Wednesday, April 30, 2014

हिंदुत्व के दांत दिखाने के कुछ हैं और खाने के कुछ और "১৯৪৭ সালের পরে যাঁরা ভারতে এসেছেন, তাঁরা বিছানা-বেডিং বেঁধে রাখুন! ১৬ মে-র পরে তাঁদের বাংলাদেশে ফিরে যেতে হবে।"

हिंदुत्व  के दांत दिखाने के कुछ हैं और खाने के कुछ और
"১৯৪৭ সালের পরে যাঁরা ভারতে এসেছেন, তাঁরা বিছানা-বেডিং বেঁধে রাখুন! ১৬ মে-র পরে তাঁদের বাংলাদেশে ফিরে যেতে হবে।"
पलाश विश्वास
Come May 16, Bangladeshis must keep bags packed: Narenedra Modi
श्रीरामपुर (पश्चिम बंगाल): भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने रविवार को चेतावनी दी कि राजग के सत्ता में आने पर बांग्लादेशियों को वापस भेजा जाएगा।

मोदी ने कहा, 'मैं यहां से चेतावनी देना चाहता हूं, भाइयों और बहनों, आप लिख लीजिए, कि (हम) 16 मई के बाद इन बांग्लादेशियों को उनके बोरिया बिस्तर के साथ सीमापार भेजेंगे।' उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी वोटबैंक की राजनीति कर रहीं हैं।

उन्होंने इस मिश्रित आबादी वाले निर्वाचन क्षेत्र में ममता पर निशाना साधते हुए कहा, 'आप वोटबैंक की राजनीति के लिए बांग्लादेशियों के लिए पलक पांवड़े बिछा रही हैं।' इस संसदीय क्षेत्र में बहुत बड़ी संख्या में हिन्दी भाषी हैं जो यहां के जूट मिलों में मजदूरी करते हैं।

मोदी ने कहा, 'यदि बिहार से लोग आते हैं तो वे आपको बाहरी लगते हैं, यदि ओडिशा से लोग आते हैं तो वे आपको बाहरी लगते हैं। यदि मारवाड़ी आते हैं तो आप उदास हो जाते हैं, लेकिन यदि बांग्लादेशी आते हैं तो आपके चेहरे चमक जाते हैं।'

हमारे अग्रज राजीव नयन बहुगुणा ने एक बुनियादी मसला उठाया है.झक झक सफेद टोपी का यानी झक झक सफेद राजनीति का।आम आदमी यानी औसत भारतीय नागरिक की औकात में यह सफेदी है ही नहीं।वह तो नख से शिख तक या तो श्वेत श्याम है या फिर संजय लीला भंसाली की फिल्मों की तरह लोक विरासत के मुताबिक चटख बहुरंगी।

झक झक सफेद तो राजनीति है,जो विडंबना है कि दिखती सफेद है , लेकिन होती कुछ और है।हमारे हिसाब से यह नुमांदगी का मामला है,जिसे हम संविधान परस्ती से सुलझाना चाहते हैं,लेकिन वह संविधान भी कहीं लागू है ही नहीं।

मौजूदा राज्यतंत्र में बिना किसी फेरबदल के महज चेहरे बदल देने से भारतीय नागरिकों की किस्मत नहीं बदलने वाली है।

हाथी के दांत दिखाने के कुछ हैं और खाने के कुछ और।

हिंदुत्व के दांत भी दिखान के और हैं और खाने को वातानुकूलित कारपोरेट जायनवादी नस्ली वर्णवर्चस्वी कुलीन सफेद झक झक झख झकास।

जिस समन्वय के तहत जनसंहारवास्ते सत्ता दल कांग्रेस ने सत्ता हस्तातंरण कर दिया संस्थागत महाविनाश पर्व के लिए,जैसे नाजी फासी रुपांतरण हो रहा है तमाम उदात्त विचारधाराओं के मध्य और जिस तरह वर्ण वर्चस्व और नस्ली भेदभाव के तहत आम नागरिक के नागरिक और मानवाधिकारों के हनन के साथ सत्ता का सैन्यीकरण हो रहा है धर्मोन्मादी वैदिकी परंपराओं के मुताबिक,वहां आम आदमी हाशिये पर भी खड़ा रहने को स्वतंत्र है ही नहीं।

उसके लिए तो मृत्यु परवाना पर दस्तखत कर दिये गये हैं।

मसलन पाकिस्तान से आ रहे शरणार्थियों को नागरिकता देने की मांग करने में संघ परिवार को कोई परहेज नहीं है।लेकिन संघ परिवार के भावी प्रधानमंत्री ने बंगाल के श्रीरामपुर में बांग्लादेशियों के खिलाफ जिहाद का ऐलान करते हुए कहा कि सन 1947 के बाद जो भारत आये हैं,वे अपना बोरिया बिस्तर बांध लें,16 मई के बाद उन्हें बांग्ला देश भेज दिया जायेगा।

हम 2003 से जब नागरिकता संशोधन बिल राजग सरकार के गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पेश किया,और जिसे बिना सुनवाई सर्वदलीय सहमति से पास किया गया,लगातार देशभर में जल जंगल जमीन नागरिकता से बेदखली के खास इंतजामात के डिजिटल बायोमेट्रिक चाकचौबंद के बारे में लोगों को समझाते रहे हैं,संघ परिवार के एजंडे का खुलासा करते रहे हैं,लेकिन किसी को कायदे से समझा नहीं सकें।

मोदी ने एक झटके से बता दिया कि भारत विभाजन के शिकार तमाम लोग बांग्लादेशी घुसपैठिया हैं और जिन बेशकीमती खनिज इलाकों में आदिवासियों के मध्य जंगल में उनका मंगल रचा गया है,वहां से उन्हें हटाकर बिना प्रतिरोध कारपोरेट परियोजनाओं को लागू किया जाना है।

जनसंख्या घटाने का माकूल इंतजाम है।

मुंबई में जैसा शिवसेना ने किया है,वैसा ही घृणा अभियान दरअसल संघी कुलीनतंत्र का चरित्र है।

धर्मभीरु धार्मिक हिंदू जनगण को समझाया जाता है कि यह सबकुछ मुसलमानों को औकात बताने के लिए है।

हर अपराध के लिए भारत विभाजन की तर्ज पर मुसलमानों को जिम्मेदार बताकर संघी तलवार हिंदुओं की गरदनें उतार रही हैं,हिंदुत्व की पैदल सेनाओं को इसका अहसास तक नहीं है।

बंगाल में लेकिन पहली बार हुआ कि किसी मुख्यमंत्री ने शरणार्तियों के नागरिक और मानवाधिकारों के हक में संघ परिवार के खिलाफ युद्ध घोषणा कर दी है।विडंहबना है कि उनकी यह कवायद भी बंगाल में निर्णायक तीस फीसद वोट बैंक को साधने की है।

वोट बैंक की मजबूरी के चलते हिंदू शरणार्थियों को अब देशभर में संघतरफे समझाया जा रहा है,सारे के सारे प्रचारक मौखिक नेट प्रचार में लगे हैं कि दरअसल संघ मुसलमानों को ही बांग्लादेशी घुसपैठिया मानता है।नरेंद्र मोदी की युद्धघोषणादरअसल मुसलामानों के खिलाफ है।

असम में बांग्लादेशियों के खिलाफ अस्सी के दशक में हो रहे आंदोलन के वक्त भी और पूर्वोत्तर में हिंसा को न्ययपूर्ण ठहराने के लिए भी बहुसंख्यहिंदुओं को असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और अमानवीय तरीके से समजाया जाता रहा है कि सारी कवायद मसल्लो को देश बाहर करने की है।

अब भी संघी तत्व बार बार यह साबित करने में लगे हैं कि हिंदू शरणार्थियों के किलाफ नहीं है संघ परिवार।


जबकि सन साठ में असम में बांगाल खेदाओ अभियान के निशाने पर हिंदू शरणार्थी ही थे।

उत्तराखंड की पहली संघी सरकार ने उत्तराखंड में सन 1952 से बसे और 1969 में संविद सरकार के जमाने में भूमिधारी हक हासिल किये तमाम बंगाली शरणार्थियों को जो संजोग से हिंदू हैं,उन्हें बांग्ला देशी घुसपैठिया घोषित कर दिया।

ओड़ीशा के केंद्रापाड़ा में भारत विभाजन के तुरंत बाद बसाये गये नोआखाली के विभाजन पीड़ित हिंदू शरणार्थी परिवारों,जिन्होंने अपने परिजनों को कटते मरते बलात्कार का शिकार होते देखकर भारत में शरण ली थी,को भाजपा बीजद गठबंधन सरकार ने बांग्लादेश डिपोर्ट करने का अभियान चलाया।

बांग्ला बोलने वाले हर शख्स को बंगाल से बाहर बांग्लादेशी बताया जाता है,यह भूलते हुए कि भारत विभाजन के शिकार बंगाली भी हैं ठीक उसीतरह जैसे कश्मीर,सिंध और पंजाब के शरणार्थी।

लोग भूल जाते हैं कि बंगाल अब भी भारत का प्रांत है।

यही नहीं, नरेंद्र मोदी ने एकदम ठाकरे परिवार की तरह बंगाल में कमल खिलाने के लिए हिंदू मुसलमान और बंगाली गैर बंगाली विभाजन करने की हर चंद कोशिश की।

जबकि वाम शासन में विकास हो न हो, राजनीतिक आतंक की वजह से दम घुट रहा हो,लेकिन धर्म,जाति,भाषा,लिंग आधारित राजनीति के लिए कोई जगह थी नहीं।वाम शासन से पहले भी ऐसा ही रहा है।

शारदा फर्जीवाड़े में राजनेता पहलीबार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं,जो साबित भी नहीं हुए हैं,बाकी देश के मुकाबले वाम वामविरोधी ध्रूवीकरण के अलावा कोई दूसरा विभाजन नहीं था।

बंगाल की इस राजनीतिक विरासत को नमोलहर बाट लगाने वाली है।

जो हिंदू शरणार्थी पहले वामदलों के समर्थक थे,वे तृणमूली हो गये और अब वे धार्मिक ध्रूवीकरण के तहत केसरिया हुआ जा रहे हैं।

जबकि संघ परिवार की अपनी कोई ताकत है नहीं।

तृणमूल के जनाधार और वोट बैंक ध्वस्त करने की गरज से कांग्रेस और वामदलों ने अप्रत्यक्ष मदद करके भाजपा के चार फीसद वोटबैंक को बीस तीस फीसद तक पहंुचाने में कामयाबी हासिल की है।

विडंबना है कि धर्म,जाति,भाषा और अस्मिता आधारित विभाजन के लिए जो वामपंथी विचारधारा बंगाल में सबस बड़ी किलेबंदी थी,वहां से मोदी के राष्ट्रविरोधी नागरिकता मानवाधिकारविरोधी युद्ध घोषणा के खिलाफ कोई प्रतिवाद नहीं है।

वह भी वोट बैंक की ही वजह से।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने नरेन्द्र मोदी के खिलाफ और जहर उगलते हुए मंगलवार को कहा कि अगर मोदी प्रधानमंत्री बन गए तो देश जल उठेगा।

इससे पूर्व तृणमूल कांग्रेस मोदी के खिलाफ 'गुजरात का कसाई' जैसे तीखे शब्दों का इस्तेमाल कर चुकी है।

ममता बनर्जी ने कहा, 'भारत अंधकार युग में लौट जाएगा। अगर वह प्रधानमंत्री बने तो भारत जल जाएगा।'' उन्होंने कहा कि जो 'व्यक्ति अलगाववादी राजनीति करता है' वह देश का नेतृत्व नहीं कर सकता।

ममता ने दावा किया कि मोदी ने यह मान लिया है कि वह प्रधानमंत्री बन गये हैं। उन्होंने कहा, ''वह कोई अकेले शेर नहीं हैं। मायावती, जयललिता और मुलायमजी जैसे और भी बहुत से नेता हैं। वे भी शेर हैं।'' उन्होंने कहा, ''और सबसे भयावह शेर रायल बंगाल टाइगर होता है जो बंगाल में है।''

ममता ने कहा, ''नेता जो भारत की अगुवाई करेगा वह महात्मा गांधी, नेताजी, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसा होना चाहिये। ऐसा नहीं होना चाहिये जिसकी विचाराधारा धर्म के आधार पर देश को विभाजित करने की हो।'' बनर्जी ने आरोप लगाया कि एक व्यक्ति जिस पर दंगा कराने का आरोप है, उसे भारत जैसे बहु भाषी और बहु धर्मी देश का नेतृत्व नहीं करना चाहिये।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता ने ट्विटर पर लिखा है, 'अगर वह सत्ता में आते हैं, भारत अंधकार में डूब जाएगा। हमें दंगों के आर्किटेक्ट से विकास पर ज्ञान की आवश्यकता नहीं है।'' भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर तीखे हमले बोलते हुए ममता ने कहा, ''जिस व्यक्ति को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जा रहा है, अगर वह सत्ता में आते हैं तो भारत बर्बाद हो जाएगा।''

मोदी द्वारा लगाए गए आरोप कि वह गैर.बांग्ला लोगों की अनदेखी और बांग्लादेशियों का स्वागत कर वोट बैंक की राजनीति में शामिल हैं, ममता ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें (मोदी) इतिहास की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से प्रवासी 1971 के इंदिरा-मुजीब समझौते के तहत भारत आए। उन्होंने कहा, ''श्री मोदी को इतिहास नहीं मालूम है। उन्हें नहीं मालूम कि बांग्ला बोलने से कोई बांग्लादेशी नहीं हो जाता।''

ममता ने कहा, ''भारत में अन्यत्र, जो भी बांग्ला बोलता है, उसे बांग्लादेशी कह दिया जाता है। यह भेदभाव है।'' उन्होंने मोदी पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा, ''श्री मोदी बंगालियों और गैर बंगालियों को बांटना चाहते हैं। यह निंदनीय है।'' ममता ने कहा, ''श्री मोदी बंगालियों को भारत से भेजना चाहते हैं। वह तय करने वाले कौन होते हैं? वह विभाजनकारी राजनीति में शामिल हैं। वह दार्जिलिंग को विभाजित करना चाहते थे। अब वह राज्य में हिंदू और मुसलमानों को बांटना चाहते हैं।''

उन्होंने कहा, ''बांग्ला विश्व की पांचवीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। किसी भाषा के खिलाफ घृणा फैलाना अपराध है। बंगाल के लोग सौहार्द्र के साथ रहते हैं।'' विकास के गुजरात मॉडल पर हमला बोलते हुए ममता ने कहा, ''उनके शासनकाल में गुजरात के विकास में कमी आयी है।'' इस क्रम में कई आंकड़े देते हुए ममता ने कहा कि बंगाल में राजस्व आय में 31 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई लेकिन गुजरात में यह सिर्फ 15 प्रतिशत रही।

बारह मई को वोट पड़ जायेंगे।

अब तक दिल्ली की कुर्सी मतदाताों ने तय कर दी है।सही को सही,गलत को गलत बताने में कामरेड हिचक क्यों रहे हैं।

जब ममता खामोश थीं,तो आपरोप थे कि संघ परिवार के साथ उनका गुपचुप समझौता है।

अब जब दीदी खुलकर गुजरात नरसंहार,गुजरात में विकास के माडल, धार्मिक भाषाई ध्रूवीकरण और संघ के एजंडे के खिलाफ बोलने लगी हैं,तो हमारे कामरेड नमोमयबंगाल में खामोश क्यों है जबकि राजनाथ सिंह बंगाल में कम से कम दस सीटों का दावा कर रहे हैं और वामपंथियों के लिए दस सीटें निकालना भी मुश्किल है।

बाकी देश में भा अजब तमाशा है।मोदी खुद मुसलमानों के खिलाफ युद्धगोषणा कर रहे हैं और दूसरी तरफ से प्रतिक्रिया होने पर बोलने वालों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह के आरोप लगाये जा रहे हैं।चित भी उनकी पट भी उनकी।

संघ परिवार के तमाम घटक,संघी सिपाहसालार और पैदल सेनाएं एक ही कमान से नियंत्रित हैं,सब कुछ सोछी समझी मार्केंडिंग की आधुनिकतम प्रमाली के तहते है।

एक ही कमोडिटी को बाजार में बेचना है,नमोमय भारत।

बाकी सबकुच हाशिये पर।

लेकिन हाशिये पर चले जाने से वे संघ के एजंडा में शामिल मसले खत्म नहीं हो गये हैं।

उसकी याद दिलाने के लिए समय समयपर देश के कोने कोने से अलग अलग कंठ से अलग अलग स्वर उभर रहे हैं।

एक ही बांसुरी के वे अलग अलग छिद् है,जिससे सुर लेकिवन एक ही है।

तीन तीन राम के सिपाहसालार बनाये जाने पर उत्तर प्रदेश में मुलायम और मायावती और बिहार में लालू प्रसाद के करिश्मे से जब दलित मुसलिम ओबीसी वोट बैंक के किले नमो सुनामी को मीडिया सर्वों के विपरीत रोक ही रहे हैं, तो ओबीसी भावी प्रधानमंत्री के हक में ओबीसी संत ने ओबीसी वोट बैंक को दलितों के खिलाफ लामबंद करने की सोची समजी संघी रणनीति के तहत हानीमून पुराण रच दिया।

यह फिसली जुबान का मामला नहीं है,यह है जहरीला संघी समीकरण जिसे हिंदुत्व का मुलम्मा ओढ़ा दिया जाता है।

बलि से पहले बकरे को घास उतनी ही दी जाती है कि बलि के वक्त वह ज्यादा मिमायाकर कर्मकांड में व्यवधान न डालें।

नयनदाज्यू ने बहरहाल बेहद सादगी से यह पहेली परोस दी है।अब बूझ लें आप बूझें तो हमे भी बता दें।

कई दशक बाद भारतीय राज नीति में कुछ अलग हट कर करता दीख रही आम आदमी पार्टी मुझे भी लुभाती है , लेकिन अनेक शंकाएं और आपत्तियां भी मेरे दिल में इसको लेकर है , जिनमे से प्रमुख सफ़ेद टोपी है . यह सफ़ेद टोपी कहीं से भी एक आम आदमी होने का आभास नहीं देती , बल्कि एक विशिष्ट वर्ग का प्रतिनिधित्व तथा अभी व्यक्ति करती है . इसे गांधी टोपी कहा जाता है , लेकिन गांधी ने सिर्फ डेढ़ साल पहन कर इसे उतार फेंका , और इसकी निरर्थकता भांप कर इसे फिर कभी नहीं पहना . दर असल यह टोपी संस्कृति " आप " ने अन्ना हजारे से ली है , जो एक विचार शून्य व्यक्ति साबित हो चुके हैं . भारत के जोगी - जोगटों की तरह अन्ना हजारे को भी अपना आडम्बर महिमामंडित कर खुद को पुजवाने के लिए एक विशिष्ट वस्त्र विन्यास चाहिए . एक निम्न मध्य वर्गीय आम आदमी यह झका झक सफ़ेद टोपी कैसे मेंटेन कर सकता है , जिसके पास नहाने का साबुन भी सुलभ नहीं . क्या पुनर्विचार करेंगे आप ?

असल में राजनीति आम नता की नुमांइंदगी करती नही है।फर्जी जम्हूरियत के तिलिस्म में हम कैद है।इस तिलिस्म को तोड़ने के लिए राज्यतंत्र पर काबिज कुलीन संघी तंत्र के तंत्र मंत्र यंत्र को तोड़ना बेहद जरुरी है। मिट्टी से लथपथ मैले कुचले लोगों की भागेदारी सुनिश्चित किये बिना जो असंभव है।

বাংলাদেশিদের তল্পিতল্পা গুটিয়ে চলে যেতে হবে, হুঁশিয়ারি মোদীর



 

Mr. PALASH BISWAS DELIVERING SPEECH AT BAMCEF PROGRAM AT NAGPUR ON 17 & 18 SEPTEMBER 2003
Sub:- CITIZEN SHEEP AMENDMENT ACT 2003



বাংলা ভাষায় কথা বললেই 'বাক্স-প্যাঁটরা সমেত ছুড়ে ফেলে দেবে'?১৯৪৭ সালের পরে যাঁরা ভারতে এসেছেন, তাঁরা বিছানা-বেডিং বেঁধে রাখুন! ১৬ মে-র পরে তাঁদের বাংলাদেশে ফিরে যেতে হবে।" আসুন সংকল্প করি ,এই পৃথীবীতে বাংলা ভাষায় যারা কথা বলেন,তারা পৃথীবীর কোথাও এই বর্ণবিদ্বেষী নররক্তপিপাষুর সমর্থনে একটি ভোটও দেব না। ভোট 12 মেতে শেষ হচ্ছে,কিন্তু সারা ভারতে বাঙালির অস্থ্ব বিপর্যয়ে বাটের রাজনীতির উর্ধে বাঙালি জাতিসত্তার সব সীমান্ত ভেঙে ফেলার এই সংক্রমণকালে বাঙালি একজোট না হলে সারা ভারতবর্ষ কিন্তু পর্ব বঙ্গ হয়ে যাবে।

http://shudhubangla.blogspot.in/2014/04/12.html

বাংলাদেশী জিগির তুলে ভারত ভাগের বলি মানুষদেরই নাগরিকত্ব থেকে বন্চিত করে সারা দেশ ব্যাপী অভিযান চলছে কংগ্রেস বিজেপি যোগসাজসে।


বাংলাভাগের পর হিন্দূ রাষ্ট্রের নয়া জিগির আবার ভারত ভাগের বলি বাঙালি উদ্বাস্তুদের জন্য অশনিসংকেত বাংলার বুকে দাঁড়িযে সঙ্ঘ পরিববারের কুলশিরোমণি বাংলাদেশী অনুপ্রবেশ ইস্যুক সর্বাধিক গুরুত্ব দিয়ে আবার হিন্দূ মুসলিম বিভাজনে বাংলা জয়ের ঘোষণা করে গেলেন।

আসলে নজরুল ইসলাম ও রেজ্জাক মোল্লার নেতৃত্বে যে দলিত মুসলিম সংগঠন আগামি বিধানসভা নির্বাচনে ব্রাহ্মণ্যতান্ত্রিক আধিপাত্যের অবসাণে অন্ত্যজদের ক্ষমতায়ণের যুদ্ধঘোষণা করেছে,তাঁরই প্রতিক্রিয়া ও ক্ষমতাগোষ্ঠির রণকৌশল হল গৌরিক পতাকার এই আক্রামক আস্ফালন,হিন্দু মুসলিম বিভাজন ও কখনো ভারত ভাগের আগের মত দলিত মুসলিম একতায় ক্ষমতাবেদখল হতে না দেওয়ার জোর প্রস্তুতি।

Narendra Modi threatens to deport Bangaldeshis if BJP comes to power




जनसत्ता में प्रकाशित पूरी रपट गौरतलब हैः
श्रीरामपुर (पश्चिम बंगाल)/अमदाबाद। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने चेतावनी दी है कि राजग के सत्ता में आने पर बांग्लादेशियों को वापस भेजा जाएगा। इससे पहले एक साक्षात्कार में नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर धर्मनिरपेक्षता के बंकर में छिपने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि पार्टी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।

मोदी ने कहा,'मैं यहां से चेतावनी देना चाहता हूं, भाइयों और बहनों, आप लिख लीजिए कि हम 16 मई के बाद इन बांग्लादेशियों को उनके बोरिया बिस्तर के साथ सीमापार भेजेंगे।' उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं। उन्होंने इस मिश्रित आबादी वाले निर्वाचन क्षेत्र में ममता पर निशाना साधते हुए कहा,'आप वोट बैंक की राजनीति के लिए बांग्लादेशियों के लिए पलक पांवड़े बिछा रही हैं।' इस संसदीय क्षेत्र में बहुत बड़ी संख्या में हिंदी भाषी हैं, जो यहां के जूट मिलों में मजदूरी करते हैं।
मोदी ने कहा,'यदि बिहार से लोग आते हैं तो वे आपको बाहरी लगते हैं, यदि ओड़िशा से लोग आते हैं तो वे आपको बाहरी लगते हैं। यदि मारवाड़ी आते हैं तो आप उदास हो जाते हैं। लेकिन यदि बांग्लादेशी आते हैं तो आपके चेहरे चमक जाते हैं।' उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी वोट बैंक की राजनीति के लिए देश के लोगों का अपमान कर रही हैं। उन्होंने कहा,'35 साल में वामदलों ने जितना नुकसान पहुंचाया, आपने उससे भी ज्यादा नुकसान 35 महीने में किया।'
इससे पहले एक साक्षात्कार में नरेंद्र मोदी ने कांगे्रस पर धर्मनिरपेक्षता के बंकर में छिपने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि पार्टी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। उन्होंने कहा कि नई लोकसभा में कांगे्रस के लिए 100 सीट के स्तर तक पहुंचना भी दुरुह काम लग रहा है। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। कांगे्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आरोप कि उनका चुनाव प्रचार धार्मिक कट्टरता, धन और बल का खतरनाक गठजोड़ है, इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार ने कहा,'निश्चित हार का सामना कर रही वह (कांगे्रस) अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। वह एक बार फिर धर्मनिरपेक्षता के बंकर में छिपने का प्रयास कर रही है।'

मोदी ने कहा,'उसकी अंतिम उम्मीद है कि किसी तरह 100 सीटों के स्तर को पार किया जाए जो उसके लिए दुरुह काम लग रहा है।' सोनिया के कटाक्ष कि वह भारत को स्वर्ग बनाने का वादा कर रहे हैं, मोदी ने कहा,'मैंने कभी यह नहीं कहा कि मैं भारत को स्वर्ग बना दूंगा और मेरे पास सभी समस्याओं का हल है। मैं आश्वस्त हूं कि लोग भी मुझसे यह उम्मीद नहीं करते।'
प्रियंका गांधी की ओर से उनके परिवार और उनके पति राबर्ट वडरा को लेकर जलील करने के मोदी पर लगाए गए आरोप के सवाल पर भाजपा नेता ने कहा,'यह स्वाभाविक है कि एक बेटी अपनी मां का बचाव करना पसंद करेगी। एक बहन अपने भाई का बचाव करना पसंद करेगी। मुझे उसे लेकर कोई दिक्कत नहीं है।'  
नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर गोधरा की घटना के बाद 2002 में गुजरात में हुए दंगों के बारे में किसी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया। लेकिन एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि उनके विरोधियों को उनके खिलाफ भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद या अक्षमता के गंभीर आरोप नहीं मिल पा रहे हैं। इस सवाल पर कि क्या वह मुसलमानों को यह आश्वासन देना चाहेंगे कि वे सुरक्षित महसूस करें और उनके नेतृत्व में सरकार बनने पर किसी के खिलाफ भेदभाव नहीं करेगी, मोदी ने कहा कि किसी के असुरक्षित महसूस करने की वजह नहीं है, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान। उन्होंने कहा,'हम 125 करोड़ भारतीयों की सुरक्षा और विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा आदर्श नारा है,'सबका साथ सबका विकास'।'
उधर, उत्तर प्रदेश फतेहपुर में जनसत्ता संवाददाता श्रवण श्रीवास्तव के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने रविवार को बिना नाम लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मां-बेटे झूठ का पुलिंदा है। देश को शासक की नहीं सेवक की जरूरत है। साठ साल बाद भी उत्तर प्रदेश की जनता बिजली, पानी आदि समस्याओं से जूझ रही है। जनता के अरमानों को लूटा गया है। मोदी फतेहपुर में भाजपा उम्मीदवार साध्वी निरंजन ज्योति के समर्थन में चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वो पूरा देश घूमें हैं। लेकिन आजादी के 60 साल बाद हर जिले के लोग एक ही बात कहते हैं कि पीने का पानी नहीं है। मैं हैरान हूं कि फतेहपुर, रायबरेली जैसे बड़े-बड़े दिग्गजों का कार्यक्षेत्र होने के बाद भी महिलाओं के लिए शौचालय नहीं है। उन्होंने कहा कि मां-बेटे दोनों झूठ बोलने में आगे चल रहे हैं।

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