्मचारी विरोधी हरकतों से बाज आओ, सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बंद करो, कानून से अपने कॉर्पोरेट सिटिज़न की ताकत ज्यादा है समझने की मानसिकता से बहार आओ जैसे नारे लगाये. सूत्र बताते हैं कि पत्रकारों और गैर पत्रकार कर्मियों के गुस्से को देखते हुए प्रबंधन के अधिकांश सदस्य दूसरे और तीसरे तल्ले पर भाग खड़े हुए. मगर प्रदर्शनकारियों ने स्वयम को संयम नहीं खोने दिया और दफ्तर के सामने नारे लगाते रहे. यह भी गौर तलब है कि यह प्रदर्शन टाइम्स ऑफ़ इंडिया यूनियन के अध्यक्ष अरुण कुमार की अनुपस्थिति में हुआ और पूरी तरह अनुशाषित रहा. यह यूनियन की प्रौढ़ता की निशानी है.
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